बहराइच के महसी तहसील में भेड़ियों के झुंड आतंक मचा रहे हैं. अब वन विभाग इन भेड़ियों को आबादी वाले इलाके से भगाने के लिए हाथी के गोबर और यूरिन का उपयोग कर रही है. ताकि, आदमखोर भेड़ियों लोगों को नुकसान नहीं पहुंचा सके.
बहराइच में पिछले 40 दिनों से भेड़ियों कई हमलों के मामले सामने आए हैं. महसी क्षेत्र में भेड़िये के हमले से पांच बच्चों की मौत हो चुकी है. इसलिए इस इलाके से भेड़ियों के झुंड को दूर भगाने के लिए वन विभाग ने विशेष अभियान छेड़ रखा है. इस अभियान का नेतृत्व बाराबंकी के आईएफएस अधिकारी आकाशदीप बधावन कर रहे हैं.
तीन भेड़ियों को पकड़ चुका है वन विभाग
आईएफएस अधिकारी आकाशदीप बधावन ने न्यूज एजेंसी को बताया कि भेड़ियों की पहचान के लिए हमने उच्च क्षमता वाले ड्रोन कैमरों का उपयोग किया. अब तक छह भेड़ियों की पहचान की गई है. इनमें से तीन को पहले ही पकड़ लिया गया है. हमारा लक्ष्य भेड़ियों को आबादी वाले क्षेत्रों से दूर भगाकर ग्रामीणों की सुरक्षित करना है.
हाथी के गोबर और यूरिन के इस्तेमाल से भागेंगे भेड़िये
उन्होंने बताया कि जिले का जो इलाका प्रभावित है, वो उत्तरी छोर पर घने जंगलों वाले तराई क्षेत्र में आता है. यह इलाका नेपाल के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा भी साझा करता है. इसलिए इन भेड़ियों को भगाने के लिए एक विशेष तरकीब अपनाई जा रही है. इसके तहत कतर्नियाघाट के जंगल से हाथी के गोबर और मूत्र का इस्तेमाल किया जाएगा. भेड़ियों को हाथियों की मौजूदगी का आभास हो, इसके लिए हाथी के गोबर में आग लगाकर धुआं पैदा किया जाएगा. इससे उत्पन्न गंध से उन्हें हाथियों के होने का अहसास होगा.
अधिकारी ने बताया कि भेड़िए झुंड में शिकार करते हैं. ऐसे में वे हाथी जैसा बड़े जानवरों से बचते हैं. इसलिए भेड़ियों के लिए यह भ्रम पैदा करना कि इस इलाके में हाथी मौजूद हैं, उनके गोबर और यूरिन का इस्तेमाल कर उन्हें यहां से दूर भगाया जा सकेगा.
40 दिनों में भेड़ियों ने किए 30 हमले
इधर, डीएफओ अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि मार्च से ही महसी तहसील के करीब दो दर्जन गांवों पर भेड़िये हमला कर रहे हैं. इन भेड़ियों ने पिछले 40 दिनों में करीब 30 बार हमला किया है. इन हमलों में 5 बच्चों की मौत हो गई है और 30 से अधिक लोग घायल हो गए हैं. वैसे हमने तीन भेड़ियों को पकड़ने में कामयाब रहे हैं. उन्हें विभिन्न चिड़ियाघरों में भेज दिया गया है. भेड़ियों के हमले जुलाई से तेज हो गए हैं.
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डीएफओ ने बताया कि भेड़िये एक खास पैटर्न का पालन करते हैं. इसके तहत वे घरों में सो रहे बच्चों पर हमला करते हैं और उन्हें एकांत इलाकों में ले जाकर मार देते हैं और उनके शरीर के अंगों को खा जाते हैं. उन्होंने बताया कि वन विभाग, पुलिस और स्थानीय निवासियों ने रात में गश्त बढ़ा दी है. ऐसे में भेड़ियों ने अपने हमले के समय में बदलाव कर दिया है.