जून 2025 में जब अमेरिका और इजरायल ने मिलकर ईरान के परमाणु संयंत्रों पर बमबारी की तब शिया बहुल मुस्लिम देश को अपना 'भाई' बताने वाले पाकिस्तान निंदा के अलावा कुछ और नहीं कर सका. ये वही पाकिस्तान है जिसने वादा किया है कि वो ईरान के परमाणु प्रोग्राम को पूर्ण समर्थन देता है. लेकिन जब बात अमेरिका की आई तब पाकिस्तान कुछ कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाया. अब इसी 'भाई' के लिए ईरान ने 'ब्लैंक चेक' यानी बिना किसी शर्त के समर्थन का वादा किया है और वो भी भारत और अफगानिस्तान के मामलों में.
पाकिस्तान पहुंचे ईरान के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव अली लारीजानी ने एक स्थानीय न्यूज चैनल से बात करते हुए भारत और अफगानिस्तान के साथ मुद्दों को सुलझाने के लिए पाकिस्तान को 'ब्लैंक चेक' की पेशकश की.
अली लारीजानी से इंटरव्यू के दौरान सवाल किया गया, 'पाकिस्तान और भारत के बीच, और पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच शांति स्थापित करने के लिए आप क्या करने को तैयार हैं?'
जवाब में ईरानी अधिकारी ने कहा, 'पाकिस्तान ईरानी जनता के लिए बहुत प्रिय और सम्मानित है. हम इन मुद्दों को सुलझाने में मदद के लिए पाकिस्तान को एक ‘ब्लैंक चेक’ देने के लिए तैयार हैं. इस ब्लैंक चेक का इस्तेमाल वो जब भी जरूरी समझें, कर सकते हैं.'
ईरानी अधिकारी अली लारीजानी ईरान के सर्वोच्च नेता के वरिष्ठ सहयोगियों में से एक हैं और ईरान में इनका काफी प्रभाव है. ये हाल ही में पाकिस्तान पहुंचे थे जहां उन्होंने पाकिस्तान के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उप प्रधानमंत्री और फील्ड मार्शल से मुलाकात की.
अपने पाकिस्तान दौरे से ठीक पहले लारीजानी ने कहा कि इजरायल के साथ युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने काफी समर्थन दिया था. इसके लिए उन्होंने पाकिस्तान को धन्यवाद भी दिया.
ईरान और इजरायल के बीच 13 जून 2025 को युद्ध शुरू हुआ था जो 12 दिनों तक चला. इजरायल का कहना था कि ईरान नागरिक परमाणु प्रोग्राम की आड़ में परमाणु बम बना रहा है जो कि यहूदी राष्ट्र के अस्तित्व के लिए खतरा है. हालांकि, ईरान इस आरोप से इनकार करता रहा है.
अपने आरोप के आधार पर इजरायल ने ईरान पर हमला कर दिया. युद्ध के अंतिम दिनों में अमेरिका भी इजरायल के साथ आ गया और उसने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों नतांज, फोर्डो और इस्फहान को निशाना बनाया. इस दौरान ईरान के परमाणु संयंत्रों को भारी नुकसान पहुंचा.
लेकिन इस पूरे युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जिसे ईरान के समर्थन के रूप में देखा जा सके. बल्कि ईरान-इजरायल युद्ध के बीच ही अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया. इसके अगले ही दिन जब अमेरिका ने ईरान के परमाणु संयंत्रों पर हमला कर दिया तब पाकिस्तान ने दिखावे की आलोचना के अलावा कुछ नहीं किया.
पाकिस्तान की स्थानीय मीडिया में हालांकि, कहा जा रहा है कि पाकिस्तान ने पर्दे के पीछे रहकर इजरायल-ईरान युद्ध को और बढ़ने से रोकने में भूमिका निभाई थी.