पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में फिलहाल तनावपूर्ण शांति है. लेकिन दो दिन पहले जिस तरह हिंसा भड़की, उसकी भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अब तक पांच सैकड़ा लोगों ने मुर्शिदाबाद छोड़ दिया और पलायन कर मालदा में आ गए हैं. ये सिलसिला थमा नहीं है. पलायन करने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. ये शरणार्थी ग्रामीण मालदा के एक स्कूल में शरण लिए हैं.
आजतक की टीम पलायन करने वाले ग्रामीणों के पास पहुंची और उनसे पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली. ये ग्रामीण मालदा के पारलालपुर हाई स्कूल में शरण लिए हैं. इस स्कूल में कम से कम 500 लोग शरण लेकर ठहरे हैं. इनमें मुख्य रूप से महिलाएं और बच्चे शामिल हैं.
नाव से नदी पार की और पहुंचे मालदा
गांव वालों का कहना है कि वे लोग अपने घरों को छोड़कर आए हैं और नाव से नदी पार कर पहुंचे हैं. इन लोगों में 3 दिन के नवजात से लेकर बुजुर्ग महिलाएं तक शामिल हैं. स्थानीय लोगों ने इन लोगों को शरण दी है और वे उन्हें खाना भी खिला रहे हैं. लोगों के आने का सिलसिला थमा नहीं है.
धूलियान से भागकर आए हैं ग्रामीण
ये शरणार्थी मालदा के हाईस्कूल के क्लास रूम में डेरा जमाए हैं. उनके साथ बच्चे भी हैं. स्थानीय डॉक्टर भी शरणार्थी कैंप पहुंचे और चेकअप कर रहे हैं. इन लोगों का कहना है कि मालदा के स्थानीय लोगों ने हमारी मदद की है. वे धूलियान से भागकर आए हैं. नाव के जरिए मालदा तक पहुंचे हैं. शरणार्थियों का कहना है कि पानी की टंकी में जहर डाल दिया गया है. पानी हमारा जीवन है. अगर ऐसा पानी पीएंगे तो मर जाएंगे. जान बचाकर घर से भागे हैं. हमारे घरों में लूट की गई और उन्हें जला दिया गया है.
शरणार्थी बोले- परेशान किया जा रहा
उनका कहना है कि हम लोगों को परेशान किया जा रहा है. खासतौर पर हम पर जो हमला कर रहे हैं, उनकी उम्र बहुत कम है. 15 से 17 साल के लड़के हमला करने वालों में शामिल हैं.
'ना घर रहा, ना राशन'
एक ग्रामीण ने कहा कि मेरा घर मुर्शिदाबाद के धूलियान में है. मेरे गांव में बड़ी संख्या में घरों में आग लगा दी गई. ग्रामीणों के साथ मारपीट की गई. अब ना घर रहा और ना खाने को राशन बचा था, इसलिए हम मजबूरी में पलायन करके आए हैं. भीड़ के लोग लूटपाट करके ले गए हैं.