पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच पाकिस्तान सेना ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि अफगान तालिबान सीमा पर आतंकियों और तस्करों को घुसपैठ कराने में सीधे तौर पर मदद कर रहा है. पाकिस्तान सेना के मीडिया विंग ISPR के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अफगानिस्तान की ओर से पाकिस्तानी पोस्टों पर फायरिंग की जाती है, ताकि आतंकियों को सीमा पार कराने के लिए कवर मिल सके.
जनरल चौधरी के मुताबिक, "सीमा दोनों देशों की जिम्मेदारी होती है, लेकिन दूसरी ओर के पोस्ट पहले फायरिंग शुरू करते हैं. इसी अफरा-तफरी में आतंकियों और तस्करों की गाड़ियां नीचे से निकल जाती हैं." उन्होंने दावा किया कि कुछ हमले इतने समन्वित होते हैं कि पहले पोस्टों पर गोलाबारी होती है और उसी दौरान घुसपैठ कराई जाती है.
यह भी पढ़ें: दक्षिण एशिया में नए समीकरण... बमबारी से पाकिस्तान-अफगानिस्तान में बढ़ा तनाव, भारत ने काबुल भेजी मदद
यह सवाल उठने पर कि सीमा पर सेना और फ्रंटियर कॉर्प्स की तैनाती के बावजूद आतंकियों और अवैध वाहनों की आवाजाही कैसे हो जाती है, ISPR प्रमुख ने कहा कि 2,500 किलोमीटर लंबी सीमा पर हर 15–25 किमी की दूरी पर पोस्ट बनाई गई हैं. उन्होंने कहा, "दुनिया के सबसे विकसित देश भी अपनी सीमाओं को पूरी तरह सील नहीं कर सकते, जैसा कि अमेरिका और मैक्सिको के मामले में देखा गया है."
206 आतंकियों को मार गिराने का दावा
पाकिस्तानी अधिकारी ने बताया कि 4 नवंबर से अब तक 4,910 इंटेलिजेंस-आधारित ऑपरेशंस किए गए हैं, जिनमें 206 आतंकियों को मार गिराया गया. जनवरी से अब तक कुल 67,000 से ज्यादा IBO किए गए हैं, जिनमें सबसे अधिक 53,000 ऑपरेशन बलूचिस्तान में हुए.
तालिबान पर आतंकी संगठनों को समर्थन देने का आरोप
जनरल चौधरी ने यह भी आरोप लगाया कि अफगान तालिबान 2021 के बाद "राज्य संरचना में परिवर्तित होने में विफल रहा" और विभिन्न आतंकी संगठनों - TTP, BLA, अल-कायदा, दाएश और मध्य एशिया के कई समूहों को समर्थन दे रहा है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के साथ तीसरे पक्ष की निगरानी व्यवस्था का प्रस्ताव भी दिया था ताकि सीमा पर आतंकवाद को रोकने के लिए एक भरोसेमंद तंत्र बनाया जा सके.
यह भी पढ़ें: नेशनल गार्ड्स पर गोली चलाने वाला अफगान निकला CIA का पुराना एजेंट, अफगानिस्तान में करता था काम
दोनों देशों के बीच हाल के हफ्तों में तनाव बढ़ा है और पाकिस्तान का कहना है कि संघर्षविराम तभी संभव है जब अफगान तालिबान उसकी जमीन से TTP की गतिविधियां रोक दे, जो अभी तक नहीं हुआ है.