यूपी की मिल्कीपुर सीट पर भी उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बीजेपी नेता गोरखनाथ बाबा की लंबित याचिका को खारिज कर दिया है. इस याचिका में 2022 के चुनाव में जीते सपा उम्मीदवार अवधेश प्रसाद के नामांकन पत्र को निरस्त करने की मांग की गई थी. अवधेश अब अयोध्या-फैजाबाद से सांसद बन गए हैं और उन्होंने यह सीट खाली कर दी है.
ऐसे में यह तय है कि आने वाले दिनों में इस सीट पर बीजेपी और सपा के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है. बीजेपी के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल है और अयोध्या में खोए सम्मान को वापस पाने का मौका है तो सपा के लिए मिल्कीपुर में वापसी की चुनौती है और अयोध्या को लेकर सियासी बढ़त बनाए रखने का मौका है. मिल्कीपुर सीट, अयोध्या संसदीय क्षेत्र में आती है.
बेहद मायने रखती है मिल्कीपुर सीट
हाल ही में 9 सीटों पर उपचुनाव में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए ने 7 सीटों पर बंपर जीत हासिल की है. दो सीटों पर सपा को जीत मिली है. उपचुनाव के नतीजों ने बीजेपी को बूस्टर दिया है. पार्टी के लिए मिल्कीपुर सीट बेहद मायने रखती है. आइए जानते हैं इस सीट पर क्या हैं समीकरण?
अभी बीजेपी ने नहीं खोले पत्ते
सपा ने मिल्कीपुर सीट से अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को उम्मीदवार घोषित कर दिया है. BSP भी अपने उम्मीदवार का ऐलान कर चुकी है. हालांकि, बीजेपी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं. 2022 में इस सीट पर बीजेपी ने गोरखनाथ बाबा को उम्मीदवार बनाया था. हालांकि, वे 13,338 वोटों से चुनाव हार गए थे. 2017 में इस सीट से गोरखनाथ बाबा चुनाव जीते थे. इस बार उपचुनाव में बीजेपी किस पर दांव खेलेगी, यह अभी साफ नहीं हो सका है. उपचुनाव के नतीजे से उत्साहित बीजेपी में टिकट के दावेदारों की लंबी लाइन है.
क्यों प्रतिष्ठा का सवाल बना मिल्कीपुर
बीजेपी ने कटेहरी विधानसभा उपचुनाव में शानदार जीत हासिल की है. उसके बाद अब मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में भी जीत का सिलसिला बरकरार रखना चाहेगी. बीजेपी के लिए मिल्कीपुर सीट का उपचुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है. यही वजह है कि बीजेपी इस उपचुनाव में भी पूरी तैयारी के साथ उतरना चाहती है. मिल्कीपुर में बीजेपी, सपा और बसपा तीनों ही जीतती आई हैं.
2022 के चुनाव में मिल्कीपुर से सपा के अवधेश प्रसाद को 103,905 वोट मिले थे. बसपा की मीरा देवी को 14,427 वोट मिले थे और वो तीसरे नंबर पर रही थीं. बीजेपी के बाबा गोरखनाथ को 90,567 वोट मिले थे.
2017 में बीजेपी के बाबा गोरखनाथ ने 86,960 वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी. सपा के अवधेश प्रसाद दूसरे नंबर पर आए थे. अवधेश को 58,684 वोट मिले थे.
2012 में अवधेश प्रसाद को 73,803 वोट मिले थे. दूसरे नंबर बसपा के पवन कुमार को 39,566 वोट मिले थे. बीजेपी के रामू प्रियदर्शी को 32,972 वोट मिले थे.
2007 में बसपा के आनंद सेन ने 60,515 वोट पाकर जीत हासिल की. दूसरे नंबर पर सपा के रामचंद्र यादव को 51,136 वोट मिले थे.
2002 में आनंद सेन सपा से उम्मीदवार थे और उन्होंने 54,545 वोट पाकर जीत दर्ज की. दूसरे नंबर पर बीजेपी के दिनेश प्रताप सिंह ने 51,459 वोट हासिल किए थे.
'सपा ने संविधान के नाम पर झूठ फैलाया'
यूपी सरकार में मंत्री जयवीर सिंह ने आजतक से बातचीत में कहा, हाल के उपचुनाव में जो कमी रह गई, उसे अयोध्या में जीत के साथ पूरा करेंगे. करहल में बीजेपी को बढ़त मिली है और हार का अंतर कम हुआ है. उसी तरह अब अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर बीजेपी जीत दर्ज करेगी. सपा ने संविधान के नाम पर झूठ फैलाया है और अब वो जनता के सामने आ गया है.
'सपा से डरी हुई है बीजेपी'
वहीं, अयोध्या से सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने आजतक से कहा, मिल्कीपुर को लेकर बीजेपी, सपा से डरी हुई है. इसी वजह से सीएम योगी ही वहां जमे हुए हैं और कई बार वहां रैली करने पहुंचे. बीजेपी ने मिल्कीपुर को अब एक राष्ट्रीय चुनाव मान लिया है. इन्हें संगठन और एजेंसियों द्वारा सूचनाएं मिलीं हैं कि बीजेपी वहां बुरी तरह हारेगी और सपा जीतेगी, इसलिए चुनाव टालने का काम किया था. अब दोबारा चुनाव होगा तो सपा ही जीतेगी.
अक्टूबर में उपचुनाव की तारीखें क्यों नहीं हुईं घोषित?
इससे पहले अक्टूबर में इस सीट पर उपचुनाव की घोषणा नहीं हो सकी थी. चुनाव आयोग ने तर्क दिया था कि जिन सीटों को लेकर कोर्ट में चुनावी याचिका दाखिल है, वहां शेड्यूल जारी नहीं किया गया है. दरअसल, 2022 के विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद बीजेपी उम्मीदवार गोरखनाथ बाबा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी और अवधेश प्रसाद का नामांकन निरस्त करने की अपील की थी. गोरखनाथ बाबा का तर्क था कि जिस अधिवक्ता ने अवधेश के नोटरी एफिडेविट को सर्टिफाई किया है, उसका लाइसेंस समाप्त हो चुका है. लिहाजा, अवधेश प्रसाद का नामांकन पत्र निरस्त किया जाए और मुझे विजयी प्रत्याशी घोषित किया जाए. सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार, नोटरी अधिवक्ता के लिए दस्तावेज प्रमाणीकरण के दिन चालू लाइसेंस रखना अनिवार्य है.
'एक-दो दिन में अपलोड हो जाएगा आदेश'
हालांकि, ECI की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद मिल्कीपुर विधानसभा सीट से बीजेपी के पूर्व विधायक गोरखनाथ बाबा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया और अपनी याचिका वापस लेने का अनुरोध किया था. सुनवाई के बाद कोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी है. ऐसे में मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव का रास्ता साफ हो गया है. हाई कोर्ट के अधिवक्ता अशोक कुमार शुक्ल ने कहा कि आदेश अपलोड होने में एक-दो दिन लगेंगे. कोर्ट ने पूर्व विधायक के वापसी प्रार्थना पत्र को स्वीकार कर याचिका को डिसमिस कर दिया.
'प्रशासन कर चुका है सारी तैयारियां'
राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अब चुनाव आयोग को उप चुनाव के बारे में जानकारी भेजेंगे. उसके बाद आयोग उप चुनाव का कार्यक्रम घोषित करेगा. जिला प्रशासन पहले ही उप चुनाव की सारी तैयारी कर चुका है. फिलहाल, अब मिल्कीपुर में एक बार फिर राजनीतिक गतिविधियां जोर पकड़ेंगी.
13 जून को अवधेश प्रसाद ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था. 12 दिसंबर को उनके इस्तीफे के छह माह पूरे हो जाएंगे. दरअसल, इस्तीफा देने के छह महीने के अंदर उपचुनाव कराए जाने का नियम है. इस अवधि को पूरा होने में अभी 17 दिन बाकी रह गए हैं.