उत्तर प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है. इनमें से एक सीट कुंदरकी विधानसभा भी है. यहां बीजेपी से रामवीर ठाकुर, सपा से हाजी रिजवान, बसपा से रफ़्तुल्लाह जान, AIMIM से हाफिज वारिस और आजाद समाज पार्टी से चांद बाबू प्रत्याशी हैं. हालांकि, चुनाव में असली मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच है. लेकिन दोनों पार्टियों का खेल बिगाड़ने की ताकत दूसरे दल भी रखते हैं. जिसमें बसपा, एआईएमआईएम और आजाद समाज पार्टी शामिल है.
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इस उपचुनाव के बाद जो भी विधायक बनेगा उसका ढाई साल का कार्यकाल रहेगा. क्योंकि 2027 में फिर से विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में जनता के सामने कन्फ्यूजन पैदा हो गया है कि वह क्षेत्र का विकास करने वाले प्रत्याशी को वोट दे या फिर चेहरे पर वोट दे. आइए जानते हैं कि इस विधानसभा सीट पर चेहरे और विकास की बात अलग-अलग क्यों हो रही है.
वोट किसे करें, कन्फ्यूजन में जनता
आज तक की टीम की तरफ से कुंदरकी में ग्राउंड रिपोर्ट भी की गई है. जिसमें जनता का कहना है कि 2017 के बाद से बीजेपी की सरकार यूपी में है, लेकिन कुंदरकी विधानसभा में समाजवादी पार्टी का विधायक था जिसके चलते उनकी विधानसभा में दोगला व्यवहार किया जा रहा है.
ऐसे में अगर जनता सिर्फ प्रत्याशी को देखकर और उसके चेहरे पर वोट करती है तो कहीं न कहीं वह विकास को प्राथमिकता में नहीं रख रही है. लेकिन अगर विकास की तरफ जाती है तो जनता कहीं न कहीं चेहरा नहीं, सत्ता में कौन मौजूद है इसको देख कर वोट कर सकती है.
वहीं, दूसरी तरफ बीजेपी प्रत्याशी ठाकुर राम वीर सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा यहां पूर्व में जनसभा की गई थी और 200 करोड़ से अधिक कार्यों का शिलान्यास किया गया. लेकिन यहां कोई संवेदनशील व्यक्ति नहीं जीता है, जिसके चलते लोगों की समस्याएं ज्यादा हैं. ये देखते हुए अब लोग विकास तो चाहते हैं लेकिन हर बार की तरह ये सुनना नहीं चाहते कि क्या करें हमारी सरकार नहीं है?
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सपा प्रत्याशी ने पुलिस पर लगाया जनता को धमकाने का आरोप
उप चुनाव में सपा उम्मीदवार व पूर्व विधायक हाजी रिजवान ने पुलिस पर भी आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि वह सरकार के दबाव में वोटरों को धमकाने का काम कर रही है. पुलिस के इस रवैए से वोटिंग प्रभावित हो सकती है.