भारत में जल्द अमेरिका अपने राजदूत की नियुक्ति कर सकता है. अमेरिकी कांग्रेस के ऊपरी सदन (सीनेट) की एक समिति ने बुधवार को भारत में अमेरिकी राजदूत पद के लिए लॉस एंजिल्स के पूर्व मेयर एरिक गार्सेटी के पक्ष में वोटिंग की. सदन की विदेश संबंधी समिति ने बुधवार को गार्सेटी के नामांकन को 13-8 के वोट से मंजूरी दी है. गार्सेटी के ऊपर लगे यौन उत्पीड़न मामले से निपटने के सवालों के बीच सीनेट की वोटिंग से उनका राजदूत बनने का रास्ता साफ हो गया.
गार्सेटी के ऊपर आरोप है कि लॉस एंजिल्स के मेयर रहते हुए उन्होंने यौन शोषण करने वाले अपने ऑफिस स्टाफ पर कार्रवाई नहीं की थी.
हालांकि, इस बात की अभी भी पुष्टि नहीं की गई है कि उनके ऑफिस स्टाफ पर चल रहे यौन उत्पीड़न के आरोपों के बीच उनकी नियुक्ति कब की जाएगी.
पिछले दो साल से भारत में अमेरिका का स्थायी राजदूत नहीं
अमेरिका ने भारत में पिछले दो साल से अपना कोई स्थायी राजदूत नहीं नियुक्त किया है. 2018 से ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दबदबे को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव चरम पर है. ऐसे में क्षेत्र के अहम देश भारत में अमेरिकी राजदूत नहीं होने पर अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भी टिप्पणी की है.
सीनेट समिति में भारत में अमेरिकी राजदूत को लेकर की गई वोटिंग पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि देश की जरूरत और महत्व को देखते हुए सीधे शब्दों में कहें तो अमेरिका को भारत में एक स्थायी राजदूत की आवश्यकता है.
प्राइस ने कहा, "यह दोनों देशों के हित में होगा कि हमारे पास एक स्थायी राजदूत हो. हमें उम्मीद है कि एरिक गार्सेटी जल्द ही इस पद को संभालेंगे. दुनिया भर में कोई ऐसा देश नहीं है जो भारत जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और अहम देशों के राजदूत पद को दो साल से अधिक समय तक खाली रखे."
भारत में अमेरिकी राजदूत के लिए सदन में वोटिंग
गार्सेटी को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जुलाई 2021 में भारत में राजदूत के रूप नामित किया था. गार्सेटी के नाम को सीनेट समिति ने भी जनवरी 2022 में मंजूरी भी दे दी थी. लेकिन रिपब्लिकन और कुछ डेमोक्रेट्स ने मेयर कार्यकाल के दौरान उनके स्टाफ सदस्य के ऊपर लगे यौन उत्पीड़न पर सही से कार्रवाई नहीं करने पर सवाल उठाया. जिसके बाद गार्सेटी की नियुक्ति रोक दी गई थी.
जनवरी में समाप्त हुए सदन सत्र से पहले तक गार्सेटी को कभी भी पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया था. जिसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपित जो बाइडेन ने गार्सेटी को वर्तमान सत्र की शुरुआत में फिर से नामित किया.
पिछले दो साल से भारत में अमेरिका का स्थायी राजदूत नहीं
जनवरी 2021 में तत्कालीन अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर के इस्तीफा के बाद से नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास बिना राजदूत के चल रहा है. दोनों देशों के राजनयिक इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि दो साल से ज्यादा समय तक भारत में अमेरिका का कोई स्थायी राजदूत नहीं है.
बाइडेन के सत्ता में आने के बाद से अमेरिका ने भारत को अपना अहम रणनीतिक सहयोगी बताया है. यहां तक कि अमेरिका चाहता है कि हथियारों को लेकर भारत की रूस पर निर्भरता भी कम हो. अमेरिका ने भारत को आधुनिक तकनीक मुहैया कराने को लेकर कई समझौते भी किए हैं. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन का आधा कार्यकाल खत्म होने के बावजूद भारत में अमेरिका का कोई स्थायी राजदूत नहीं होने को लेकर कई सवाल खड़े किए जा रहे थे. इसे अमेरिका की विदेश नीति में भारत की उपेक्षा से भी जोड़कर देखा गया.
सत्ता में आने के बाद से बाइडेन सरकार ने छह लोगों को राजदूत के रूप में अंतरिम प्रभार सौंपा है लेकिन किसी को भी स्थायी राजदूत नहीं नियुक्त किया गया है.
दोनों देशों के लिए राजदूत का होना अहम
पिछले साल अक्टूबर में द प्रिंट से बात करते हुए भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत केनेथ जस्टर ने कहा था, "मेरा मानना है कि बिना राजदूत के दोनों देशों में अटूट द्विपक्षीय संबंध संभव नहीं है. दोनों देश हर मसले को विदेश मंत्रालय के स्तर पर नहीं सुलझा सकते हैं. राजदूत का होना बहुत ही जरूरी है."