यह सारी दुनिया जानती है कि अफगानिस्तान को अपने चंगुल में लेने के लिए पाकिस्तान ने धार्मिक उन्मादियों की एक फौज बनाई जिसे तालिबान का नाम दिया गया. कहने को तो ये इस्लाम के शुद्ध रूप को मानते हैं लेकिन सच्चाई यह है कि ये घोर कट्टरपंथी हैं और उतने ही क्रूर. काफी सालों तक उनके जरिये ही अफगानिस्तान का शासन पृष्ठभूमि से चलाया और उसमें आईएसआई की बड़ी भूमिका रही थी.
पाकिस्तान ने अफगानिस्तान से सटे अपनी सीमावर्ती इलाकों में तालिबान बनाने का काम किया और धीरे-धीरे उसे सरहद के पार पहुंचा दिया. रूस से प्रॉक्सी वार करने वाले अमेरिका ने भी उसमें जबर्दस्त सहयोग दिया और अफगानिस्तान से रूस समर्थक सरकार को हटाकर कट्टरपंथियों की सरकार बना दी गई. ऐसे हुआ भस्मासुर का जन्म जिसने आज पाकिस्तान में खून की नदियां बहा दी हैं. कराची में तीन दिनों में दो बड़े हमले करके उसने एक पूरे राज्य की सत्ता को खुली चुनौती दी है. इनके अलावा हर दिन वहां छोटे-मोटे हमले तो होते रहते हैं जिनमें बेगुनाह मारे जाते हैं.
पाकिस्तान ने जिस तालिबान को पैदा किया आज वही उसके नागरिकों की नींद हराम किए हुए है. वहां इंसानों की जान की कोई कीमत नहीं है. तालिबानियों ने आत्मघातियों की ऐसी फौज खड़ी कर दी है जिसके सामने सब बेबस दिख रहे हैं. पिछले समय नवाज शरीफ की सरकार ने उनसे शांति वार्ता का प्रयास किया था लेकिन तालिबानी शरीया कानून लागू करवाने पर अड़ गए जो वहां की सरकार को मंजूर नहीं है. बातचीत वहीं खत्म हो गई और दोनों पक्ष आमने-सामने खड़े हो गए.
पाकिस्तान की समस्या है कि तालिबानियों और इस तरह की कट्टरपंथी ताकतों को आईएसआई के एक धड़े का समर्थन प्राप्त है. इससे उनके लिए किसी तरह का हमला करना आसान हो जाता है. पाकिस्तान की इस खुफिया एजेंसी में कट्टरपंथी भरे पड़े हैं जो मजहब के नाम पर इनका समर्थन करते हैं. जाहिर है सरकार के लिए इनसे मुकाबला करना उतना आसान नहीं है. पाकिस्तान सरकार में भी बहुत से तत्व ऐसे हैं जो पीछे से इतना समर्थन करते हैं. तो फिर कोई सख्त नीति कैसे बन सकती है?
अब हालात नियंत्रण से बाहर हैं. पाकिस्तान एक खतरनाक देश में तब्दील हो गया है. एक देश जिसे बने महज 66 साल हुए हैं वह अराजकता और बेहिसाब हिंसा का शिकार हो गया है. इसका भविष्य अंधकारमय हो गया है. जिस देश में गरीबी और अशिक्षा हो वहां मजहब अफीम का काम करती है. पाकिस्तान के मामले में भी ऐसा ही हुआ है. बड़ी तादाद में अशिक्षित लोगों ने अपने बच्चों को उन मौलवियों के हवाले कर दिया जो मजहब के नाम पर कट्टरवाद की पाठशाला खोले हुए बैठे हैं. पूरे पाकिस्तान में कमोबेश यही हालत है. मजहब के नाम पर आतंकवाद को वहां बढ़ावा दिया गया है. अब पाकिस्तान उस आग में झुलस रहा है.
लेकिन पाकिस्तान का इस तरह से जलना हमारे लिए उतना ही चिंताजनक है. जब पड़ोस में आग लगी हो तो आपका घर कैसे सुरक्षित रह सकता है? भारत को इस ओर गौर से देखना होगा ताकि वहां की लपटें यहां तक न पहुंचे. इतिहास गवाह है कि सीमा पार से यहां आकर आतंकियों ने कई बार हमले किए हैं. पाकिस्तान का मामला उसका अपना आंतरिक मामला है लेकिन कुल मिलाकर यह हमारे लिए भी चिंता का विषय है. हमें इस पर कड़ी नज़र रखनी होगी और अपने खुफिया तंत्र को मजबूत करना होगा ताकि हम समय पर चेत सकें.