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क्या हुआ कि नेतन्याहू मांगने लगे माफी? ट्रंप को भी आना पड़ा बचाव में

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू पर रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोपों में ट्रायल चल रहा है. इस ट्रायल को खत्म करने के लिए नेतन्याहू ने अपने राष्ट्रपति को अनुरोध भेजा है. नेतन्याहू ने कहा कि उन्हें माफी देना राष्ट्र के हित में होगा. नेतन्याहू का क्षमादान की मांग करना बेहद दुर्लभ माना जा रहा है क्योंकि इजरायल में दोष स्वीकारने से पहले माफी नहीं दी जाती.

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बेंजामिन नेतन्याहू रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार मामले में ट्रायल का सामना कर रहे हैं (Photo: Reuters)
बेंजामिन नेतन्याहू रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार मामले में ट्रायल का सामना कर रहे हैं (Photo: Reuters)

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोपों में अपने खिलाफ चल रहे पांच साल लंबे भ्रष्टाचार ट्रायल को समाप्त करने का अनुरोध किया है. उन्होंने इजरायली राष्ट्रपति इसहाक हर्जोग से इस मामले में माफी देने का अनुरोध किया है. इसके पीछे तर्क देते हुए नेतन्याहू ने कहा कि ऐसा करना 'राष्ट्र के हित' में होगा.

राष्ट्रपति हर्जोग के ऑफिस ने कहा है कि इस संबंध में प्रधानमंत्री के वकील की तरफ से 111 पन्नों वाला प्रस्ताव भेजा गया है. डॉक्यूमेंट्स को न्याय मंत्रालय के क्षमादान विभाग को भेज दिया गया है. इसके अलावा, राष्ट्रपति के कानूनी सलाहकार भी नेतन्याहू के अनुरोध पर अपनी राय तैयार करेंगे जिसके बाद राष्ट्रपति हर्जोग फैसला लेंगे.

राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान में कहा है, 'राष्ट्रपति का कार्यालय जानता है कि यह एक असाधारण अनुरोध है, जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. सभी संबंधित राय मिलने के बाद, राष्ट्रपति जिम्मेदारी और ईमानदारी के साथ इस पर विचार करेंगे.'

इजरायल में दोष सिद्धि से पहले नहीं दिया जाता क्षमादान

इजरायल में राष्ट्रपति की तरफ से क्षमादान लगभग कभी भी सजा से पहले नहीं दिए गए हैं. इसका एकमात्र उल्लेखनीय अपवाद 1986 में शिन बेट सुरक्षा एजेंसी से जुड़े एक मामले का है. 

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अगर हर्जोग नेतन्याहू को माफी दे देते हैं तो बिना दोष स्वीकार किए भ्रष्टाचार के मामले में किसी नेता को अग्रिम क्षमादान देना एक अभूतपूर्व कदम होगा. इस पर काफी विवाद होने की भी आशंका है.

नेतन्याहू के वकील की तरफ से यह आवेदन उस समय आया है जब कुछ हफ्ते पहले डोनाल्ड ट्रंप ने हर्जोग को पत्र लिखकर नेतन्याहू को माफ करने की अपील की थी. नेतन्याहू 2020 से रिश्वत, धोखाधड़ी और विश्वासघात के आरोपों में ट्रायल का सामना कर रहे हैं, जिनमें आरोप है कि उन्होंने अपने अमीर सहयोगियों से गिफ्ट या सकारात्मक मीडिया कवरेज के बदले उन्हें राजनीतिक लाभ पहुंचाए.

नेतन्याहू इन आरोपों को खारिज करते हैं और इस मामले को मीडिया, पुलिस और न्यायपालिका की तरफ से रची गई राजनीतिक साजिश बताते आए हैं. आलोचकों का आरोप है कि वो गाजा युद्ध को इसलिए लंबा खींच रहे हैं ताकि उनकी गठबंधन सरकार बनी रहे, वो प्रधानमंत्री पद पर टिके रहें और कानूनी खतरे से बच सकें. इजरायल में अगले साल चुनाव होने हैं.

अपने बचाव में नेतन्याहू ने क्या कहा?

अपने कानूनी आवेदन के साथ भेज गए एक पत्र और रविवार को जारी एक टीवी बयान में नेतन्याहू ने कहा कि व्यक्तिगत रूप से वो अदालत में अपनी बेगुनाही साबित करना चाहते हैं, मगर राष्ट्रीय एकता के हित में ट्रायल समाप्त कर देना चाहिए, क्योंकि यह 'हमें भीतर से तोड़ रहा है.'

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टीवी बयान में उन्होंने कहा, 'मेरे खिलाफ लगाए गए झूठे आरोपों को पूरी तरह गलत साबित करने वाले सबूत अदालत में पेश किए जा रहे हैं और अब यह साफ हो रहा है कि यह मामला गंभीर अनियमितताओं के आधार पर तैयार किया गया था. मेरा व्यक्तिगत हित हमेशा रहा है कि यह प्रक्रिया अपने अंत तक चले और सभी आरोपों से मुझे बरी किया जाए. लेकिन सुरक्षा और राष्ट्रीय हित, कुछ और मांगते हैं. यह ट्रायल हमें भीतर से तोड़ रहा है, उग्र संघर्षों को बढ़ा रहा है और समाज में दरारें गहरा रहा है.'

उन्होंने आगे कहा, 'मुझे यकीन है कि ट्रायल को तुरंत समाप्त करने से तनाव कम करने और व्यापक मेल-मिलाप को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी, जिसकी हमारे देश को बहुत जरूरत है.'

बिना दोष स्वीकार किए या इस्तीफा दिए क्षमादान की मांग करना नेतन्याहू के लिए राजनीतिक और संवैधानिक संकट पैदा कर सकता है. अगर ऐसा हुआ तो अंतिम फैसला सुप्रीम कोर्ट को करना पड़ सकता है.

40 साल पहले आया था आरोप तय होने से पहले माफी देने का मामला

आरोप तय होने से पहले माफी का एकमात्र मामला इजरायल में करीब 40 साल पहले आया था. इसमें इजरायल की खुफिया एजेंसी शिन बेट के अधिकारियों पर बस हाईजैक में शामिल दो फिलिस्तीनी लड़ाकों की हत्या छिपाने का आरोप था. उस समय हाई कोर्ट ने तत्कालीन राष्ट्रपति चाइम हर्जोग, जो वर्तमान राष्ट्रपति के पिता थे, को आरोप तय होने से पहले ही क्षमादान देने की इजाजत दी थी. इस मामले में खुफिया अधिकारियों ने अपना दोष स्वीकार कर लिया था और शिन बेट के तत्कालीन प्रमुख ने पद से इस्तीफा दे दिया था.

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कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह मिसाल नेतन्याहू के मामले में लागू होना साफ नहीं है, खासकर तब जबकि उन्होंने अपना दोष स्वीकार नहीं किया है और वो इस्तीफा देने भी नहीं जा रहे हैं.

इजरायल डेमोक्रेसी इंस्टीट्यूट की संवैधानिक विशेषज्ञ सुजी नवोट ने ब्रिटेन के अखबार द गार्डियन से बात करते हुए कहा, 'यह रिश्वत के लिए चल रही आपराधिक प्रक्रिया को रोक देना होगा. इसका उस (1986) मामले से कोई संबंध नहीं है. नेतन्याहू अब जो चाहते हैं, वह वास्तव में कानून से ऊपर होना है.'

नेतन्याहू के खिलाफ विपक्षी नेताओं ने खोला मोर्चा

इजरायल के विपक्षी नेताओं ने भी नेतन्याहू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उनका कहना है कि अगर नेतन्याहू को क्षमादान दिया जाता है तो वो उसका विरोध करेंगे.

विपक्षी Yesh Atid पार्टी के नेता यायर लैपिड ने हर्जोग को भेजे एक संदेश में चेतावनी दी है, 'दोष स्वीकार किए बिना, पश्चाताप दिखाए बिना, और तत्काल राजनीतिक जीवन से हटे बिना नेतन्याहू को माफी नहीं दी जा सकती.'

डेमोक्रेट्स पार्टी के नेता यायर गोलन ने सोशल मीडिया पर लिखा है, 'केवल दोषी ही माफी मांगते हैं. एकमात्र समझौता यह हो सकता है कि नेतन्याहू जिम्मेदारी लें, अपराध स्वीकार करें, राजनीति छोड़ें और देश को मुक्त करें, तभी जनता में एकता संभव होगी.' 

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