कुछ समय पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख आसिम मुनीर से मिले थे. अधिकारियों और विश्लेषकों का कहना है कि इस मुलाकात को लेकर भारत ने निजी रूप से राजनयिक विरोध जताया था. अधिकारियों के मुताबिक, अमेरिका से कहा गया इससे द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान हो सकता है. इसी बीच भारत बचाव के तौर पर चीन के साथ अपने संबंधों को फिर से संतुलित करने की दिशा में भी कदम बढ़ा रहा है. इसी प्रयास के तहत शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के लिए हाल ही में चीन गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की थी.
विश्लेषकों का कहना है कि भारत और अमेरिका के संबंधों में दशकों तक सकारात्मक दिशा में प्रगति देखी गई लेकिन हालिया घटनाओं से संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ा है. ट्रंप-मुनीर की बैठक के साथ-साथ और कई बातें हुई हैं जिससे दोनों देशों के व्यापार वार्ता पर बुरा असर हुआ है. ट्रंप प्रशासन अन्य देशों की तरह ही भारत पर भी टैरिफ लगाने पर विचार कर रहा है जिससे बचने के लिए भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की कोशिश कर रहा है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए मामले से सीधे तौर पर परिचित तीन वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान, खासकर उसकी सेना पर सीमापार आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाया है और अमेरिका से कहा है कि फील्ड मार्शल असीम मुनीर को लंच पर बुलाकर अमेरिका गलत संदेश भेज रहा है.
अधिकारियों का कहना है कि ट्रंप-मुनीर की मुलाकात एक ऐसा नासूर बन गया है जो आगे चलकर संबंधों को प्रभावित करेगा.
पिछले दो दशकों में छोटे-मोटे तनाव के बावजूद, भारत-अमेरिका संबंध मजबूत हुए हैं. अमेरिका इंडो-पैसिफिक में चीन का मुकाबला करने के लिए भारत को जरूरी मानता है और भारत भी चीन की बढ़ती आक्रामकता को रोकने के लिए अमेरिका के साथ अपने संबंधों को तरजीह देता है.
एशिया पैसिफिक फाउंडेशन थिंक टैंक के वाशिंगटन स्थित सीनियर फेलो माइकल कुगेलमैन कहते हैं कि वर्तमान की समस्याएं अलग हैं.
वो कहते हैं, 'जिस तेजी से जल्दबाजी में अमेरिका पाकिस्तान के साथ बातचीत कर रहा है और भारत की चिंताओं पर ध्यान नहीं दे रहा है, खासकर पाकिस्तान के साथ भारत के हालिया संघर्ष के बाद, इससे द्विपक्षीय संबंधों पर अच्छा असर नहीं हुआ है. इस बार ट्रंप के टैरिफ की वजह से व्यापार के क्षेत्र में भी तनाव बढ़ रहा है.'
मुनीर का व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ लंच
विश्लेषकों का कहना है कि ऐसा लगता है कि भारत और पाकिस्तान के बीच मई में चार दिनों तक चले संघर्ष के बाद अमेरिका ने पाकिस्तान को लेकर अलग रुख अपनाया है. 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के लिए भारत ने पाकिस्तान को जिम्मेदार बताया था.
हिंदू समुदाय को निशाना बनाकर किए गए हमले में 26 लोग मारे गए थे और 17 घायल हुए थे. हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर (POK)के 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए हमला किया था जिसके बाद दोनों देशों के बीच चार दिनों तक संघर्ष चला.
चार दिनों की लड़ाई के बाद दोनों देश युद्धविराम पर सहमत हुए. संघर्ष के कुछ हफ्ते बाद ट्रंप ने व्हाइट हाउस में मुनीर को लंच पर बुलाया, जो कि अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में एक बड़ा सुधार था. ट्रंप के पहले कार्यकाल और जो बाइडेन के कार्यकाल के समय दोनों देशों के संबंध कमजोर पड़ गए थे.
यह पहली बार था जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने देश के सबसे शक्तिशाली माने जाने वाले पाकिस्तानी सेना प्रमुख की व्हाइट हाउस में मेजबानी की थी. इस दौरान आसिम मुनीर के साथ पाकिस्तानी सरकार का कोई वरिष्ठ अधिकारी नहीं था.
एक तरफ मुनीर से मुलाकात और दूसरी तरफ ट्रंप का बार-बार ये कहना कि उन्होंने दोनों देशों को व्यापार वार्ता रोकने की धमकी देकर उनके बीच परमाणु युद्ध टाल दिया, भारत को नागवार गुजरा. ट्रंप की मध्यस्थता की बात को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि युद्धविराम दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच बातचीत से हुआ है, न कि अमेरिकी मध्यस्थता से.
दो अधिकारियों ने बताया कि ट्रंप और मुनीर की मुलाकात 18 जून को हुई और इस मुलाकात के बाद, प्रधानमंत्री कार्यालय और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के कार्यालय के अधिकारियों ने अपने अमेरिकी समकक्षों को अलग-अलग फोन करके विरोध दर्ज कराया. इसे लेकर हालांकि, कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया कि भारत ने विरोध दर्ज कराया है.
एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी ने कहा, 'हमने सीमा पार आतंकवाद पर अपनी स्थिति अमेरिका को बता दी है, जो हमारे लिए एक सीमा रेखा है. यह मुश्किल समय है... ट्रंप हमारी चिंताओं को समझ नहीं रहे हैं जिससे संबंधों में खटास पैदा होती है.'
दो अधिकारियों ने बताया कि इससे भारत में यह चिंता भी पैदा हो गई है कि अगर दोनों पड़ोसियों के बीच फिर से युद्ध छिड़ता है तो पाकिस्तान को अमेरिका से मिलने वाले किसी भी हथियार का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया जा सकता है.
अमेरिका के प्रति भारत का कठोर रुख और चीन के साथ बढ़ते संबंध
भारतीय अधिकारियों और एक भारतीय उद्योग लॉबिस्ट ने कहा कि ट्रंप और पीएम मोदी सार्वजनिक रूप से भले ही दोस्ती दिखा रहे हैं, बावजूद इसके भारत ने हाल के दिनों में अमेरिका के प्रति कड़ा रुख अपनाया है और दोनों देशों की व्यापार वार्ता भी धीमी पड़ गई है.
जून में कनाडा में जी-7 बैठक के बाद मोदी को अमेरिका जाने का ट्रंप का निमंत्रण मिला था जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया था. इस महीने की शुरुआत में, भारत ने विश्व व्यापार संगठन में अमेरिका के खिलाफ जवाबी शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा था, जिससे पता चला कि व्यापार वार्ता उतनी सुचारू रूप से नहीं चल रही है, जितनी भारत-पाकिस्तान संघर्ष से पहले चल रही थी.
भारत के ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन थिंक टैंक के विदेश नीति प्रमुख हर्ष पंत ने कहा कि अन्य देशों की तरह भारत भी ट्रंप से निपटने का तरीका ढूंढने की कोशिश कर रहा है और बचाव के तौर पर चीन के साथ संबंधों को फिर से संतुलित कर रहा है.
उन्होंने कहा, 'निश्चित रूप से चीन तक पहुंच बनाने की कोशिश हो रही है. और मुझे लगता है कि यह दोनों तरफ से हो रहा है... चीन भी भारत तक पहुंच बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.'
पिछले हफ्ते विदेश मंत्री जयशंकर ने भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच 2020 में हुए गलवान संघर्ष के बाद पहली बार चीन का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात भी की थी.