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'बाबा के पास शक्ति होती, तो उस दिन चमत्कार कर दिखाते', हाथरस भगदड़ के पीड़ित का छलका दर्द, हादसे में गई थी मां-पत्नी और बेटी की जान

सूरज पाल उर्फ ​​भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ के दौरान विनोद के परिवार के तीन लोगों की जान गई थी. विनोद ने कहा कि उन्होंने इस भगदड़ में अपने परिवार की तीन पीढ़ियों- मां, पत्नी और बेटी को खोया था. भगदड़ में कुल 121 लोगों की जान चली गई थी.

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हाथरस भगदड़ केस
हाथरस भगदड़ केस

"अगर बाबा के पास वाकई कोई शक्ति होती, तो वे उस दिन चमत्कार कर दिखाते..." ये बात हाथरस जिले के विनोद ने कही है, जिन्होंने सूरज पाल उर्फ ​​भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में परिवार के तीन लोगों को खो दिया था. विनोद ने कहा कि उन्होंने इस भगदड़ में अपने परिवार की तीन पीढ़ियों- मां, पत्नी और बेटी को खोया था. भगदड़ में कुल 121 लोगों की जान चली गई थी.

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, 46 वर्षीय विनोद उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सोखना गांव में एक दुकान चलाते हैं और तीन बच्चों की देखभाल के साथ-साथ रोज़मर्रा के काम भी करते हैं. लेकिन भगदड़ हादसे ने उन्हें तोड़कर रख दिया है. 

आपको बता दें कि 2 जुलाई, 2024 को हाथरस के सिकंदराराऊ इलाके के मुगल गढ़ी गांव में स्वयंभू संत सूरज पाल उर्फ ​​भोले बाबा के सत्संग के लिए लाखों अनुयायी एकत्र हुए थे. लेकिन यहां पर केवल 80,000 लोगों के एकत्र होने की अनुमति दी गई थी, मगर 2.5 लाख से अधिक लोग जमा हो गए. 

121 लोगों की हुई थी मौत

घटना के बाद उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब कथित तौर पर भोले बाबा के पैर छूने और उनके पैरों की धूल के लिए भक्त उनके वाहन की ओर उमड़ पड़े. फिसलन भरे मैदान में अनियंत्रित भीड़ की चपेट में आकर 121 लोगों की मौत हो गई, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे. इस हादसे में विनोद की मां जयवती, पत्नी राजकुमारी और बेटी भूमि भी उनमें शामिल थीं. 

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वहीं, नवीपुर के जुगनू, जिन्होंने अपनी मां मुन्नी देवी को खो दिया, कहते हैं कि यह दुख उन्हें हमेशा सताता रहेगा. वह इस तरह मरने की हकदार नहीं थीं. 

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अदालती सुनवाई जारी

भगदड़ की जांच में योजना और भीड़ नियंत्रण में भारी चूक का पता चला, जिसमें अपर्याप्त निकास मार्ग और कोई प्रभावी सुरक्षा योजना नहीं थी. एक साल बाद भी पीड़ितों के परिवार तबाह हैं, त्रासदी लोगों की यादों में बनी हुई है, क्योंकि अदालती सुनवाई जारी है, और जवाबदेही का रास्ता अभी भी कुछ दूर लगता है. 

भोले बाबा को क्लीन चिट

हालांकि, लखनऊ में एक जांच पैनल ने भोले बाबा से पूछताछ की थी, लेकिन उन्हें आरोपी नहीं बनाया गया. पुलिस ने कार्यक्रम के आयोजक देवप्रकाश मधुकर सहित उनके 11 सहयोगियों पर विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया. सभी फिलहाल जमानत पर बाहर हैं. प्रदेश सरकार ने एक न्यायिक आयोग का गठन किया, जिसने 21 फरवरी, 2025 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की. इस रिपोर्ट में भोले बाबा को क्लीन चिट दी गई, जिसमें कहा गया कि भगदड़ से उनका कोई सीधा संबंध नहीं है. 

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मामले की सुनवाई हाथरस के अतिरिक्त सत्र न्यायालय-1 में हो रही है, जहां सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता ए पी सिंह भोले बाबा के अनुयायियों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. सिंह ने न्यूज एजेंसी से कहा, "2 जुलाई, 2024 की घटना एक साजिश थी. पुलिस ने जल्दबाजी में झूठा आरोपपत्र दाखिल किया." उन्होंने यह भी कहा कि अब तक 31 सुनवाई हो चुकी हैं, अगली सुनवाई 19 जुलाई को होनी है, क्योंकि आरोप तय करने पर बहस जारी है. 

केस की सुनवाई में बदल चुके हैं चार जज

उल्लेखनीय है कि इन सुनवाई के दौरान चार जज बदल चुके हैं. अधिवक्ता ए पी सिंह ने कहा कि पुलिस ने 676 गवाहों के बयानों के समर्थन में 3,200 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया है. भोले बाबा के सेवादारों (स्वयंसेवकों) में शामिल और इस बड़े आयोजन के प्रबंधन में शामिल दो महिलाओं समेत 11 आरोपियों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी है. 

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हुआ था ये एक्शन

न्यायिक पैनल की जांच के बाद, तत्कालीन एसडीएम और सर्किल अधिकारी समेत छह सरकारी अधिकारियों को लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया गया था. इस त्रासदी के बाद जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक का भी तबादला कर दिया गया था. घटना के बाद राज्य सरकार ने मृतकों के परिवारों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की थी. हालांकि, मारे गए लोगों के परिवारों के लिए इस नुकसान से पैदा हुआ भावनात्मक खालीपन अथाह है. 

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भगदड़ में अपनी सास को खोने वाली सोखना गांव की रेखा कहती हैं, "मुझे उनकी हर दिन याद आती है." नवीपुर की नैना देवी भी अपनी सास को याद करके टूट जाती हैं, जिनकी पिछले साल भगदड़ में मौत हो गई थी. 

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