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सलीम अंसारी बना वेदव्रत शुक्ला… अम्मी को मारते थे अब्बू, तो हिंदुओं ने बचाया, सनातन धर्म में दिखी करुणा

अम्मी के साथ अब्बू क्रूरता करते थे. इसी बात से नाराज सलीम अंसारी ने मुस्लिम धर्म छोड़कर सनातन धर्म अपना लिया. अब वह वेदव्रत शुक्ला बन गए हैं. सलीम ने यज्ञशाला में यज्ञ करके बाकायदा हिंदू धर्म अपनाया है. वेदव्रत को आश्रम में वेदों के प्रचार-प्रसार का काम दिया गया है, जिसे वह पूरी आस्था से कर रहे हैं. 

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पूजा पंडाल में प्रवचन सुनते सलीम अंसारी, जो अब बन गए हैं वेदव्रत शुक्ला.
पूजा पंडाल में प्रवचन सुनते सलीम अंसारी, जो अब बन गए हैं वेदव्रत शुक्ला.

उत्तरप्रदेश के प्रयागराज के घूरपुर इलाके के सारंगापुर गांव के रहने वाले सलीम अंसारी को अम्मी से बचपन से ही बहुत लगाव है. जब सलीम छोटे थे, तो अक्सर सलीम के अब्बू वाजिद अली अपनी बेगम को सलीम के सामने ही मारा और पीटा करता थे. अब्बू को अम्मी के मारने और पीटने की क्रूरता से सलीम बेहद दुखी थे. सलीम अंसारी उर्फ बबलू अब 25 साल के हो गए हैं.

इन 25 सालों में भी वह अम्मी के साथ किए गए अब्बू के सितम को भूल नहीं पाए. जब सलीम बहुत छोटे थे, तो वह अम्मी पर हो रहे सितम को रोक नहीं पाते थे. तब पड़ोस के रहने वाले हिंदू परिवार के लोग ही जाकर रोकते थे. यह बात सलीम अंसारी को बहुत पसंद आने लगी. यही वजह थी की उसे हिंदू धर्म अच्छा लगने लगा. सलीम को लगा हिंदू धर्म में एक महिला का सम्मान, करुणा और दया का भाव है. हालांकि, सलीम के अब्बू का इंतकाल 10 साल पहले हो गया था. 

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एक पंफ्लेट ने बदल दी जिंदगी 

तब से वह अपने गांव को छोड़कर प्रयागराज के म्योराबाद में आकर रहने लगे और ऑटो चलकर अपनी अम्मी की देखभाल करने लगे. सलीम की एक बहन भी है, जिसका निकाह हो चुका है. अब परिवार में सलीम और उनकी अम्मी अकेले रह गई हैं.

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सलीम के मुताबिक, 31 जनवरी को उसे एक पंफ्लेट मिला. उसमें उसे झूसी के कैलास धाम आश्रम में होने वाले कार्यक्रम की जानकारी मिली. 6 फरवरी को सलीम ने आश्रम पहुंचे और स्वामी कृष्णानंद से मुलाकात की. सलीम की इच्छा को देखते हुए महायज्ञ में शामिल संत अमित आर्या ने सुचिषद् मुनि के पास ले गए. 

कराया गया शुद्धीकरण और यज्ञोपवीत 

सलीम को सनातनी धर्म के अनुसार परखा गया. फिर सलीम का वैदिक मंत्रोच्चार से शुद्धीकरण और यज्ञोपवीत संस्कार कराया गया. उसके बाद सलीम अंसारी का नामकरण भी किया गया और हिंदू धर्म के अनुसार उसका नाम वेदव्रत शुक्ला रखा गया. 

सलीम से वेदव्रत बनाने के बाद उन्होंने कहा कि गुरुदेव के आदेशानुसार आगे जीवन की राह तय करेगा. हिंदू धर्म स्वीकार करने वाले सलीम को अब आश्रम में सभी वेदव्रत के नाम से पुकारते हैं. अब सलीम को अपना नया नाम भी अच्छा लगता है क्योंकि उसे बचपन से ही हिंदू धर्म बहुत पसंद था. 

शिव की पूजा करते रहे हैं वेदव्रत 

आश्रम में वेदव्रत को वेदों के प्रचार-प्रसार का काम दिया गया है, जिसे उसने पूरी आस्था के साथ करना शुरू कर दिया है. मुस्लिम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपनाकर वेदव्रत को सनातन धर्म में आने के बाद बहुत अच्छा महसूस हो रहा है. सनातन धर्म के प्रति सलीम का लगाव काफी दिनों से था. सलीम अपने घर में भगवान शिव की पूजा भी करते हैं. सलीम के पूजा करने का उसकी अम्मी ने कभी भी रोका-टोका नहीं. 

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