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बांग्लादेश हिंसा को लेकर सरकार ने पूर्व आर्मी चीफ समेत 20 लोगों को भेजा समन

बांग्लादेश ICT ने रविवार को पूर्व सेना प्रमुख जियाउल अहसान, 10 पूर्व मंत्री और देश की  पूर्व पीएम शेख हसीना के दो सलाहकारों समेत 20 लोगों को समन भेजा है. आईसीटी ने सभी लोगों को कथित नरसंहार के संबंध में अगले महीने पेश होने का निर्देश दिया है.

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मोहम्मद यूनुस. (फाइल फोटो)
मोहम्मद यूनुस. (फाइल फोटो)

बांग्लादेश इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) ने रविवार को 20 लोगों को समन भेजा है, जिसमें पूर्व सेना प्रमुख जियाउल अहसान, 10 पूर्व मंत्री और देश की  पूर्व पीएम शेख हसीना के दो सलाहकार शामिल हैं. आईसीटी ने सभी लोगों को जुलाई-अगस्त में विद्रोह के दौरान कथित नरसंहार के खिलाफ क्राइम के संबंध में अगले महीने पेश होने का निर्देश दिया है.
 
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के अनुसार, विद्रोह के दौरान कम-से-कम 753 लोग मारे गए और हजारों घायल हुए, जिसे आईसीटी अभियोजन टीम और अंतरिम सरकार ने मानवता के खिलाफ क्राइम और नरसंहार करार दिया है. हसीना और उनकी पार्टी के नेताओं के खिलाफ अब तक आईसीटी जांच एजेंसी और अभियोजन टीम के पास मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार की 60 से अधिक शिकायतें दर्ज हैं.

पूर्व PM के  2 सलाहकारों को भी भेजा समन

द डेली स्टार अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, ICT ने संबंधित अधिकारियों को 18 नवंबर को 10 पूर्व मंत्रियों और पूर्व प्रधानमंत्री हसीना के दो सलाहकारों सहित 20 लोगों को पेश करने का निर्देश दिया है.

यह आदेश मुख्य अभियोजक मोहम्मद ताजुल इस्लाम के एक आवेदन पर न्यायमूर्ति एमडी गोलाम मुर्तुजा मजूमदार के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय ITC पीठ द्वारा जारी किया है.

आरोपियों  में पूर्व मंत्री फारूक खान, राशिद खान मेनन, हसनुल हक इनु, जुनैद अहमद पलक, अब्दुर रज्जाक, शाहजहां खान, कमाल अहमद मजूमदार और गुलाम दस्तगीर गाजी शामिल हैं. ढाका ट्रिब्यून अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के पूर्व सलाहकार तौफीक-ए-इलाही और सलमान एफ रहमान, पूर्व सेना प्रमुख अहसान, पूर्व न्यायाधीश शम्सुद्दीन चौधरी माणिक और पूर्व गृह सचिव जहांगीर आलम के भी नाम शामिल हैं.

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पहले 45 लोगों के खिलाफ जारी किया था वारंट

17 अक्टूबर को ट्रिब्यूनल ने हसीना और उनके बेटे वाजिद जॉय समेत 45 अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे, जिसमें कई पूर्व कैबिनेट सदस्य शामिल थे.

बता दें कि आईसीटी का गठन मार्च 2010 में हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग सरकार द्वारा 1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान मानवता के खिलाफ किए गए अपराधों के अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए किया गया था. बाद में इसने आईसीटी-2 का गठन किया और दो न्यायाधिकरणों के फैसलों के बाद कम-से-कम छह जमात-ए-इस्लामी और हसीना की प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया की BNP के नेताओं को फांसी दे दी गई. न्यायाधिकरण के अध्यक्ष के सेवानिवृत्त होने के बाद जून के बीच से निष्क्रिय रहा.

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आपको बता दें कि छात्रों के नेतृत्व में उग्र प्रदर्शन के बाद बांग्लादेश की तत्कालीन पीएम शेख हसीना ने 5 अगस्त को इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया था और भारत में शरण ले ली. इसके बाद 8 अगस्त को नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन किया गया. बीते दिनों मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने 12 अक्टूबर को ट्रिब्यूनल का पुनर्गठन किया है.

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