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'बाबरी में भी सर्वे हुआ था...,' मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में कोर्ट कमिश्नर सर्वे पर भड़के सपा सांसद एसटी हसन

मथुरा में शाही ईदगाह परिसर के अधिवक्ता सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इंकार कर दिया है. गुरुवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के सर्वेक्षण को मंजूरी दी थी. शुक्रवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. SC के फैसले के बाद सपा सांसद और एआईयूडीएफ सांसद ने प्रतिक्रिया दी.

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सपा सांसद एसटी हसन और AIUDF प्रमुख और सांसद बदरुद्दीन अजमल.
सपा सांसद एसटी हसन और AIUDF प्रमुख और सांसद बदरुद्दीन अजमल.

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि भूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह परिसर के सर्वे पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. एक दिन पहले ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर सर्वे की मंजूरी दी थी. मुस्लिम पक्ष ने HC के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. लेकिन, SC ने मुस्लिम पक्ष को झटका दिया है. इस मामले में सपा सांसद एसटी हसन और एआईयूडीएफ प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने प्रतिक्रिया दी है. 

सपा सांसद एसटी हसन ने कहा, हम इस फैसले से सहमत नहीं हैं. जिस तरह से बाबरी मस्जिद का भी एएसआई सर्वे हुआ था और मंदिर के संबंध में कोई साक्ष्य नहीं मिले थे. अब यही हाल इस केस में भी होगा. हम यह पूछना चाहते हैं कि जो 500 साल पहले हुआ था, उस समय संविधान नहीं था. राजतंत्र था. आजकल यह सरकार लाने की कोशिश कर रही है. राजतंत्र में बादशाह या राजा की जुबान ही संविधान होती थी. सारी जमीन उसकी होती थी. राजा ने जहां चाहा मंदिर बनवाया और जहां चाहा मस्जिद बनवा दी. लेकिन आज गड़े मुर्दें उखाड़कर हिंदुस्तान की दो बड़ी आबादी के बीच में टेंशन पैदा करने की कोशिश की जा रही है. डराने के प्रयास किए जा रहे हैं. 

'हम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी नहीं कर सकते'

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एसटी हसन ने कहा, कोर्ट को भी इस बात को संज्ञान में लेना चाहिए कि हमारा सांप्रदायिक सौहार्द ना बिगड़े. बाबरी मस्जिद के रूप एक बहुत बड़ा मसला हम झेल चुके हैं. अब यह नया विवाद है. ये खत्म होगा तो तीसरा शुरू हो जाएगा. तीन हजार मस्जिदों के ऊपर विवाद है. जो होना था, वो हो चुका है. अब हम आगे मिल-जुलकर प्यार-मुहब्बत से साथ देश को आगे बढ़ाएं. देश को 500 साल पीछे ना ले जाएं. हम कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी नहीं कर सकते हैं. लेकिन सहमति और असहमति बता सकते हैं.

उन्होंने कहा, मैंने कहा कि इस फैसले पर सहमत नहीं हैं. उस समय कोई संविधान नहीं था. आज के संविधान से उसकी तुलना नहीं करना चाहिए. आज अयोध्या में भी 11 ऐसे मंदिर हैं, जो कहते हैं कि राम जन्मभूमि तो हमारे यहां है. हम आपस में लड़े-मरे जा रहे हैं. हमें सबसे पहले देश को देखना होगा. आज धर्मों का सहारा लेकर सियासत अपनी मंजिलें तय कर रही है.

'हमारी मस्जिदों को अपना बता रहे हैं'

वहीं, AIUDF प्रमुख और सांसद बदरुद्दीन अजमल ने कहा, जो सुप्रीम कोर्ट कहेगा, उसे मानना पड़ेगा. लेकिन BJP, RSS, VHP का एजेंडा है कि वो हमारी मस्जिदों को अपना मंदिर बताते हैं. ऐसी करीब 3500 मस्जिदें हैं. एक-एक करके वो ऐसे ही मस्जिद सामने लाएंगे. लेकिन हम कोर्ट में केस लड़ रहे हैं.
 

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