कांवड़ यात्रा के दौरान जहां एक तरफ रंग-बिरंगी कांवड़ें आकर्षण का केंद्र बनी हैं, वहीं मुजफ्फरनगर में बुधवार को एक ऐसी श्रवण कांवड़ नजर आई, जो समाज को रिश्तों की अहमियत का आइना दिखा रही है. मेरठ के प्रतापनगर निवासी चार किसान भाइयों ने अपने माता-पिता को कंधे पर बैठाकर कांवड़ यात्रा शुरू की है.
सुनील, राहुल, सचिन और अनिल नाम के ये चारों भाई हरिद्वार से 9 जुलाई को गंगाजल लेकर चले हैं. वो बारी-बारी से अपनी श्रवण कांवड़ को कंधे पर उठाते हैं. हर दिन लगभग 15 किलोमीटर की यात्रा करते हैं और थकान होने पर जहां जगह मिले, वहीं विश्राम कर लेते हैं.
बेटों ने माता-पिता को लेकर कांवड़ यात्रा शुरू की
इससे पहले ये भाई दो बार अपने दादा-दादी को भी कांवड़ यात्रा करा चुके हैं. अब यह तीसरा साल है जब माता उषा और पिता राजपाल को बैठाकर सावन मास की यात्रा कर रहे हैं.
हर दिन लगभग 15 किलोमीटर की यात्रा करते हैं
शिवभक्त सुनील कुमार ने बताया कि यह श्रवण कुमार कांवड़ है. एक ओर पापा हैं और दूसरी ओर मम्मी. यह यात्रा हरिद्वार से शुरू होकर मेरठ तक जाएगी. माता उषा देवी ने भावुक होकर कहा कि ये बेटे अपनी मर्जी से उन्हें कांवड़ यात्रा पर लाए हैं और बहुत अच्छा लग रहा है. भगवान ऐसा बेटा सबको दे.