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डिप्लोमैट की गिरफ्तारी से भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव

भारतीय डिप्लोमैट देवयानी खोबरगड़े की गिरफ्तारी से भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव पैदा हो गया है. भारत सरकार का मानना है कि यह एक अतिवादी कदम है और अमेरिका को इससे बचना चाहिए था. वह चाहती है कि तत्काल इसका समाधान हो.

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भारतीय डिप्लोमैट देवयानी खोबरगड़े
भारतीय डिप्लोमैट देवयानी खोबरगड़े

भारतीय डिप्लोमैट देवयानी खोबरगड़े की गिरफ्तारी से भारत-अमेरिका संबंधों में तनाव पैदा हो गया है. भारत सरकार का मानना है कि यह एक अतिवादी कदम है और अमेरिका को इससे बचना चाहिए था. वह चाहती है कि तत्काल इसका समाधान हो.

दरअसल जिस मेड के वीजा पर बवाल हो रहा है और अमेरिकी एटॉर्नी प्रीत भरारा ने उन पर जो आरोप लगाए हैं सच्चाई उसके उलट है. मेड संगीता रिचर्ड के बारे में अमेरिकी एटॉर्नी का कहना है कि न केवल देवयानी ने उसके लिए जाली कागजात बनवाए बल्कि उसे वायदे से कम मेहनाता दिया. अमेरिका में किसी को भी वायदे से कम मेहनाता देना एक बड़ा अपराध है और उसके लिए सात साल तक की सजा हो सकती है.

भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि संगीता रिचर्ड डिप्लोमैट देवयानी के घर से जून 2013 में ही भाग गई थी जिसके बारे में भारतीय कोर्ट में बकायदा सूचना दर्ज कराई गई थी. दक्षिण दिल्ली की एक अदालत में उस पर धारा 420, 120 बी और 387 के तहत मुकदमा भी दर्ज कराया गया था. इतना ही नहीं सितंबर 2013 में दिल्ली हाई कोर्ट ने संगीता रिचर्ड पर यह प्रतिबंध लगाया था कि वह भारत के बाहर अपने रोजगार के बारे में किसी भी तरीके का आरोप देवयानी खोबरगड़े पर नहीं लगा सकती.

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इसके बाद अमेरिकी सरकार से संगीता रिचर्ड को अमेरिका में तलाश करने के लिए वहां की सरकार से मदद मांगी गई लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं आया.

गुरुवार को देवयानी खोबरगड़े को मैनहट्टन की एक अदालत ने ढाई लाख डॉलर के बांड पर रिहा करने का आदेश दिया. वे जब अपने बच्चों को स्कूल छोड़कर आ रही थीं तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था.

भारतीय दूतावास ने कहा कि अमेरिकी सरकार से कहा गया है कि वह इस मामले को सुलझाए क्योंकि यह मामला अदालत के विचाराधीन पहले से ही है. भारत सरकार ने इस पर ध्यान दिया है. इसके अलावा देवयानी को डिप्लोमैटिक इम्युनिटी भी है. यह बहुत हैरानी की बात है कि किसी डिप्लोमैट को इस तरह के हल्के-फुल्के मामले में गिरफ्तार किया गया है. डिप्लोमैट को गिरफ्तार करने के लिए बहुत कठिन शर्तें हैं और अमेरिकी एटॉर्नी प्रीत बरारा ने उनकी अनदेखी की. देवयानी खोबरगड़े पेशे से एक डॉक्टर हैं और बाद में वे आईएफएस की परीक्षा पास करके डिप्लोमैट बन गईं.

भारत सरकार का मानना है कि इस मामले में अमेरिका ने डिप्लोमैटिक प्रोटोकोल की उपेक्षा की है जो गलत है. इस मामले में शुक्रवार को भारतीय राजदूत और अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के बीच बैठक होगी जिसमें इस मामले का उचित समाधान करने की बात की जाएगी. लेकिन इस घटना पर विदेश मंत्रालय में खासी नाराजगी है.

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