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ईरान-इजरायल तनाव के बीच भारत ने बढ़ाई रूसी तेल की खरीद, रिपोर्ट में खुलासा

ईरान और इजरायल युद्ध के बीच आशंका जताई जा रही थी कि ईरान तेल परिवहन के लिए महत्वपूर्ण होर्मूज की खाड़ी को बंद कर सकता है. भारत ने हालांकि कहा था कि वो किसी भी स्थिति के लिए तैयार है. ऐसे में खबर आ रही है कि भारतीय रिफाइनरियों ने रूसी कच्चे तेल यूराल की खरीद 2025 में बढ़ा दी है.

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रूस भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता है (Photo- Reuters)
रूस भारत का शीर्ष तेल आपूर्तिकर्ता है (Photo- Reuters)

मध्य-पूर्व में मचे हलचल के बीच रूस से भारतीय कंपनियों की तेल खरीद में भारी उछाल देखा जा रहा है. डेटा एनालिटिक्स फर्म केप्लर के मुताबिक, रूस ने इस साल समुद्री रास्ते से अपना जितना कच्चा तेल (यूराल ग्रेड) बेचा, उसका 80%  भारत ने खरीदा है. सबसे अधिक यूराल भारत की दो प्राइवेट कंपनियों रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी ने खरीदा.

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा एनर्जी ने देश में आयातित यूराल क्रूड का 45% खरीदा है. भारत ने इस साल 23.1 करोड़ बैरल यूराल क्रूड खरीदा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि रिलायंस और नायरा दोनों की रूस तेल खरीद में 2025 में भारी बढ़ोतरी देखी गई हैं.

तेल बाजार के जानकारों का मानना है कि भारत रूस से कच्चे तेल की अंधाधुंध खरीद मध्य-पूर्व में अस्थिरता को देखते हुए कर रहा है. ईरान-इजरायल की लड़ाई के दौरान तेल को लेकर अस्थिरता और बढ़ गई थी. रविवार को अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु संयंत्रों नतांज, फोर्डो और इस्फहान पर हमला कर दिया था जिससे गुस्साए ईरान ने होर्मूज जलमार्ग को बंद करन की धमकी दी थी.

इसी जलमार्ग से होकर मध्य-पूर्व का तेल भारत और चीन जैसे देशों में पहुंचता है. इस शिपिंग मार्ग के जरिए वैश्विक तेल आपूर्ति का कम से कम 20% हिस्सा गुजरता है. विश्लेषकों का कहना था कि अगर यह जलमार्ग बंद होता है तो तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जा सकती हैं.

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वहीं, भारत सरकार का कहना था कि अगर होर्मूज जलमार्ग बंद भी हो जाता है तो वो उसके प्रभावों को कम करने में सक्षम होगी. 

रूसी तेल की सबसे बड़ी खरीददार है यह भारतीय कंपनी

रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज इस साल रूसी तेल की दुनिया की सबसे बड़ा खरीदार बन गई है जिसने 2025 में 7.7 करोड़ बैरल यूराल क्रूड खरीदा है. रिलायंस ने दिसंबर 2024 में रूस की दिग्गज तेल कंपनी रोसनेफ्ट के साथ 500,000 बैरल प्रतिदिन (बीपीडी) कच्चे तेल के लिए दस साल का समझौता किया था, जिसकी कीमत सालाना लगभग 13 अरब डॉलर है. यह भारत और रूस के बीच एनर्जी की अब तक की सबसे बड़ी डील है.

वहीं, नायरा एनर्जी की बात करें तो, इस कंपनी में रूस का भी हिस्सा है. 2017 में, रोसनेफ्ट ग्रुप ने कई रूसी कंपनियों के साथ मिलकर भारत के एस्सार ऑयल में 98% हिस्सेदारी 12.9 अरब डॉलर में खरीदी थी. बाद में कंपनी को नायरा एनर्जी के रूप में पुनर्गठित किया गया, जिसमें रोसनेफ्ट ने 49.13% हिस्सेदारी रखी. ब्लूमबर्ग ने कहा कि इसके तेल आयात का लगभग 72% हिस्सा रूस से आता है. तीन साल पहले यह हिस्सा महज 27% था.

दरअसल, फरवरी 2022 यानी रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले भारत रूस से न के बराबर कच्चा तेल खरीदता था लेकिन युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी प्रतिबंध झेल रहे रूस ने भारत को रियायती दरों पर कच्चा तेल ऑफर किया. उसके बाद से भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद शुरू की और जल्द ही रूस भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया और अब भी वो भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल सप्लायर है.

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समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने केप्लर डेटा का हवाला देते हुए बताया कि मई में, भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात लगभग 18 लाख बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गया, जो पिछले दस महीनों में सबसे ज्यादा है.  

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