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इजरायल में मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने का आदेश, विपक्ष ने किया नेतन्याहू सरकार का विरोध

एक वीडियो में बेन गवीर ने कहा, "मुझे उन शहरों से कई शिकायतें मिली हैं, जहां के निवासियों ने मुझे स्पष्ट रूप से इस पर सहमति जताते हुए इसे जारी रखे जाने की बात कही गई. उन्होंने कहा कि,  मुझे अपनी नीति पर कोई समझौता नहीं करना है. मैं अहमद तिबी, आयमन ओदहे और मंसूर अब्बास (इजरायली विपक्षी नेता) को यह बताना चाहता हूं कि वे इज़रायल को हिंसा की धमकी न दें.

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इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू
इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू

इज़रायल के राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इत्तमार बेन गवीर ने मस्जिदों में अजान (इस्लामिक प्रार्थना का विशेष आह्वान) के प्रसारण के लिए लाउडस्पीकर के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है. इस नीति के तहत, पुलिस को मस्जिदों से लाउडस्पीकर उपकरण जब्त करने और नियमों का उल्लंघन करने वाली मस्जिदों पर जुर्माना लगाने का निर्देश दिया गया है.

बेन गवीर ने 'X' पर एक पोस्ट में इस नीति को लागू करने पर गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि यह मस्जिदों से होने वाले शोर पर रोक लगाएगा, वो शोर जो इज़रायली निवासियों के लिए खतरे की वजह बन गया था. हालांकि बेन गवीर को अपने इस आदेश और फैसले पर विरोध और आलोचना का सामना भी करना पड़ रहा है. लेबर पार्टी के एमके गिलाद करीव ने बेन गवीर के इस कदम को खतरनाक बताया है.

एक वीडियो में बेन गवीर ने कहा, "मुझे उन शहरों से कई शिकायतें मिली हैं, जहां के निवासियों ने मुझे स्पष्ट रूप से इस पर सहमति जताते हुए इसे जारी रखे जाने की बात कही गई. उन्होंने कहा कि,  मुझे अपनी नीति पर कोई समझौता नहीं करना है. मैं अहमद तिबी, आयमन ओदहे और मंसूर अब्बास (इज़रायली विपक्षी नेता) को यह बताना चाहता हूं कि वे इज़राइल को हिंसा की धमकी न दें. उन्होंने कहा कि, जैसा कि यूरोप में, अरब में या फिर हर सुधार चाहने वाले देश में होता है, हमें भी मस्जिदों में शोर के मुद्दे को उठाना होगा."

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उनके कार्यालय ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि कई पश्चिमी और अरब देशों में शोर प्रतिबंध लागू हैं, लेकिन इज़रायल में इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था.

उधर, फिलिस्तीनियों ने इस निर्णय की कड़ी आलोचना की है. फिलिस्तीनियों के लिए सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय फिलिस्तीनी राष्ट्रीय परिषद ने इस प्रतिबंध को मस्जिदों के खिलाफ "अपराध" और अंतर्राष्ट्रीय कानून द्वारा गारंटीकृत धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करार दिया. परिषद ने एक बयान में कहा, "यह पवित्र स्थलों पर एक खुला हमला है और नस्लवाद को मजबूत करने की कोशिश है." बयान में यह भी कहा गया कि यह नीति फिलिस्तीनियों को हाशिए पर डालने की कोशिश है, जिन्हें "इस भूमि के वास्तविक मालिक" के रूप में संदर्भित किया गया है.

इस नीति पर इज़रायल को अपने विपक्षी नेताओं की भी आलोचना झेलनी पड़ रही है. लेबर पार्टी के एमके गिलाद करीव ने बेन गवीर के इस कदम को खतरनाक बताया, और 'X' पर चेतावनी दी कि यह "इज़राइल राज्य के लिए खतरा" पैदा कर सकता है और तनाव को बढ़ा सकता है. मंसूर अब्बास, ने बेन गवीर पर मस्जिदों को टारगेट करने का आरोप लगाया, ताकि वह अल-अक्सा मस्जिद में हिंसा भड़काने में असफल होने के बाद मतभेद पैदा कर सकें. अब्बास ने 'X' पर लिखा, "बेन गवीर लगातार coexistence को काटने की कोशिश कर रहे हैं. 

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अमेरिकी-इस्लामिक संबंध परिषद (CAIR) ने इस नीति की निंदा की है, इसे इज़रायली सरकार द्वारा "इस्लाम और ईसाई धर्म के खिलाफ युद्ध" का हिस्सा करार दिया. CAIR के राष्ट्रीय कार्यकारी निदेशक निहाद अवाद ने मुस्लिम बहुल देशों से इस नीति के खिलाफ सामूहिक कार्रवाई करने की अपील की और इसे फिलिस्तीनी संस्कृति को मिटाने के अभियान के रूप में बताया.

अवाद ने बाइडन प्रशासन से धार्मिक स्थलों को लक्षित करने वाली कार्रवाइयों की निंदा करने और इजरायल को हथियारों की आपूर्ति रोकने का आग्रह किया, जिसे उनका कहना था कि फिलिस्तीनी लोगों की हत्या के अभियान को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है.
 

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