
लेबनान में हाल ही में 3000 पेजर और दर्जनों वॉकी-टॉकी में एक साथ ब्लास्ट हुआ था. इससे पूरे लेबनान में हड़कंप मच गया था. इस सीक्रेट ऑपरेशन को शानदार तरीके से अंजाम दिया गया था, इस ऑपरेशन का नाम था 'ऑपरेशन ग्रिम बीपर'.
ऑपरेशन ग्रिम बीपर को बेहतरीन ऑपरेशन इसलिए माना जा सकता है क्योंकि इसके जरिए 4 ऑपरेशनों को एक साथ अंजाम दिया गया. दो दिन में हजारों पेजर और वॉकी-टॉकी के विस्फोट में लेबनान में 37 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 3000 लोग घायल हो गए थे. ये ऑपरेशन हाल के इतिहास में सबसे सावधानीपूर्वक और योजनाबद्ध तरीके से किए गए हमलों में से एक है. पेजर ब्लास्ट में इजरायल की संभावित भागीदारी, सटीक निशाना, हाई लेवल का कॉर्डिनेशन और ऑपरेशन द्वारा पूरे किए गए कई उद्देश्य साफ तौर पर नजर आ रहे हैं, जिससे इजरायल और लेबनान के बीच गहमा-गहमी बढ़ गई है.
अब एक-एक कर जानते हैं कि कौन से 4 ऑपरेशनों को एक साथ अंजाम दिया गया, जिसके चलते अलग-अलग उद्देश्य पूरे हुए. हालांकि एक बात तो साफ है कि इन संभावित इज़राइली हमलों से हिज्बुल्लाह को तगड़ा झटका लगा है.
1. हिज़्बुल्लाह की सप्लाई चेन की मैपिंग और सटीक घुसपैठ
माना जाता है कि हिज़्बुल्लाह को टारगेट करने वाले पेजर ब्लास्ट आतंकी समूह की सप्लाई चेन में घुसपैठ का बेहतरीन परिणाम थे. इसने इज़राइल की उन्नत खुफिया क्षमताओं को प्रदर्शित किया और पेजर की निर्माण और आपूर्ति प्रक्रिया में छोटे विस्फोटक उपकरणों को लगाकर घुसपैठ की. इजराइलियों ने हिज़्बुल्लाह के लड़ाकों के लिए बनाए गए पेजर को सिर्फ़ फिजिकली तौर पर ही नहीं रोका, बल्कि उन्होंने बुडापेस्ट में एक शेल कंपनी खोलकर उन्हें ऑर्गेनाइजेशन बनाने और उन्हें बेचने की हद तक चले गए. यह अपने आप में एक संपूर्ण ऑपरेशन है.
जो पेजर ब्लास्ट हुए हैं, वह हिज़्बुल्लाह द्वारा आयात किए गए लगभग 5000 उपकरणों के शिपमेंट का हिस्सा थे. इससे यह पता चलता है कि इजरायली खुफिया एजेंसियों ने हिज्बुल्लाह के अंदरूनी कामकाज में कितनी प्रभावी तरीके से घुसपैठ की और उसे समझा. इजरायलियों ने हिज्बुल्लाह की पूरी सप्लाई चेन को समझने और उसकी मैपिंग करने के लिए व्यापक खुफिया जानकारी जुटाई होगी, जिसमें उसकी विदेशी खरीद नेटवर्क भी शामिल हैं.

2. हजारों परफेक्ट एक्सप्लोसिव डिवाइस बनाए
पेजर की हेराफेरी के लिए विस्फोटकों की आदर्श मात्रा की आवश्यकता थी, न एक ग्राम ज्यादा न एक ग्राम कम. इसे जिसे PETN कहा जाता था. चूंकि हजारों डिवाइस बड़ी मात्रा में और बहुत बड़े एरिया में बांटे जाने थे, इसलिए एजेंटों को बेहद अलर्ट रहना था, ताकि पेजर बड़े विस्फोटक डिवाइस में न बदल जाएं. यह भी ध्यान रखना था कि हेराफेरी किए गए पेजर को लेकर कोई संदेह पैदा न करे. इसके लिए इजरायली खुफिया एजेंसियों ने एक छोटा विस्फोटक सिस्टम डवलप किया, जिसे छोटे पेजर के अंदर छिपाया जा सके. कोई सिर्फ कल्पना ही कर सकता है कि पेजर के अंदर रखे जाने वाले PETN की मात्रा को निर्धारित करने में कितनी सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई होगी, जिसकी वजह से कंट्रोल्ड ब्लास्ट हुए. इसमें एक विस्फोट से हिज़्बुल्लाह के एक लड़ाके को निशाना बनाया गया.
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3. नकली उपकरणों को टारगेट तक पहुंचाना और ब्लास्ट करना
हिज्बुल्लाह के लड़ाकों के लिए पेजर की पहली खेप लेबनान पहुंचने के बाद इजरायली खुफिया एजेंसियों को संभवतः कुछ महीनों तक तनाव का सामना करना पड़ा. क्योंकि ब्लास्ट का बटन दबाने के लिए सही समय का इंतजार करना पड़ा था. नकली उपकरणों के पकड़े जाने का भी खतरा मंडरा रहा था. अगर हिजबुल्लाह लड़ाकों को केवल कुछ 100 पेजर ही बांटे गए होते, तो खतरा और भी कम हो जाता, लेकिन 5000 से अधिक पेजर प्रचलन में होने की रिपोर्ट के साथ जोखिम काफी हद तक बढ़ गया. पेजर में एक्सप्लोसिव डिवाइस होने का पता लगाने का खतरा भी मंडरा रहा था. खासकर तब जब लताकिया पोर्ट और लेबनान के साथ लैंड बॉर्डर के जरिए सीरिया में आने वाले सौर पैनलों के शिपमेंट में जासूसी उपकरण पाए गए थे. सीरिया.टीवी द्वारा मई 2024 में की गई जांच के अनुसार इन उपकरणों का पता इजरायल से लगाया गया था और इनका उद्देश्य सीरिया में IRGC और ईरान के प्रॉक्सी पर निगरानी रखना था.

4. हिजबुल्लाह के कम्युनिकेशन और लड़ाकों को पंगु बनाना
कहते हैं कि कम्युनिकेशन विवादों को निपटाने की कुंजी है. युद्ध के समय यह और भी महत्वपूर्ण हो जाती है. जंग के समय ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा दुश्मन के संचार यानी कम्युनिकेशन को निष्क्रिय करने में खर्च होता है, यह अपने आप में एक संपूर्ण ऑपरेशन है. दो दिनों के विस्फोटों में जो बात आम थी, वह थी संचार उपकरण. इजरायल जैसी सैन्य रूप से श्रेष्ठ सेना के खिलाफ हिज्बुल्लाह के प्रभावी रूप से खड़े होने के लिए उनके पेजर और रेडियो को निष्क्रिय करने से उनकी संचार क्षमताएं गंभीर रूप से पंगु हो गई हैं, जिससे रक्षा करना बहुत कठिन हो गया है. फरवरी में हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह ने अपने लड़ाकों से मोबाइल फोन हटाने को कहा था, जिसके बाद हिज्बुल्लाह के लड़ाकों ने अपने मोबाइल फोन बंद कर दिए थे, क्योंकि इजरायली खुफिया एजेंसियों ने उनमें घुसपैठ कर ली थी. सभी संचार उपकरणों जैसे मोबाइल फोन, वॉकी-टॉकी और पेजर के प्रभावी रूप से निष्क्रिय होने के कारण इजरायली हमले की स्थिति में हिज्बुल्लाह गंभीर रूप से कमजोर हो जाएगा.