अमेरिका और यूक्रेन के बीच शुक्रवार को हुई बैठक के बाद नए तनाव उभर रहे हैं. वार्ता के दौरान ट्रंप प्रशासन ने एक अहम गैस पाइपलाइन की मांग की है, जिसे यूक्रेनी अधिकारी "औपनिवेशिक दबाव" के रूप में देख रहे हैं. रिपोर्ट की मानें तो इस मांग से जुड़े चर्चाओं के दौरान अमेरिका ने इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कार्पोरेशन (आईडीएफसी) के जरिए इस पाइपलाइन पर नियंत्रण की संभावना जताई है.
जंग समाप्त कराने की दिशा में अमेरिका लगातार रूस के साथ संपर्क में है, और इस बीच वो यूक्रेन से पहले खनिज और अब पाइपलाइन की डिमांड रखी है. यह पाइपलाइन पश्चिमी रूस के सुद्झा से स्लोवाकियाई सीमा के करीब स्थित उजहोरोड तक जाती है और यूरोप को रूसी गैस आपूर्ति के लिए अहम मानी जाती है. हालांकि, इसी साल जनवरी से यह पाइपलाइन बंद है. यूक्रेन और रूस के बीच हुए समझौते समाप्त होने के बाद इस पाइपलाइन में गैस की सप्लाई बंद कर दी गई, और दोनों देशों को मिलने वाले करोड़ों यूरो के ट्रांजिट शुल्क भी बाधित हो गए.
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अमेरिका यूक्रेन से क्या चाहता है?
इस बीच, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक समझौते की पेशकश की है जिसके तहत अमेरिकी कंपनियों को यूक्रेन के विशाल खनिज संसाधनों, जैसे दुर्लभ पृथ्वी धातुओं, तेल और गैस, तक पहुंच मिलेगी, लेकिन यह समझौता पहले की तुलना में हथियार या सुरक्षा गारंटी के बिना होगा.
यूक्रेन को अमेरिका दे रहा चेतावनी
ट्रंप के मुताबिक, पिछले साल यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने यूक्रेन के अल्पविकसित खनिज क्षेत्र को अमेरिकी पहुंच देने की एक संभावना के रूप में उठाया था. ट्रंप ने वार्ता की स्पीड को लेकर नाराजगी जाहिर की है और जेलेंस्की पर समझौते से पीछे हटने का आरोप लगाया. उन्होंने यूक्रेनी नेता को चेतावनी दी कि यदि उन्होंने साइन नहीं किया तो उन्हें "बड़ी समस्याओं" का सामना करना पड़ेगा.
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क्या बोले राष्ट्रपति जेलेंस्की?
इन पूरे मामलों पर राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा, "मैं केवल यूक्रेन के अधिकारों की रक्षा कर रहा हूं. यह अमेरिका और यूक्रेन दोनों के लिए लाभकारी होना चाहिए. यह सही काम है." उन्होंने कहा कि वे यूक्रेन के बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि रेवेन्यू शेयर "50-50" होना चाहिए.