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10 हजार करोड़ के फर्जीवाड़े का खुलासा, जानिए, कैसे नोएडा के ठगों ने सरकार को लगाया चूना

उत्तर प्रदेश के नोएडा में 10 हजार करोड़ का फर्जीवाड़ा सामने आया है. धोखाधड़ी की इस वारदात में आरोपियों ने 7 लाख लोगों का पैन कार्ड डेटा इस्तेमाल कर 2600 से ज्यादा नकली फर्म बनाईं. इन फर्मों का जीएसटी रजिस्ट्रेशन भी कराया और फिर सरकार को हजारों करोड़ का चूना लगा दिया.

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टैक्स सिस्टम में बदलाव करते हुए सरकार ने 6 साल पहले जुलाई 2017 में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) लागू किया. सरकार ने इसे अपनी आर्थिक नीति में बड़ा सुधार बताया, लेकिन ठगों और जालसाजों ने सरकार के इस सिस्टम में भी सेंधमारी के तरीके इजाद कर लिए हैं. उत्तर प्रदेश के नोएडा में जीएसटी फर्जीवाड़े का ऐसा ही एक मामला सामने आया है. इस स्कैम को अंजाम देने वालें शातिर जालसाजों ने 7 लाख लोगों के पैन कार्ड का डेटा इस्तेमाल किया. 2660 फर्जी जीएसटी फर्म तैयार कर दीं और फिर 10 हजार रुपए के फर्जीवाड़े को अंजाम दे दिया. आइए आपको सिलसिलेवार तरीके से समझाते हैं कि ठगों ने इस धोखाधड़ी को कैसे अंजाम दिया.

कैसे काम करता था गिरोह?

फर्जीवाड़े को अंजाम देने वाला गिरोह पिछले 5 साल से फर्जी फर्म तैयार करने में लगा हुआ था. इसके लिए दो टीमें बनाई गई थीं. पहली टीम फर्जी दस्तावेजों जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, रेंट एग्रीमेंट, इलेक्ट्रिसिटी बिल आदि का इस्तेमाल करके फर्जी फर्म और जीएसटी नंबर तैयार करती थी. वहीं, दूसरी टीम फर्जी फर्म और जीएसटी नंबर को पहली टीम से खरीद लेती थी. इसके बाद शुरू होता था फर्जी बिल बनाने का खेल और उनके जरिए जीएसटी रिफंड आईटीसी इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल कर भारत सरकार को चूना लगाया जा रहा था.

कैसे हुआ धोखाधड़ी का खुलासा?

दरअसल, नोएडा के सेक्टर-20 में स्थित पुलिस स्टेशन में कई महीनों पहले एक शिकायत आई. शिकायत करने वाले ने बताया कि उसके पैन कार्ड का इस्तेमाल कर किसी ने फर्जी फर्म तैयार कर ली है और उस फर्म के जरिए बड़ा हेरफेर भी किया गया है. कम्प्लेंट मिलते ही इस मामले की जांच के लिए टेक्निकल सर्विलांस टीम को लगा दिया गया. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी फर्जीवाड़े के पीछे काम कर रहे पूरे नेक्सस का खुलासा होता गया.

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कैसे तैयार होते थे फर्जी बिल?

आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वे फर्जी फर्म बनाते थे, जिसका बकायदा GST नंबर भी होता था. फिर आरोपी माल डिलीवर किए बिना फर्जी बिल तैयार करते थे. और जीएसटी रिफंड लेकर सरकार को हजारों करोड़ के राजस्व का चूना लगा रहे थे. इस काम के लिए 24 कम्प्यूटर का इस्तेमाल किया जाता था.

फर्जीवाड़े के लिए कहां से मिलता था डेटा?

फर्जी फर्म तैयार करने के लिए डेटा की व्यवस्था सर्विस प्रोवाइडर कंपनी जस्ट डायल से की जाती थी. पहली टीम यहां से अवैध रूप से डेटा खरीदती थी. इसके बाद छोटी कॉलोनी और मोहल्लों में रहने वाले शराबी लोगों को 1000 या 1500 रुपये का लालच देकर उनके आधार कार्ड से फर्जी मोबाइल सिम रजिस्टर कराई जाती थी. इसके बाद ऑनलाइन रेंट एग्रीमेंट और इलेक्ट्रिसिटी बिल फर्जी तरीके से डाउनलोड किया जाता था. इसे एडिट करने के बाद फर्म का फर्जी एड्रेस तैयार होता था.

कैसे फर्जी डेटा से तैयार होती थी GST फर्म?

आरोपी जिन शराबियों का आधार कार्ड लेते थे, उसके जरिए पैन कार्ड डेटा सर्च किया जाता था. उदाहरण के तौर पर अगर आधार कार्ड में राहुल नाम के किसी डेटा के 80 कॉमन नाम मिलते थे तो सभी नामों के पैन कार्ड पर राहुल के आधार कार्ड और दूसरे फर्जी दस्तावेज लगाकर नकली फर्म रजिस्टर कर ली जाती थी. इसके साथ ही जीएसटी नंबर रजिस्टर कराने के लिए reg.gst.gov.in पर लॉगइन किया जाता था. जीएसटी पोर्टल में फर्म रजिस्ट्रेशन करने के लिए लॉगिन करने पर वेरिफिकेशन कोड भेजता था. यह कोड उस मोबाइल नंबर पर पहुंच जाता था, जिसे ठग रजिस्टर करते थे. अब इस कोड को जीएसटी पोर्टल पर डालकर फर्जी जीएसटी नंबर के साथ फर्जी फर्म तैयार कर ली जाती थी.

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एक फर्म से बनाए जाते थे कितने फर्जी बिल?

अब काम शुरू होता था दूसरे गिरोह का. इस टीम को ऑन डिमांड फर्जी फर्म 80 हजार से 90 हजार रुपए के हिसाब से बेच दी जाती थीं. दूसरी टीम फर्म का इस्तेमाल करके माल का आदान-प्रदान किए बिना ही फर्जी बिल तैयार कर लेती थी. इस फर्जी बिल के जरिए भारत सरकार से जीएसटी रिफंड करा लिया जाता था. एक फर्जी फर्म से एक महीने के अंदर 2 से 3 करोड़ रुपए के फर्जी बिल का इस्तेमाल किया जाता था.

8 आरोपी गिरफ्तार तो 7 फरार

पुलिस ने इस गिरोह को चलाने वाले मास्टरमाइंड पति-पत्नी सहित 8 लोगों गिरफ्तार किया है. 7 लोग अभी फरार हैं, जिनकी तलाश में पुलिस जुटी हुई है. इस गैंग के अब तक 10 हजार करोड़ का हेर-फेर करने की बात सामने आई है. पुलिस मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के लिहाज से भी जांच कर रही है. पुलिस ने इनकम टैक्स विभाग सहित केंद्रीय एजेंसियों को भी मामले की जानकारी दी है. नोएडा सीपी लक्ष्मी सिंह ने हुए बताया कि से 6 लाख से ज्यादा पैन कार्ड का डेटा बरामद हुआ है. कई एंगल पर जांच की जा रही है.

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