ईरान में हिजाब की अनिवार्यता को लेकर कड़े कानून हैं और इनका उल्लंघन करने पर अक्सर महिलाओं को पुलिस की हैवानियत का सामना करना पड़ता है. कुछ समय पहले हिजाब नहीं पहनने की वजह से एक ईरानी लड़की को पुलिस ने इतना पीटा कि वह कोमा में चले गईं. अब खबर आई है कि इस 16 साल की नाबालिग लड़की अर्मिता गेरावंड का 'ब्रेन डेड' हो गया है.
गेरावंड की तस्वीरें हुईं वायरल
कुर्दिश-ईरानी हेंगॉ जैसे मानवाधिकार संगठनों ने सबसे पहले अर्मिता गेरावंड के अस्पताल में भर्ती होने की बात को सार्वजनिक किया था और सोशल मीडिया पर 16 वर्षीय लड़की की तस्वीरें प्रकाशित कीं थी. इस तस्वीर में अर्मिता के सिर पर पट्टी, लाइफ सपोर्ट सिस्टम और मुंह में रेस्पिरेटरी ट्यूब लगी है. हालांकि तस्वीरों की पुष्टि नहीं हो सकी है. ईरान की मीडिया ने बताया कि , "गेरावंड की जो ताजा हेल्थ अपडेट से संकेत मिलता है कि डॉक्टरों के तमाम प्रयासों के बावजूद उसका ब्रेन डेड होना निश्चित है.
मेहसा अमिनी की भी इसी तरह हुई थी पिटाई
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का मानना है कि गेरावंड को महसा अमिनी की हालत भी मेहसा अमिनी की तरह हो सकती है, जिसकी पिछले साल पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी. उसकी मौत के बाद महीनों तक देश भर में सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए थे जिसकी वजह से ईरान के मौलवी शासकों के लिए बड़ी परेशानियां खड़ी हो गई थीं. मेहसा अमिनी भी हिजाब के नियमों का उल्लंघन करने के बाद पुलिस की गिरफ्त में आ गई थी और आरोप लगा कि पुलिस ने उसकी इतनी बेरहमी से पिटाई करी कि मेहसा की मौत हो गई.
हालांकि ईरान ने इस बात से इनकार किया है कि गेरावंड को पुलिस हिरासत को चोट लगी हैं. लेकिन मीडया रिपोर्ट्स में दावा है कि गेरावंड को तेहरान मेट्रो में अनिवार्य इस्लामिक ड्रेस कोड लागू करने वाले अधिकारियों ने 1 अक्टूबर जमकर पीटा था.
ईरान में हिजाब को लेकर कड़े हैं नियम
आपको बता दें कि इस्लामिक क्रांति के चार साल बाद अप्रैल 1983 में ईरान में सभी महिलाओं के लिए हिजाब हेडस्कार्फ़ अनिवार्य हो गया, जिसने अमेरिका समर्थित राजशाही को उखाड़ फेंका. यह एक ऐसे देश में एक अत्यधिक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है जहाँ रूढ़िवादी जोर देते हैं कि यह अनिवार्य होना चाहिए, जबकि सुधारवादी इसे व्यक्तिगत पसंद पर छोड़ना चाहते हैं.
यहां महिलाओं को कानून के अनुसार अपने बालों को ढंकना और लंबे, ढीले-ढाले कपड़े पहनना आवश्यक है. उल्लंघनकर्ताओं को सार्वजनिक फटकार, जुर्माना या गिरफ्तारी का सामना करना पड़ता है. महिसा अमिनी की मौत के बाद से देश भर में मॉल, रेस्तरां और दुकानों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर महिलाएं ही सर्वाधिक मुखर हुईं थी.
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