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अब ट्रंप दुनिया पर लगा सकेंगे मनचाहा टैरिफ, अमेरिकी कोर्ट में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की जीत

अमेरिका के एक कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वैश्विक टैरिफ नीति को फिलहाल जारी रखने की अनुमति दी है. यह राहत तब आई है जब 9 जुलाई को ट्रंप द्वारा टैरिफ रेट्स बढ़ाए जाने की संभावना है. अब बिजनेसेज को राहत मिलेगी या नहीं, यह तभी साफ होगा जब जुलाई में ही यूएस सुप्रीम कोर्ट मामले में हस्तक्षेप करेगा.

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डोनाल्ड ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन को मंगलवार को कोर्ट से राहत मिली है. कोर्ट ने उनके विवादित ग्लोबल टैरिफ पॉलिसी को कम से कम फिलहाल जारी रखने की इजाजत दे दी है. इस फैसले के तहत कोर्ट ने एक निचली अदालत के फैसले को रोके रखने वाली पहले लगाई गई रोक को बढ़ाया है, जिससे ट्रंप प्रशासन को अपनी मुख्य आर्थिक नीतियों पर अस्थायी रूप से जीत मिली है.

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यह आदेश ऐसे समय आया है जब ट्रंप का “रेसिप्रोकल” टैरिफ्स पर 90 दिनों का विराम 9 जुलाई को खत्म होने वाला है. इस तारीख के बाद अगर किसी देश का अमेरिका के साथ व्यापार समझौता नहीं होता है तो टैरिफ रेट में काफी बढ़ोतरी हो सकती है. कोर्ट ने इस मामले को तेजी से निपटाने का फैसला किया है और अगली बहस 31 जुलाई के लिए निर्धारित की है. कोर्ट ने इस मुद्दे को "असाधारण महत्वपूर्णठ बताया है.

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1977 के कानून के तहत ट्रंप ने लागू की अपनी पॉलिसी

ट्रंप के टैरिफ-जिनमें 10% वैश्विक शुल्क और चीन, कनाडा, मैक्सिको और यूरोपीय संघ के देशों पर अतिरिक्त शुल्क शामिल हैं - उसको 1977 के इंटरनेशनल इमरजेंसी सिचुएशन से संबंधित अधिनियम (IEEPA) के तहत लागू किया गया था. यह कानून आमतौर पर युद्ध या राष्ट्रीय सुरक्षा जैसी आपातकालीन स्थितियों में इस्तेमाल किया जाता है. एक ट्रेड कोर्ट ने पहले ट्रंप के IEEPA के इस्तेमाल को अनुचित बताया था और कहा था कि यह कानून राष्ट्रपति को आयात पर असीमित टैक्स लगाने की शक्ति नहीं देता.

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सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप तक ट्रंप को राहत

हालांकि, मंगलवार के फैसले ने उस फैसले को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है, जिससे ये टैरिफ तब तक लागू रहेंगे जब तक कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट जुलाई से पहले हस्तक्षेप नहीं करती. न्यूयॉर्क स्थित वाइन आयातकर्ता V.O.S. Selections जैसे कंपनियों ने इन टैरिफ्स को चुनौती दी थी, यह कहते हुए कि इससे उनकी लागत बढ़ेगी और संभवतः दिवालियापन का खतरा होगा. डेमोक्रेट-नेतृत्व वाले राज्यों के समूह ने भी मुकदमे दायर किए थे, जिसमें टैरिफ्स को असंवैधानिक और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं के लिए हानिकारक बताया गया था.

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