अमेरिकी मदद से ईरान और इजरायल के बीच जब से सीजफायर हुआ है, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ईरान के प्रति कट्टर रवैया बदला-बदला नजर आ रहा है. वो बार-बार ईरान के तेल की बात कर रहे हैं और कह रहे हैं कि ईरान बहादुरी से युद्ध लड़ा. बुधवार को पश्चिमी देशों के रक्षा संगठन NATO के एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते हुए ट्रंप ने ईरानी तेल पर लगे प्रतिबंधों में ढील के सवाल पर कहा कि युद्ध के बाद ईरान को पैसे की जरूरत है. ट्रंप की इस टिप्पणी का सीधा मतलब था कि वो ईरानी तेल पर लगे प्रतिबंधों में ढील देने को इच्छुक हैं.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा, 'देखिए, वो अभी एक युद्ध से निकले हैं. उन्होंने बेहद ही बहादुरी से युद्ध लड़ा. वो तेल का बिजनेस करते हैं. मेरा मतलब है कि अगर मैं चाहूं तो उन्हें इससे रोक सकता हूं और चीन को खुद तेल बेच सकता हूं. लेकिन मैं ये नहीं करना चाहता. देश को दोबारा पटरी पर लाने के लिए उन्हें पैसों की जरूरत है. और हम चाहते हैं कि ऐसा हो.'
ट्रंप ने आगे कहा, 'अगर वो तेल बेचना चाह रहे हैं तो बेचेंगी ही. हम तेल पर कब्जा नहीं कर रहे हैं.'
ईरान से चीन के तेल खरीद को ट्रंप ने दी है हरी झंडी
ईरान-इजरायल युद्ध से पहले ट्रंप इस बात के सख्त खिलाफ थे कि कोई भी देश प्रतिबंधित ईरानी तेल खरीदे. बावजूद इसके, चीन अप्रत्यक्ष तरीकों से चोरी-छिपे ईरान का तेल खरीदता है. चीन ईरानी तेल का सबसे बड़ा खरीददार है और उसने ईरानी तेल पर लगे चीनी प्रतिबंधों का हमेशा विरोध किया है.
ईरानी तेल की खरीद को लेकर ट्रंप ने चीन की कई स्वतंत्र छोटी तेल रिफाइनरी कंपनियों और बंदरगाह टर्मिनल ऑपरेटरों पर प्रतिबंध भी लगा दिया था. लेकिन मंगलवार को नेटो शिखर सम्मेलन के लिए जाते वक्त ट्रंप ने कहा कि चीन ईरान से तेल खरीद सकता है. उन्होंने कहा कि इजरायल और ईरान के बीच युद्धविराम पर सहमति के बाद चीन ईरानी तेल खरीदना जारी रख सकता है.
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में कहा, 'चीन अब ईरान से तेल खरीदना जारी रख सकता है. उम्मीद है कि वो (चीन) अमेरिका से भी खूब तेल खरीदेगा.'
ट्रंप के मध्य-पूर्व के दूत स्टीव विटकॉफ ने अमेरिकी ब्रॉडकास्टर सीएनबीसी से बात करते हुए कहा था कि ट्रंप ने चीन को ईरानी तेल खरीदने की खुली छूट इसलिए दी है क्योंकि वो चीन को बताना चाहते थे कि अमेरिका उसके साथ काम करना चाहता है.
उन्होंने कहा, 'ट्रंप संकेत देना चाहते हैं कि हम आपके साथ काम करना चाहते हैं और आपकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने का हमारा कोई इरादा नहीं है.'
ट्रंप के बयान पर व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि ट्रंप बताना चाह रहे हैं कि ईरान ने अब तक होर्मूज की खाड़ी को तेल टैंकरों के लिए बंद करने की कोई कोशिश नहीं की है क्योंकि अगर ऐसा होता तो चीन के लिए मुश्किल हो जाती जो वो नहीं चाहते हैं.
सीजफायर के बाद भी ट्रंप ने ईरानी तेल पर की थी टिप्पणी
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की मदद से कतर की मध्यस्थता में ईरान और इजरायल मंगलवार को 12 दिनों से चल रहे युद्ध को खत्म करने पर सहमत हुए थे. दोनों देशों के बीच सीजफायर के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने ईरानी तेल का जिक्र करते हुए कहा था कि ईरान के पास बहुत तेल है.
ट्रंप तीन दिनों में ही तीन बार ईरानी तेल का जिक्र कर चुके हैं जिससे साफ पता चलता है कि ईरान को लेकर उनकी विदेश नीति में बदलाव आया है. इस बदलाव के पीछे बड़ी वजह है ईरान और इजरायल के बीच युद्ध से तेल की कीमतों का बढ़ना और होर्मूज की खाड़ी के बंद होने का डर.
ईरानी तेल पर भले ही प्रतिबंध लगे हैं लेकिन उसका तेल अप्रत्यक्ष तरीके से तेल बाजार में पहुंच रहा है जिससे तेल की कीमतें स्थिर बनी हुई थी. लेकिन ईरान इजरायल युद्ध शुरू होते ही तेल की कीमतें अचानक से बढ़ गईं. तेल की बढ़ती कीमतों ने अमेरिका समेत दुनिया भर के देशों को परेशान कर दिया.
इसी बीच ईरान भी धमकी देने लगा कि वो होर्मूज की खाड़ी को बंद कर देगा. यह जलमार्ग फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है. इसके एक तरफ अरब देश तो दूसरी तरफ ईरान हैं. आठ द्वीपों से बने इस खाड़ी के सात द्वीपों पर ईरान का नियंत्रण है. होर्मूज जलमार्ग से दुनिया के कुल तेल खपत का लगभग 30% कच्चा तेल गुजरता है.
दुनिया का एक तिहाई लिक्विड पेट्रोलियम गैस (LPG) भी इसी खाड़ी से होकर गुजरता है. ऐसे में ईरान अगर इस खाड़ी को बंद कर देता तो तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो जातीं. कई विश्लेषकों का तो ये तक कहना था कि अगर होर्मूज जलमार्ग बंद होता है तो तेल की कीमतें 250 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं.
अगर ऐसा होता तो पहले ही ट्रंप के टैरिफ से हिली दुनिया की अर्थव्यवस्था और खराब स्थिति में जाने लगती. अमेरिका पहले ही महंगाई से जूझ रहा है और तेल की बढ़ी कीमतों से ट्रंप की घरेलू मुश्किलें बढ़ सकती थीं.
इसी बीच ट्रंप ने सीजफायर कराकर मामला संभाला और अब वो ईरानी तेल पर लगाए प्रतिबंधों में भी ढील की बात कर रहे हैं जो ईरान को लेकर उनके रुख में एक बड़े बदलाव को दिखाता है.
हालांकि, अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व अधिकारी और अब रैपिडन एनर्जी ग्रुप के सीईओ स्कॉट मोडेल का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप का चीन को ईरानी तेल खरीदने को हरी झंडी देना प्रतिबंधों में ढील देना नहीं हुआ.