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नेपाल में फंसे कैलाश मानसरोवर से लौट रहे दर्जनों यात्री, सता रही घर वापसी की चिंता

नेपाल से कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गए एक यात्री ने आजतक के साथ हालात साझा किए हैं. उन्होंने बताया कि यात्रा तो सफलतापूर्वक पूरी हुई, लेकिन वापसी में मुश्किलें सामने आ रही हैं. नेपालगंज एयरपोर्ट बंद होने और मौसम खराब होने से हिल्सा और सिमिकोट में करीब 80–100 यात्री फंसे हैं.

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हिल्सा और सिमीकोट में अटके यात्री (Photo: ITG)
हिल्सा और सिमीकोट में अटके यात्री (Photo: ITG)

नेपाल में हालात खराब हैं. इस वजह से कैलाश मानसरोवर से लौट रहे यात्रियों की चुनौतियां बढ़ गई हैं. भारत के भी कई यात्री वहां फंस गए हैं. हिल्सा और सिमिकोट में बड़ी संख्या में लोग फंसे हैं और सीमित हेलीकॉप्टर सेवाओं के चलते इंतज़ार लंबा हो सकता है. यात्रियों की चिंता अब केवल यही है कि सुरक्षित तरीके से नेपालगंज पहुंचकर भारत लौट पाएं.

ऐसे ही एक यात्री आशीष मेहरोत्रा से aajtak.in ने बात की. वह दिल्ली के रहने वाले हैं. आशीष ने बताया कि उनको घर वापसी की चिंता सता रही है.

आइए जानते हैं कि आशीष मेहरोत्रा के साथ क्या बातचीत हुई है.

प्रश्न: आप कब से वहां फंसे हुए हैं?

उत्तर: नहीं, हम फंसे नहीं थे. हमने अपनी यात्रा नेपाल से 4 तारीख को शुरू की थी. नेपालगंज से सिमिकोट आए, वहां से हिल्सा पहुंचे. हिल्सा नेपाल-तिब्बत बॉर्डर पर एक छोटा सा गांव है. वहां से हेलीकॉप्टर से गए, फिर एक रात रुककर हिल्सा नदी पैदल पार की और चाइनीज़ इमिग्रेशन टाउन से तिब्बत चले गए.

प्रश्न: तो आप लोग किस यात्रा पर गए थे?

उत्तर: हम कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गए थे. कल रात ही हमने परिक्रमा पूरी की और आज 12 तारीख को इमिग्रेशन कराकर नेपाल लौटे हैं.

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प्रश्न: अब वापसी का रास्ता कैसे होगा?

उत्तर: सामान्यतः हिल्सा से हेलीकॉप्टर द्वारा सिमिकोट आते हैं. फिर सिमिकोट से 18-सीटर एयरक्राफ्ट से नेपालगंज पहुंचते हैं. नेपालगंज से ट्रैवल एजेंट हमें लखनऊ तक ड्रॉप करते हैं, वहां से लोग अपनी-अपनी मंज़िल पर चले जाते हैं.

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प्रश्न: अभी सबसे बड़ी समस्या क्या है?

उत्तर: पिछले 2–3 दिन से एयरपोर्ट बंद थे. इसलिए कई यात्री हिल्सा और सिमिकोट में रुके हुए हैं. मौसम भी क्लाउडी है, हेलीकॉप्टर और छोटे जहाज मौसम पर निर्भर करते हैं. इसलिए उड़ानें बहुत सीमित हो रही हैं.

प्रश्न: अभी कितने लोग फंसे हुए हैं?

उत्तर: सिर्फ मेरे ग्रुप में लगभग 40 लोग हैं. पहले से रुके हुए यात्रियों को मिलाकर हिल्सा और सिमिकोट में करीब 80–100 लोग फंसे हो सकते हैं.

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प्रश्न: नेपाल में चल रहे आंदोलन से आपकी यात्रा पर असर पड़ा क्या?

उत्तर: नहीं, जब आंदोलन शुरू हुआ तब हम पहले से तिब्बत में थे. हमारी यात्रा प्रभावित नहीं हुई. अब चिंता सिर्फ वापसी की है- नेपालगंज एयरपोर्ट चल रहा है या नहीं, यही पता लगाना है.

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प्रश्न: हेलीकॉप्टर व्यवस्था कैसी है?

उत्तर: अभी हेलीकॉप्टर आ-जा रहे हैं, लेकिन बहुत कम. एक हेलीकॉप्टर में सिर्फ 4 लोग जाते हैं. अगर 80 लोग यहां फंसे हैं तो कम से कम 20–25 चक्कर लगाने होंगे. हिल्सा से हेलीकॉप्टर सिमिकोट ले जाता है, फिर सिमिकोट से 18-सीटर विमान नेपालगंज तक जाता है. वहां से सड़क मार्ग से लखनऊ जाना होगा.

प्रश्न: तो कुल मिलाकर आपकी यात्रा का अनुभव कैसा रहा?

उत्तर: यात्रा बहुत सुखद और सफल रही. बस अब चिंता यह है कि अगर नेपालगंज एयरपोर्ट डिस्टर्ब रहा और लंबी कतार लगी रही, तो हमें निकलने में परेशानी हो सकती है.

बता दें कि नेपाल में युवाओं का Gen Z प्रोटेस्ट चल रहा है. सोशल मीडिया साइटों पर सरकारी प्रतिबंध के खिलाफ सोमवार को इसकी शुरुआत हुई थी, आंदोलन ने बाद में हिंसा का रूप ले लिया. फिर वहां लूटपाट, आगजनी, बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ हुई. सुरक्षा बलों से झड़प में अबतक 51 लोगों की मौत हो चुकी है.

गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट, संसद भवन समेत कई सरकारी इमारतों को फूंक दिया है. विरोध प्रदर्शनों के चलते प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है. अब वहां अंतरिम सरकार बनेगी, जिसपर मंथन जारी है.

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