भारत से राजनयिक तनाव के बीच मालदीव लगातार सुर्खियों में बना हुआ है. इस बीच मुइज्जू सरकार ने भारत से कहा है कि उन्हें लिखित में बताया जाए कि आखिर भारतीय नौसैनिकों ने मालदीव के विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) में स्थानीय मछुआरों की नौकाओं की तलाशी ली.
मुइज्जू सरकार के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि हमने भारत सरकार से कहा है कि वह हमें लिखित में दें कि यह कैसे हुआ. हालांकि, मालदीव सरकार ने अभी तक इस मामले पर आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है. लेकिन यह पता चला है कि इस मामले की जांच मलादीव नेशनल डिफेंस फोर्स (एमएनडीएफ) ने की है.
बता दें कि बुधवार शाम को भारतीय तटरक्षा बल ने मालदीव के उत्तरी हिस्से में मछली पकड़ने वाली तीन नौकाओं की तलाशी ली थी और मछुआरों से पूछताछ की थी. इस मामले से जुड़े सूत्र ने बताया कि किस तरह भारतीय सेना ने इन नौकाओं पर इस्तेमाल में लाए गए सैटेलाइट फोन के नंबर मांग कर रहे थे. हालांकि, जब नौकाओं के मछुआरों ने उस समय एमएनडीएफ कोस्टगार्ड विभाग से संपर्क किया.
भारत और मालदीव के बीच कैसे शुरू हुआ तनाव?
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद मालदीव की सरकार के तीन मंत्रियों ने पीएम मोदी के इस दौरे की कुछ तस्वीरों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद गहराया. मामले पर विवाद बढ़ने के बाद इन तीनों मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया गया था.
दोनों देशों के इस तनाव के बीच मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू चीन के पांच दिन के राजकीय दौरे पर चले गए थे. इस दौरे से लौटने पर मुइज्जू लगातार भारत पर निशाना साध रहे हैं.
मुइज्जू ने मालदीव लौटते ही दो टूक कह दिया था कि हमें बुली करने का लाइसेंस किसी के पास नहीं है. उन्होंने कहा था कि हम भले ही छोटा देश हो सकते हैं लेकिन इससे किसी को भी हमें बुली करने का लाइसेंस नहीं मिलता. हालांकि, मुइज्जू ने प्रत्यक्ष तौर पर किसी का नाम लेकर ये बयान नहीं दिया है. लेकिन माना जा रहा है कि उनका निशाना भारत की तरफ है.
इसके बाद मुइज्जू ने भारत से 15 मार्च से पहले मालदीव से अपने सैनिकों को हटाने को कहा था. बता दें कि चीन समर्थक माने जाने वाले मुइज्जू ने पांच दिन के अपने चीन दौरे के दौरान राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी. उनका ये दौरा ऐसे समय पर हुआ था, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले मालदीव सरकार के तीन मंत्रियों को सस्पेंड किया गया. इस मामले को लेकर भारत और मालदीव दोनों देशों में राजनयिक विवाद बढ़ा हुआ है.