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खालिद मशाल जो नेतन्याहू के दिए जहर से भी नहीं मरा! बन सकता है हमास चीफ

हमास के मुखिया इस्माइल हानिया की हत्या के बाद अब हमास के मुखिया का पद खाली हो गया है. माना जा रहा है कि वरिष्ठ हमास नेता खालिद मशाल हमास का अगला मुखिया हो सकता है. इजरायल दशकों पहले मशाल को मारने की कोशिश कर चुका है.

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खालिद मशाल हमास का नया मुखिया हो सकता है (Photo- AP)
खालिद मशाल हमास का नया मुखिया हो सकता है (Photo- AP)

ईरान की राजधानी तेहरान में बुधवार को हमास के मुखिया इस्माइल हानिया की हत्या कर दी गई. हमास ने हानिया की हत्या के लिए इजरायल को जिम्मेदार ठहराते हुए बदला लेने की बात कही है. हानिया के मारे जाने के बाद हमास का दूसरा सबसे ताकतवर वरिष्ठ नेता खालिद मशाल संगठन की जिम्मेदारी संभाल सकता है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी एक रिपोर्ट में हमास के सूत्रों के हवाले से कहा है कि हमास मशाल को अपना मुखिया नियुक्त कर सकता है. 

कौन है खालिद मशाल?

खालिद मशाल का जन्म 28 मई 1956 को वेस्ट बैंक के रामल्ला के पास हुआ था. 15 साल की उम्र में उन्होंने मिस्र स्थित सुन्नी इस्लामिक संस्था मुस्लिम ब्रदरहुड ज्वॉइन कर ली. मुस्लिम ब्रदरहुड की मदद से ही 1987 में हमास का गठन किया गया.

टाइम मैगजीन ने खालिद मशाल को "द मैन हू हॉन्ट्स इजरायल" यानी 'इजरायल को परेशान करने वाला शख्स' का टाइटल दिया है.

हानिया से पहले हमास चीफ रहा था मशाल

खालिद मशाल एक शिक्षक भी रह चुका है. 1992 में हमास के पोलिटिकल ब्यूरो की स्थापना की गई और मशाल इसके संस्थापक सदस्यों में से एक था. मशाल 1996 में हमास के पोलिटिकल ब्लूरो के मुखिया बना और वो 2017 में अवधि सीमा खत्म होने के बाद पद से हट गया. मशाल के हटने के बाद इस्माइल हानिया हमास के मुखिया बने थे.

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68 साल के खालिद मशाल निर्वासन से ही काम करते रहा है. 2004 से 2012 तक, उसने सीरिया की राजधानी दमिश्क से समूह का संचालन किया. अब वह कतर और मिस्र की राजधानी दोहा और काहिरा दोनों में रहता है.

मशाल 2012 में पहली बार हमास नियंत्रित गाजा में गया था और उसने हमास के 25वें वर्षगांठ पर आयोजित एक रैली को संबोधित किया था.

साल 2017 में खालिद मशाल ने अलजजीरा को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, 'मैं संगठन के संस्थापकों में से एक हूं. मैं पहले दिन से ही संगठन के साथ हूं. 1987 में हमास के गठन की आधिकारिक घोषणा के पहले मैं हमास का हिस्सा रहा हूं. हमास पूरे फिलिस्तीन की आजादी की वकालत करता है लेकिन इजरायल को मान्यता दिए बिना या कोई अधिकार दिए बिना 1967 की सीमाओं पर फिलिस्तानी राज्य के लिए तैयार है.'

जब इजरायल के दिए जहर से भी बच गया खालिद

खालिद मशाल इजरायल की रडार पर रहा है. 1997 में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने उन्हें मारने का आदेश दिया था. जॉर्डन के अम्मान ने उनके कार्यालय के बाहर इजरायली एजेंट्स ने उन्हें जहर वाली इंजेक्शन दे दी थी.

खालिद मशाल पर इजरायल के इस जानलेवा हमले से तत्कालीन जॉर्डन किंग हुसैन भड़क गए थे. उन्होंने इजरायल से मांग की थी कि मशाल को जहर देने वाले हत्यारों को फांसी दी जाए और जहर का एंटिडोट भेजा जाए ताकि मशाल को ठीक किया जा सके. उन्होंने इजरायल को धमकी दी कि अगर आधी रात से पहले इजरायल ऐसा नहीं करता है तो वो इजरायल के साथ जॉर्डन का शांति समझौता तोड़ देगा.

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जॉर्डन के कहे अनुसार इजरायल ने एंटिडोट भिजवाया और हमास नेता शेख अहमद यासिन को भी आजाद कर दिया. हालांकि, इजरायल ने 7 साल बाद ही गाजा में यासिन की हत्या कर दी.

हमास के विदेश मामले संभालता है खालिद मशाल

निर्वासन में रहते हुए ही मशाल हमास को अंतरराष्ट्रीय सरकारों के साथ बैठकों में रिप्रेजेंट करता है. हमास के बाकी नेताओं पर इजरायल की तरफ से यात्रा प्रतिबंध लगे हुए हैं लेकिन निर्वासन में रह रहे मशाल इससे बचा हुआ है. वो हमास की विदेश नीति का अहम चेहरा है.

ईरान के साथ मशाल के तनावपूर्ण रिश्ते

इस्माइल हानिया के ईरान से बेहद अच्छे संबंध थे और उसकी हत्या भी नए ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान के पदग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के बाद राजधानी तेहरान में हुई. हानिया मंगलवार को राष्ट्रपति के साथ-साथ ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई से भी मिले थे. 

इधर, मशाल के ईरान के साथ संबंध तनावपूर्ण रहे हैं. मशाल ने 2011 में सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के खिलाफ सुन्नी-मुस्लिमों विद्रोह को अपना समर्थन दिया था जिसे लेकर ईरान नाराज हो गया था. तब से ही माना जाता है कि ईरान के साथ मशाल के संबंध तनावपूर्ण हैं.

खालिद मशाल को लेकर भारत में विवाद

खालिद मशाल को लेकर भारत में भी विवाद हो चुका है. उन्होंने पिछले साल 27 अक्तूबर को केरल के सॉलिडेरिटी यूथ मुवमेंट की तरफ से फिलिस्तीनियों के समर्थन में आयोजित ऑनलाइन रैली को संबोधित किया था.

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इस दौरान मशाल ने कहा था कि इजरायल से अल-अकसा मस्जिद को आजाद कराने और इजरायल के आतंक से फिलिस्तीनियों को बचाने में दुनिया को फिलिस्तीनियों का साथ देना चाहिए. ऑनलाइन रैली में हमास नेता के शामिल होने से केरल बीजेपी चीफ के सुरेंद्रन भड़क गए थे और उन्होंने मांग की थी कि आयोजकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो.

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