अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के विरोध में झंडा बुलंद किए हुए हैं. ट्रंप और उनके समर्थक हार्वर्ड को वामपंथी और कम्युनिस्ट विचारधारा का गढ़ मानते हैं. ट्रंप का कहना है कि हार्वर्ड जैसे संस्थान अमेरिकी मूल्यों के खिलाफ हैं और डायवर्सिटी, इक्विटी, और इनक्लूजन (DEI) प्रोग्राम्स के जरिए विभाजनकारी विचारधाराओं को बढ़ावा देते हैं. इस बीच ट्रंप ने यूनिवर्सिटी को झुकाने के लिए नया पैंतरा अपनाया है.
ट्रंप प्रशासन का दो टूक फरमान है कि अगर हार्वर्ड उनकी शर्तें नहीं मानता है तो यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों के दाखिले पर रोक लगा ई जा सकती है. अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग की चीफ क्रिस्टी नोएम ने कहा कि अगर हार्वर्ड ने शर्तें नहीं मानी तो यूनिवर्सिटी विदेशी छात्रों को दाखिला देने के अधिकार को खो सकती है.
बता दें कि दुनिया की प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की 2.2 अरब डॉलर से ज्यादा की फंडिंग रोक दी है. ट्रंप ने यह फैसला यहूदियों के खिलाफ बढ़ती नफरत और फिलिस्तीन के समर्थन में हो रहे प्रदर्शनों को रोकने में यूनिवर्सिटी के असफल रहने का आरोप लगाकर लिया है. ट्रंप ने इसे संघीय कानून का उल्लंघन बताते हुए कहा कि ऐसी यूनिवर्सिटी को सरकारी फंडिंग का अधिकार नहीं है.
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में यहूदी छात्रों और प्रोफेसरों के खिलाफ भेदभाव हो रहा है. ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को मिलने वाले 9 अरब डॉलर के फंड की समीक्षा शुरू कर दी थी.
इसके साथ ही ट्रंप सरकार ने हार्वर्ड को कुछ नीतिगत बदलाव करने को कहा था, जिसका पालन नहीं करने पर फंडिंग रोकने की धमकी दी थी. यह मामला तब और गरमाया जब हार्वर्ड के प्रोफेसर्स ने ट्रंप के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराते हुए इसे असंवैधानिक और यूनिवर्सिटी की स्वायत्तता पर हमला बताया. नोएम का कहना है कि उन्होंने इस संबंध में हार्वर्ड को चिट्ठी लिखी है और 30 अप्रैल तक विदेसी स्टूडेंट्स का डेटा मांगा है.
ट्रंप को हार्वर्ड से दिक्कत क्या है?
राष्ट्रपति ट्रंप लंबे समय से अमेरिका की यूनिवर्सिटिज में प्रचलित ‘वोक’ संस्कृति और डायवर्सिटी, इक्विटी, और इन्क्लूजन (DEI) प्रोग्राम्स के खिलाफ रहे हैं. उनका मानना है कि ये कार्यक्रम भेदभाव बढ़ाते हैं और मेरिट आधारित सिस्टम को कमजोर करते हैं.
हार्वर्ड पर विशेष रूप से आरोप है कि इनके DEI कार्यक्रम से ‘रिवर्स डिस्क्रिमिनेशन’ को मजबूती मिली है, विशेष रूप से गैर-यहूदी और गैर-माइनॉरिटी समूहों के खिलाफ. ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड से इन कार्यक्रमों को खत्म करने की मांग की है. ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड से भर्ती और दाखिले में पूरी तरह मेरिट बेस्ड सिस्टम अपनाने को कहा है.
ट्रंप का तर्क है कि हार्वर्ड जैसे बड़े विश्वविद्यालय जिन्हे अरबों डॉलर की फंडिंग मिलती है, उनकी जवाबदेही सुनिश्चित होनी चाहिए. उनका कहना है कि अगर हार्वर्ड उनकी नीतियों का पालन नहीं करता तो उसे सरकारी सहायता क्यों मिले? बता दें कि यह कदम ट्रंप की उस पॉलिसी का हिस्सा है, जिसमें वे सरकारी खर्च को कम करने और उन संस्थानों को निशाना बनाना चाहते हैं, जिन्हें वे लिबरल मानते हैं.
बता दें कि यूनिवर्सिटी को मिलने वाली नौ अरब डॉलर की फंडिंग रिसर्च, स्टूडेंट स्कॉलरशिप और कई साइंस प्रोजेक्ट्स के लिए बेहद जरूरी है.