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रूस से होड़ में अब इस देश ने भारत को दिया बड़ा ऑफर

रियायत कीमतों के कारण फिलहाल भारत सबसे ज्यादा कच्चा तेल रूस से खरीद रहा है. भारत के तेल व्यापार में रूस की एंट्री से इराक को काफी नुकसान हुआ है. क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से पहले इराक भारी मात्रा में भारत को तेल निर्यात करता था.

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इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी (फोटो-रॉयटर्स)
इराक के प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी (फोटो-रॉयटर्स)

पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंध के कारण रूस भारत को सस्ता तेल बच रहा है. भारत कुल आयात का 80 प्रतिशत से ज्यादा तेल आयात करता है. रियायत कीमतों के कारण फिलहाल भारत सबसे ज्यादा तेल रूस से खरीद रहा है. रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले भारत इराक से भारी मात्रा में तेल खरीदता था.

भारतीय तेल बाजार में रूस के आने से इराक को झटका लगा है. क्योंकि रूस, इराक और सऊदी अरब को पीछे छोड़ते हुए भारत के लिए शीर्ष तेल निर्यातक देश बन गया है. चूंकि, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. ऐसे में सस्ते रूसी तेल से निपटने और भारतीय तेल बाजार को आकर्षित करने के लिए इराक ने भी भारत को रियायत कीमतों पर तेल बेचने का फैसला किया है. 

भारतीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, तेल निर्यात में रूस से मिल रही कड़ी टक्कर के कारण भारत निर्यात की जाने वाली इराकी तेल की कीमत में गिरावट दर्ज की गई है. भारत ने जनवरी महीने में इराक से 78.92 डॉलर प्रति बैरल तेल खरीदा था. जबकि, फरवरी महीने भारत ने औसतन 76.19 डॉलर प्रति बैरल तेल खरीदा.

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हालांकि, अभी भी भारत को सबसे सस्ता तेल रूस से ही मिल रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सबसे महंगा तेल सऊदी अरब से खरीद रहा है. फरवरी महीने में भारत ने सऊदी अरब से औसतन 87.66 डॉलर प्रति बैरल तेल खरीदा.

भारतीय तेल बाजार में रूस की एंट्री इराक के लिए क्यों है झटका

एनर्जी कार्गो ट्रैकर वोर्टेक्सा के अनुसार, भारत ने मार्च 2022 में रूस से सिर्फ 68,600 बैरल प्रति दिन कच्चा तेल आयात किया था. जो इस साल बढ़कर 1.64 मिलियन बैरल प्रति दिन हो गया है. वहीं, भारत ने इराक से मार्च 2022 में लगभग 1.1 मिलियन बैरल प्रति दिन कच्चा तेल खरीदा था. जो इस साल घटकर 0.8  मिलियन बैरल प्रति दिन पर आ गया है. इस तरह देखें, तो रूस इराक से दोगुना कच्चा तेल भारत को निर्यात कर रहा है. 

रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले भारत 60 फीसदी से ज्यादा तेल मिडिल ईस्ट कंट्री से आयात करता था. इसमें इराक सबसे बड़ा सप्लायर था. इराक को भारत का क्रूड बास्केट कहा जाता था. 2017-18 से रूस-यूक्रेन युद्ध तक इराक भारत के लिए शीर्ष तेल निर्यातक देश था. उस वक्त भारतीय तेल बाजार में रूसी तेल की हिस्सेदारी 1 प्रतिशत से भी कम थी. वर्तमान में यह हिस्सेदारी बढ़कर 34 प्रतिशत हो गई है.

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रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने मार्च महीने में चीन और यूरोप से भी ज्यादा रूसी तेल खरीदा है. जबकि चीन दुनिया का सबसे बड़ा तेल आयातक देश है. चीन ने मार्च महीने में रूस से लगभग 1.4 मिलियन बैरल प्रति दिन कच्चा तेल खरीदा है. वहीं, भारत ने रिकॉर्ड 1.64 मिलियन बैरल प्रति दिन कच्चा तेल खरीदा.  

एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल से दिसंबर 2022 के दौरान भारत के कुल तेल आयात में रूस की भागीदारी लगभग 19 प्रतिशत रही. इस तरह से सिर्फ नौ महीने में ही रूस ने इराक और सऊदी अरब जैसे शीर्ष तेल निर्यातक देशों को पीछे छोड़ दिया.

रूस भारत के लिए एक बड़ा तेल निर्यातक बनकर उभरा

रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी महीने की तुलना में फरवरी में रूसी कच्चे तेल की कीमत में भी गिरावट दर्ज की गई है. जनवरी महीने में रूस ने भारत को 78.92 डॉलर प्रति बैरल तेल निर्यात किया था. जबकि, फरवरी महीने में रूस ने 76.92 डॉलर प्रति बैरल तेल निर्यात किया.

रूसी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने के उद्देश्य से अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं. इस कारण रूस को तेल निर्यात करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा कई यूरोपीय देशों ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया है. जबकि भारत ने इस प्रतिबंध को मानने से इनकार कर दिया है. भारत का कहना है कि वो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए जहां उसे सस्ता तेल मिलेगा, वहां से वह खरीदेगा. ऐसे में अपनी अर्थव्यवस्था को बनाए रखने के लिए रूस भारत को रियायत कीमतों पर कच्चे तेल बेच रहा है.

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