जोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क सिटी के मेयर चुनाव में जीत हासिल कर ली है. यह एक ऐसा संघर्ष था जिसमें तमाम मुश्किलों के बावजूद उन्होंने जीत दर्ज की, उस शहर में जहां दुनिया का हर राजनीतिक हथियार इस पहले मुस्लिम, आप्रवासी उम्मीदवार के खिलाफ झोंक दिया गया था. लेकिन सबसे दिलचस्प बात यह है कि डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट ममदानी ने जैसे दिल्ली के अरविंद केजरीवाल मॉडल को न्यूयॉर्क तक पहुंचा दिया हो.
2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, तब के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता अरविंद केजरीवाल ने महिलाओं के लिए मेट्रो और बस यात्रा मुफ्त करने की घोषणा की थी.
इसी तरह, ममदानी ने भी न्यूयॉर्क में शहर की बसों को मुफ्त करने का वादा किया था. यह योजना, भले ही भौगोलिक रूप से दुनिया के दूसरे छोर पर हो, लेकिन विचार के स्तर पर केजरीवाल और AAP की महिला-केंद्रित कल्याण योजनाओं से मिलती-जुलती है. यह तुलना कुछ लोगों को अजीब लग सकती है, लेकिन दोनों नेताओं की कल्याण-उन्मुख सोच में गहरी समानताएं हैं.
ममदानी का मुख्य प्रस्ताव मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (MTA) की बस सेवाओं से किराया खत्म करने का है. न्यूयॉर्क स्थित गैर-लाभकारी संगठन 'राइडर्स एलायंस' का अनुमान है कि इस योजना पर हर साल लगभग 1.2 अरब डॉलर की लागत आएगी और बस यात्रियों की संख्या में 20–30% की बढ़ोतरी हो सकती है. कोविड-19 महामारी के दौरान MTA ने 2020 से 2022 तक मुफ्त में बसें चलाई थीं और इसी अनुमान पर राइडर्स एलायंस ने हालिया अनुमान लगाया है.
ममदानी का कहना है कि इस योजना को वे 10 लाख डॉलर से अधिक कमाने वालों पर 2% टैक्स लगाकर और कॉर्पोरेट सब्सिडी घटाकर फंड करेंगे. यह प्रस्ताव दिल्ली की AAP सरकार की 2019 में शुरू की गई 'पिंक टिकट' योजना की याद दिलाता है, जिसके तहत महिलाओं के लिए बस यात्रा पूरी तरह मुफ्त है.
दिल्ली की इस योजना ने बस यात्रियों की संख्या में 25% की बढ़ोतरी की और 2020 के विधानसभा चुनाव में AAP को भारी जीत दिलाई. दिल्ली के बाद भारत के अन्य राज्यों ने भी इस मॉडल को अपनाया और अब ममदानी ने इसे अमेरिका तक पहुंचा दिया है.
मुफ्त परिवहन का विचार नया नहीं है. यूरोप में यह सालों से लागू है. लक्जमबर्ग ने पूरे देश में बस, ट्राम और ट्रेन को मुफ्त कर दिया है. माल्टा में भी स्थानीय बसें मुफ्त हैं. फ्रांस के डनकिर्क शहर ने 2018 में शहरी बस नेटवर्क का किराया खत्म किया, और एस्टोनिया की राजधानी टालिन ने 2013 से स्थानीय निवासियों को मुफ्त यात्रा का अधिकार दिया हुआ है.
पूर्वी यूरोप में सर्बिया की राजधानी बेलग्रेड ने अक्टूबर 2024 में बस यात्रा मुफ्त की, ताकि प्रदूषण कम हो और लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके.
लेकिन केजरीवाल ने इसे राजनीतिक हथियार बना दिया खासकर महिलाओं को ध्यान में रखकर, जिससे बस यात्रियों में 10% की बढ़ोतरी हुई.
2020 के एक इंटरव्यू में केजरीवाल ने कहा था, 'महिलाओं को बिना डर और बिना किराए के काम पर पहुंचने की जरूरत थी.' दिल्ली में 2023 तक 10 करोड़ से अधिक मुफ्त यात्राएं दर्ज की गईं, जिसके बाद अन्य राज्यों ने भी ऐसी योजनाएं शुरू कीं, जैसे तमिलनाडु में महिलाओं के लिए सब्सिडी और पंजाब में छात्रों के लिए पास योजना शुरू की गई.
कर्नाटक ने भी 2023 में 'शक्ति योजना' के तहत महिलाओं और ट्रांसजेंडर लोगों के लिए राज्य की बसों में मुफ्त यात्रा शुरू की. अब ममदानी ने उसी सोच को अमेरिका में लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाया है, उस देश में, जहां मुफ्त योजनाओं के विचार पर कोई ध्यान नहीं देता.
न्यूयॉर्क, जिसे अक्सर पूंजीवाद का प्रतीक माना जाता है, वहां ममदानी की यह योजना सामाजिक समानता की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है.
न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, 2023 में हर पांच में से एक न्यूयॉर्कवासी ने माना कि उन्हें बस या सबवे का किराया चुकाने में मुश्किल आती है. ऐसे में ममदानी की मुफ्त बस योजना खास तौर पर उन इलाकों के लिए राहत लाएगी जहां ट्रेन सेवाएं सीमित हैं.
केजरीवाल की तरह ममदानी भी केवल बसों तक सीमित नहीं हैं. उन्होंने अन्य कई योजनाओं की भी घोषणा की है जिनमें शामिल हैं-
छह हफ्ते से पांच साल तक के बच्चों के लिए यूनिवर्सल चाइल्डकेयर की घोषणा की है, जिससे निम्न-आय वर्ग के लोगों को सालाना 15,000 डॉलर तक की बचत होगी.
रेन्ट स्टेबलाइजेशन के तहत 10 लाख घरों का किराया 3% तक सीमित करने का प्रस्ताव रखा है (वर्तमान सीमा 7% है).
फूड सिक्योरिटी के लिए हर कस्बे में पांच 'पीपल्स मार्केट्स' खोलने की योजना है, जहां चावल, दूध और सब्जियां थोक कीमतों पर मिलेंगी.
ममदानी की ये योजनाएं भारत के चुनावी घोषणापत्रों जैसी झलक देती हैं और यह दिलचस्प है कि जहां बिहार जैसे गरीब इलाकों में मुफ्त बस यात्रा लोकप्रिय है, वहीं अब न्यूयॉर्क जैसे अमीर शहर में भी इसकी मांग बढ़ रही है.