यूपी के पीलीभीत में पुलिस की कार्यशैली से नाराज एक युवती ने जहर खाकर अपनी जान दे दी. युवती ने एक युवक पर शादी का झांसा देकर शोषण करने का आरोप लगाया था. लेकिन पुलिस एक्शन लेने के बजाय महीनों से उसे टहला रही थी. इतना ही नहीं जब वह दारोगा के पास न्याय की गुहार लगाने पहुंची तो दारोगा ने कहा कि 'जाओ जहर खा लो.'
आखिर में क्षुब्ध होकर युवती ने जहर खा लिया और पीलीभीत के अमरिया थाने पहुंच गई. युवती की हालत बिगड़ते देख पुलिसवालों ने आनन-फानन उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया. मरने से पहले युवती ने थाना प्रभारी ब्रजवीर सिंह पर गंभीर आरोप लगाए, जिसका वीडियो सोशल मीडिया वायरल हो रहा है.
आइए जानते हैं पूरी कहानी
दरअसल, मरने से पहले वीडियो में युवती ने आरोप लगाते हुआ कहा कि मेरा प्रेम प्रसंग क्षेत्र के एक युवक से काफी सालों से चल रहा था. मैंने उसको काफी पैसा दिया था और विदेश भी भेजा था. लेकिन जब वो विदेश से वापस आया तो मुझसे शादी करने से मुकर गया. उसने दूसरी युवती से शादी रचा ली. शोषण करने के बाद मुझे छोड़ दिया.
इस बाबत युवती ने 10 महीने पहले आरोपी युवक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था, लेकिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया. आरोप है कि पुलिस ने आरोपी से सेटिंग कर ली और मामले में फाइनल रिपोर्ट (एफआर) लगा दी. पुलिस की कार्यशैली से नाराज युवती पिछले 10 दिन से लगातार थाने के चक्कर लगा रहा थी. लेकिन मदद के बजाय थाना अध्यक्ष ब्रजवीर सिंह उसका मानसिक शोषण कर रहे थे.
बुधवार देर शाम दारोगा ब्रजवीर ने पीड़िता से जहर खाकर जान देने के लिए कह दिया. जिससे क्षुब्ध युवती ने जहर खा लिया. हालांकि, अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि युवती ने थाने के अंदर जहर खाया या बाहर? जहर खाने के बाद पुलिस ने आनन- फानन में युवती को पीलीभीत जिला अस्पताल भर्ती कराया, जहां से हालत गंभीर होने पर उसे बरेली हायर सेंटर रेफर किया गया. लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. अब इस पूरे मामले में सीओ सदर कार्रवाई का आश्वासन दे रहे हैं.
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, स्थानीय पुलिस की माने तो प्रेमी की बेवफाई से परेशान युवती ने बुधवार शाम को जहर खा लिया और सीधे अमरिया थाने पहुंच गई. हालत बिगड़ने पर उसे जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां से उसे बरेली रेफर कर दिया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. इस बीच, मृतका के परिजनों ने दावा किया कि करीब 8-10 महीने पहले युवती ने आरोपी के खिलाफ यौन शोषण का मामला दर्ज कराया था, लेकिन पुलिस ने तीन महीने पहले ही मामले को बंद करते हुए कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी. परिजनों का दावा है कि अगर पुलिस ने उस समय निष्पक्षता से काम किया होता, तो शायद युवती ने यह कदम नहीं उठाया होता.