चीन और पाकिस्तान ऐसे दोस्त हैं, जिनकी नीति भारत के खिलाफ एक जैसी मानी जाती है. भले भारत और पाकिस्तान में व्यापक सांस्कृतिक समानता है लेकिन चीन पाकिस्तान का सदाबहार दोस्त है. लेकिन टोक्यो ओलंपिक में भारत को लेकर चीन में तंज किया जा रहा है तो वहीं पाकिस्तान से प्रशंसा मिल रही है.
टोक्यो ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन को लेकर चीनी मीडिया में भी काफी चर्चा है. चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने एक लेख छापा है, जिसमें तंज किया गया है. शिन्हुआ के लेख की पहली ही लाइन है- दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत का टोक्यो ओलंपिक में अभियान महज एक स्वर्ण पदक के साथ खत्म हो गया. भारत को भाला फेंक प्रतियोगिता में नीरज चोपड़ा ने गोल्ड मेडल दिलाया है. शिन्हुआ ने लिखा है कि एक स्वर्ण, दो रजत और चार कांस्य पदक के साथ भारत मेडल जीतने वाले 93 देशों की रैंकिंग में 48वें नंबर पर है.
शिन्हुआ ने लिखा है कि भारत जब कोई मेडल जीतता है तो खेल और खेल की राजनीति पर बहस तेज हो जाती है लेकिन फिर सब कुछ सामान्य हो जाता है. भारत ने टोक्यो ओलंपिक में 127 एथलीट का दल भेजा था लेकिन सफलता केवल सात को ही मिली.
सत्ताधारी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र माने जाने वाले ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादकीय में लिखा है, ''भारतीय दल को केवल एक स्वर्ण मेडल और कुल सात मेडल मिले हैं. इससे पता चलता है कि भारत को कई चीजों के आधुनिकीकरण में कितनी लंबी दूरी तय करनी है.''
टोक्यो ओलंपिक में कुल 93 देशों ने मेडल जीते हैं. इसमें अमेरिका कुल पदक की रैंकिंग में और स्वर्ण पदक की रैंकिंग में भी नंबर वन पर है. दूसरे नंबर पर चीन है. जापान स्वर्ण पदक के मामले में तीसरे नंबर पर है जबकि कुल पदक के मामले में पांचवें नंबर पर है. भारत एक स्वर्ण पदक के साथ 48वें नंबर पर है और कुल पदक के मामले में 33वें नंबर पर है.
अमेरिका ने 39 स्वर्ण, 41 रजत और 33 कांस्य पदक जीते हैं. इस तरह अमेरिका को टोक्यो ओलंपिक में कुल 113 मेडल मिले. वहीं चीन को 38 स्वर्ण, 32 रजत और 18 कांस्य पदक मिले हैं.
टोक्यो ओलंपिक में चीन को कुल 88 पदक मिले और इसके साथ ही वो दूसरे स्थान पर है. तीसरे नंबर पर रूसी ओलंपिक समिति और चौथे नंबर पर ब्रिटेन है. रूस को कुल 71 पदक मिले हैं और ब्रिटेन को 65. मेजबान जापान स्वर्ण पदक के मामले में तीसरे नंबर पर है और कुल पदक के मामले में पांचवें नंबर पर.
चीन में भले ही भारत पर तंज किया जा रहा है लेकिन पाकिस्तान में भारत के प्रदर्शन की प्रशंसा हो रही है. दरअसल, पाकिस्तान के लोग अपने मुल्क के प्रदर्शन की तुलना में भारत को देख रहे हैं तो भारत आगे दिख रहा है. पाकिस्तान को पिछले 29 सालों से ओलंपिक में कोई भी मेडल नहीं मिला है.
इस बार नीरज चोपड़ा के साथ पाकिस्तान के अरशद नदीम को भी मेडल जीतने की उम्मीद थी लेकिन फाइनल मुकाबले में वो पांचवें नंबर रहे. अरशद नदीम की पाकिस्तान में प्रशंसा हुई कि कम सुविधाओं में भी उन्होंने खुद को इस मुकाम तक पहुंचाया. पाकिस्तानी पत्रकार शिराज हसन ने नीरज चोपड़ा के एक पुराने ट्वीट के स्क्रीनशॉट के साथ अरशद के पिता के बयान को ट्विटर पर शेयर किया है.
नीरज चोपड़ा ने 16 जुलाई को अपने एक ट्वीट में लिखा था, ''टोक्यो ओलंपिक 2020 की तैयारी में मेरी सारी जरूरतें पूरी कर दी गई हैं. मैं अभी यूरोप में ट्रेनिंग कर रहा हूं. मुश्किल वीजा नियमों के बावजूद मुझे सरकार और भारतीय दूतावास की तरफ से भरपूर मदद मिली. मैं इसके लिए शुक्रगुजार हूं.'' नीरज चोपड़ा के ट्वीट के साथ शिराज ने अरशद के पिता के बयान को साझा किया है. अरशद के पिता ने मोहम्मद अशरफ ने कहा कि उनके बेटे पहले क्रिकेट में जाना चाहते थे लेकिन उन्होंने ही भाला फेंकने के लिए प्रेरित किया था. अशरफ राजमिस्त्री हैं और इसी की कमाई से वे अपने बेटे को ट्रेनिंग करवाते थे. अरशद गलियों और घरों में ही ट्रेनिंग करते थे. अरशद के पिता ने कहा है कि उनके बेटे को सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली.
भारत को 41 साल बाद हॉकी में कांस्य पद मिला तो भी पाकिस्तान में तारीफ हुई. पाकिस्तानी अखबार डॉन ने लिखा कि 50 से 70 के दशक तक हॉकी में भारत और पाकिस्तान की तूती बोलती थी लेकिन धीरे-धीरे दोनों देश हाशिए पर आ गए. भारत ने लंबे समय बाद वापसी कर बता दिया है कि संकल्प हो तो वापसी मुश्किल नहीं है. डॉन ने लिखा है कि दूसरी तरफ पाकिस्तान हॉकी में पिछले दो ओलंपिक से क्वॉलिफाई तक नहीं कर पा रहा. डॉन ने लिखा है कि पाकिस्तान को खेल में भारी निवेश करने की जरूरत है.