शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार की खबरें रुक नहीं रही हैं. 1971 के मुक्ति संग्राम (आजादी की लड़ाई) के एक स्वतंत्रता सेनानी और उनकी पत्नी का शव बांग्लादेश के रंगपुर में उनके घर से बरामद हुआ है. दोनों की हत्या उनका गला रेतकर की गई थी. मृतकों की पहचान 75 साल के जोगेश चंद्र रॉय और उनकी पत्नी शुभर्णा रॉय के रूप में हुई.
रविवार सुबह पड़ोसियों के बार-बार दरवाजा खटखटाने से भी कोई जवाब नहीं मिला. पड़ोसी किसी तरह अंदर गए जिसके बाद दोनों के शव पाए गए. दंपति के दो बेटे हैं जो बांग्लादेश पुलिस में कार्यरत हैं.
बुजुर्ग दंपति की हत्याएं ऐसे समय में हुई हैं जब मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं पर हमलों को लेकर चिंता बढ़ रही है. जुलाई-अगस्त 2024 में हुए छात्र आंदोलन के दौरान पुलिस को बेरहमी से निशाना बनाया गया था. छात्र आंदोलन के कारण प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद से इस्तीफा देकर भारत भागना पड़ा था.
आंदोलन के दौरान दर्जनों पुलिसकर्मियों को भीड़ ने पीट-पीटकर मार दिया था और कई अब तक ड्यूटी पर वापस नहीं लौटे. सूत्रों के मुताबिक, अगस्त 2024 की हिंसा के एक साल बाद भी बांग्लादेश बिना पूरी पुलिस फोर्स के काम कर रहा है.
अल्पसंख्यक अधिकार समूहों का कहना है कि अगस्त 2024 में शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद से बांग्लादेश में साम्प्रदायिक हिंसा की हजारों घटनाएं हुई हैं, हालांकि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने इन्हें 'बढ़ा-चढ़ा कर पेश की गई प्रोपेगैंडा' बताया है.
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए निर्वासन में रह रहे अवामी लीग के नेता मोहम्मद अली आराफात ने कहा कि यह घटना स्वतंत्रता सेनानियों और उनके परिवारों के सामने बढ़ते खतरों का संकेत है. उन्होंने चेतावनी दी कि मोहम्मद यूनुस और उनके समर्थक, आजादी विरोधी जमात-ए-इस्लामी के शासन में इस तरह की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं.
शेख हसीना कैबिनेट में सूचना मंत्री रहे अराफात ने कहा, 'बांग्लादेश में स्वतंत्रता सेनानी न केवल अपमान और हमले झेल रहे हैं बल्कि यूनुस की सरकार में उनकी हत्या भी की जा रही है. इन हमलों को इस्लामिक समूह जमात-ए-इस्लामी का समर्थन हासिल है.'
बांग्लादेश समाचार एजेंसी BSS के अनुसार, 75 वर्षीय रॉय और उनकी 60 वर्षीय पत्नी के शव रंगपुर जिले के उत्तरा रहीमापुर इलाके में रविवार सुबह उनके घर से मिले.
सुबह करीब 7:30 बजे पड़ोसी और घरेलू सहायक ने काफी देर तक दरवाजा खटखटाया, जब जवाब नहीं मिला तो वे सीढ़ी लगाकर अंदर पहुंचे. रसोई में शुभर्णा रॉय और डाइनिंग रूम में जोगेश चंद्र रॉय का शव मिला. दोनों के गले कटे हुए थे.
रिपोर्ट्स में अपराधियों का जिक्र नहीं है, लेकिन अवामी लीग पार्टी ने इस हत्या को यूनुस शासन और जमात-ए-इस्लामी के समर्थन से जोड़कर देखा है. पुलिस ने बताया कि हमला रविवार तड़के करीब 1 बजे हुआ.
जोगेश चंद्र रॉय 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा थे और बाद में सरकारी प्राथमिक विद्यालय के हेडमास्टर रहे. 2017 में वो रिटायर हुए थे. दंपति अपने गांव के घर में अकेले रहता था. उनके दोनों बेटे शोभेन चंद्र रॉय और राजेश खन्ना चंद्र रॉय बांग्लादेश पुलिस में विभिन्न स्थानों पर तैनात हैं, एक जॉयपुरहाट में और दूसरा ढाका में.
फॉरेंसिक और जांच टीमें घटनास्थल पर पहुंचीं और पोस्टमार्टम का आदेश दिया गया. अब तक हत्या की वजह साफ नहीं हुई है. पुलिस ने कहा कि परिवार का किसी से कोई विवाद दर्ज नहीं था.
रविवार दोपहर 2 बजे तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया था. स्थानीय लोगों और स्वतंत्रता सेनानियों ने जल्द गिरफ्तारी की मांग की और चेतावनी दी कि अगर अपराधी पकड़े नहीं गए तो विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.
शेख हसीना के हटने के बाद से हिंदुओं के घरों, दुकानों और मंदिरों पर हमले की कई खबरें सामने आई हैं. दिसंबर 2024 में सोशल मीडिया पर कथित आपत्तिजनक पोस्ट के बाद सुनामगंज में भीड़ ने 20 से ज्यादा घरों और एक मंदिर में तोड़-फोड़ की थी.
बांग्लादेश हिंदू-बौद्ध-ईसाई एकता परिषद के अनुसार, 4-20 अगस्त 2024 के बीच 2,000 से अधिक साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं, जिनमें 9 हिंदुओं की मौत और मंदिरों पर 69 हमले दर्ज किए गए.
दो महीने पहले अक्टूबर में बांग्लादेश के कट्टरपंथी इस्लामवादियों ने ISKCON पर प्रतिबंध की मांग करते हुए बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया था. हालांकि, अंतरिम नेता मुहम्मद यूनुस ने कहा है कि हिंदुओं पर हिंसा की रिपोर्टें 'बढ़ा-चढ़ा कर पेश की गई हैं.'