जापान में एक युवक ने महिला विश्वविद्यालय में दाखिला न मिलने पर लैंगिक भेदभाव का केस दायर कर दिया है.
समाचार एजेंसी एफे के मुताबिक, फुकुओका महिला विश्वविद्यालय में पोषण पाठ्यक्रम में ग्रैजुएशन के इच्छुक युवक ने कोर्ट की शरण लेते हुए यह दलील दी कि उच्च शिक्षा के सार्वजनिक संस्थानों में लैंगिक भेदभाव जापानी संविधान का उल्लंघन है.
एक अखबार में बुधवार को प्रकाशित युवक के बयान के मुताबिक, 'युवकों के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित न कराना अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करना है, जिसमें कानूनी रूप से लैंगिक समानता की बात है.' जापान में महिला विश्वविद्यालय और निजी विश्वविद्यालय सामान्य रूप से देखे जा सकते हैं.
शिकायतकर्ता ने कहा कि सिर्फ फुकुओका विश्वविद्यालय पोषण संबंधित पाठ्यक्रम कराती है, जो उसके घर से नजदीक है. उसने कोर्ट को बताया कि वह निजी संस्थानों में पढ़ाई का खर्च उठा नहीं सकता. उसने 4,235 डॉलर का हर्जाना भी मांगा है.
सरकारी वकील ने बताया कि देश में महिलाओं की शिक्षा के अवसर काफी कम हैं, ऐसे में महिला विश्वविद्यालयों को एक समाधान के रूप में देखा जा रहा है. जापान में सिर्फ 40 फीसदी महिलाएं ग्रैजुएट हैं, जबकि ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इकोनोमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) के सदस्य राष्ट्रों में करीब 60 फीसदी महिलाएं ग्रैजुएट हैं.
इनपुट IANS से