कैलाश मानसरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar Yatra) भारतीय संस्कृति, आस्था और आध्यात्मिकता की एक अद्वितीय यात्रा है. यह यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्मिक शांति और प्राकृतिक सौंदर्य का संगम भी है. तिब्बत में स्थित कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील को हिन्दू, बौद्ध, जैन और बोन धर्म के अनुयायियों द्वारा अत्यंत पवित्र माना जाता है.
इस साल कैलाश मानसरोवर यात्रा 30 जून से 25 अगस्त के बीच हो रही है. इस बार सिक्किम और उत्तराखंड के रास्ते यात्रियों का 15 ग्रुप कैलाश मानसरोवर जा रहा है. हर 5 ग्रुप में 50-50 यात्री होंगे जो उत्तराखंड से मानसरोवर जाएंगे, तो वहीं, सिक्किम से 10 ग्रुप में 50-50 यात्री यात्रा पर निकल रहे हैं (Kailash Mansarovar Yatra 2025).
हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थल माना गया है. यह पर्वत चार प्रमुख नदियों- सिंधु, ब्रह्मपुत्र, सतलुज और कर्णाली का उद्गम स्थल भी है. बौद्ध धर्म में इसे "कांग रिनपोछे" कहा जाता है, जो बोधि का प्रतीक है. जैन धर्म के अनुसार, ऋषभदेव (पहले तीर्थंकर) को यहीं मोक्ष की प्राप्ति हुई थी.
मानसरोवर झील हिमालय की गोद में स्थित है और इसे संसार की सबसे ऊंची मीठे पानी की झीलों में से एक माना जाता है. मान्यता है कि इस झील का दर्शन और जल स्पर्श करने मात्र से ही पापों का नाश होता है और मन शुद्ध होता है. ताजा और शांत जल वाली यह झील ध्यान और साधना का उपयुक्त स्थान मानी जाती है.
भारत सरकार हर वर्ष सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए अनुमति देती है. दो प्रमुख मार्ग हैं- लिपुलेख पास मार्ग (उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से) और नाथू ला पास मार्ग (सिक्किम से).
यह यात्रा भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा आयोजित की जाती है. यात्रियों को कठोर शारीरिक परीक्षण, पासपोर्ट और वीजा की आवश्यकता होती है, क्योंकि यात्रा का अधिकांश भाग चीन अधिकृत तिब्बत क्षेत्र से होकर गुजरता है.
कैलाश मानसरोवर यात्रा शारीरिक और मानसिक रूप से अत्यंत चुनौतीपूर्ण होती है. उच्च हिमालयी क्षेत्र में कम ऑक्सीजन, ठंडा मौसम, ऊबड़-खाबड़ रास्ते और लंबी पदयात्रा इसके प्रमुख हिस्से हैं. इसलिए, यात्रियों को स्वास्थ्य जांच के बाद ही अनुमति दी जाती है.
इस यात्रा का प्रत्येक चरण आत्मा को एक नई ऊंचाई पर ले जाता है. ऊंचाई पर स्थित शांत पर्वत, स्वच्छ झील और प्रकृति की विराटता का अनुभव मन को गहराई से छूता है. 'कैलाश परिक्रमा' और 'मानसरोवर स्नान' यात्रा के मुख्य भाग हैं, जिन्हें अत्यंत पुण्यदायक माना गया है.
नेपाल से कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गए एक यात्री ने आजतक के साथ हालात साझा किए हैं. उन्होंने बताया कि यात्रा तो सफलतापूर्वक पूरी हुई, लेकिन वापसी में मुश्किलें सामने आ रही हैं. नेपालगंज एयरपोर्ट बंद होने और मौसम खराब होने से हिल्सा और सिमिकोट में करीब 80–100 यात्री फंसे हैं.
कैलाश मानसरोवर से दर्शन कर लौटते समय नेपाल-चीन सीमा पर स्थित हिल्सा बॉर्डर (नेपाल) में अयोध्या जिले के आठ श्रद्धालु फंसे हुए हैं. इसे लेकर अब अयोध्या के सांसद और विधायक ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर मदद मांगी है.
पीएम मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए चीन पहुंचे हैं. इससे पहले उन्होंने तिआनजिन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की है. पीएम मोदी सात साल बाद चीन के दौरे पर हैं और बीते दस महीने में जिनपिंग से यह उनकी दूसरी मुलाकात है. पिछली मुलाकात ब्रिक्स 2024 सम्मेलन के दौरान रूस के कजान में हुई थी.
पूर्व केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान घायल हो गईं. तिब्बत के दारचिन क्षेत्र में यात्रा करते समय वे एक म्यूल से गिर गईं, जिससे उन्हें गंभीर चोट आई. शुरुआती जांच में उनकी कमर में गंभीर चोट का पता चला है.
कैलाश पर्वत को ब्रह्मांड का केंद्र और शिव का निवास स्थान माना जाता है. यह स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल के बीच एक आध्यात्मिक सेतु है. मान्यता है कि यहाँ वही पहुँच पाता है जिसे स्वयं शिव बुलाते हैं. दुनिया के कई पर्वतारोहियों ने कैलाश पर्वत की चोटी तक पहुँचने का प्रयास किया, लेकिन कोई भी सफल नहीं हो सका. कुछ पर्वतारोहियों ने बताया कि उन्हें किसी अदृश्य शक्ति ने रोक लिया, जबकि अन्य ने भयानक बर्फबारी या अचानक मौसम परिवर्तन का अनुभव किया.
हिंदू धर्म की तीन प्रमुख धार्मिक यात्राएं, अमरनाथ यात्रा, कैलाश मानसरोवर यात्रा और कांवड़ यात्रा में भक्तों की तपस्या, संघर्ष और भक्ति की परीक्षा होती हैं. ये यात्राएं जून से सितंबर के महीनों में की जाती हैं और हर साल लाखों श्रद्धालु इनमें शामिल होते हैं. इन यात्राओं में खतरे, चुनौतियां और विवाद भी जुड़े हैं.
मानसरोवर झील को देवताओं का स्नान स्थल माना जाता है, और इसमें स्नान करने से पापों का शुद्धिकरण होता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, गंगा भगवान विष्णु के चरणों से निकलकर कैलाश पर पहुंचती है और शिव की जटाओं में समाहित हो जाती है. महाभारत में भी कैलाश और मानसरोवर का उल्लेख है.
कैलाश मानसरोवर न सिर्फ शिव का धाम है, बल्कि हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख धर्मों में पवित्र तीर्थ भी है. जानें क्यों ये स्थान चारों धर्मों की आस्था का केंद्र है.
बताया जाता है कि मानसरोवर ब्रह्मा के मन से बना है और यहीं से सरयू, सतलुज, सिंधु और ब्रह्मपुत्र जैसी प्रमुख नदियां निकलती हैं.यह सरोवर लगभग 15,100 फीट की ऊंचाई पर स्थित एक मीठे पानी की झील है, जिसका मुख्य स्रोत कैलाश है. आइये इस यात्रा से जुड़ी कुछ जरूरी बातें जान लें.
पिछले कई साल से शिव भक्त कैलाश मानसरोवर जाने का इंतजार कर रहे थे और 6 साल बाद इस यात्रा की शुरुआत हुई है. चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में मौजूद कैलाश मानसरोवर की यात्रा पिछले कुछ वर्षों से चीन से तनातनी के कारण बंद थी, लेकिन इस साल रिश्ते दुरुस्त हुए और शिव भक्तों को मंजूरी मिल गई है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के रक्षा मंत्री के साथ द्विपक्षीय बातचीत की है, जिसमें कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई. इस दौरान रक्षा मंत्री ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के दोबारा शुरू होने पर खुशी जताई, जो लगभग 6 साल बाद फिर से शुरू हुई है.