पाकिस्तान के 66 फीसदी लोग धार्मिक चरमपंथ को देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा मानते हैं. अमेरिका के एक थिंक टैंक ने एक सर्वे में यह बात कही है.
वाशिंगटन के पीयू सेंटर की ओर से कराए गए एक सर्वे में बताया गया है कि खून-खराबा, आत्मघाती बम हमलों और गृह युद्ध के खतरों के कारण वहां के मुस्लिम धार्मिक चरमपंथ को जरा भी पसंद नहीं कर रहे हैं.
लेकिन उसी पाकिस्तान में 24 प्रतिशत लोग ऐसे भी हैं जो आतंकवाद को खतरा नहीं मानते हैं. लेकिन तालिबान के मामले में इनमें से भी ज्यादातर लोग उसका समर्थन नहीं करते. पाकिस्तान के 66 फीसदी लोग तालिबान के खिलाफ हैं. सिर्फ 8 फीसदी लोग उनके साथ हैं. तालिबानियों के हिंसात्मक रवैये और खून-खराबे की आदतों के कारण एक तिहाई पाकिस्तानियों ने इस सर्वे में हिस्सा नहीं लिया.
इस समय तालिबानियों के दो बड़े गुट हैं. एक है तहरीके-तालिबान-ए-पाकिस्तान और दूसरा है अफगान तालिबान. इन दोनों के बारे में लोगों की राय नेगेटिव है.
2013 में भी ऐसा सर्वे कराया गया था. उसमें इतने लोग तालिबानियों के खिलाफ नहीं थे. लेकिन अब तालिबानियों से नफरत करने वालों की तादाद बढ़ती जा रही है.