उत्तर प्रदेश के बलरामपुर में सामने आए धर्मांतरण सिंडिकेट में विदेशी फंडिंग का बड़ा नेटवर्क उजागर हुआ है. जांच में पता चला है कि छांगुर बाबा और उसके सहयोगियों- नीतू रोहरा उर्फ नसरीन और नवीन रोहरा उर्फ जमालुद्दीन ने कई फर्जी या ट्रस्टनुमा संस्थाएं बनाईं. इनमें करोड़ों की विदेशी फंडिंग हासिल की. इसी फंड का इस्तेमाल धर्मांतरण में किया गया. एटीएस और खुफिया एजेंसियों की पड़ताल में बैंक खातों और संपत्तियों की जानकारी सामने आई है.
छांगुर बाबा ने धर्मांतरण के लिए चार संस्थाएं बनाई थीं- इनमें आस्वी इंटरप्राइजेज, आस्वी चैरिटेबल ट्रस्ट, बाबा ताजुद्दीन आस्वी बुटीक और आसिपिया हसनी हुसैनी कलेक्शन सेंटर. इन संस्थाओं के नाम पर वह विदेश से फंडिंग हासिल करता था, इन्हीं रजिस्टर्ड संस्थाओं के खातों में पैसे ट्रांसफर कराए जाते थे.

एसबीआई के एक खाते में छांगुर बाबा को विदेश से सीधे 16 लाख रुपये की फंडिंग मिली थी. वहीं दूसरी ओर नीतू रोहरा उर्फ नसरीन और नवीन रोहरा उर्फ जमालुद्दीन ने भी अलग-अलग बैंक अकाउंट खोलकर विदेशी फंड्स को डायवर्ट किया.
नीतू उर्फ नसरीन के नाम पर 8 बैंक अकाउंट हैं, जिनमें से बैंक ऑफ बड़ौदा के एक खाते में अकेले 5 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग दर्ज हुई है. इसमें बड़ी बात यह है कि सिर्फ चार महीने (24 फरवरी 2021 से 28 जून 2021) में नीतू के एक अकाउंट में 13 करोड़ 90 लाख 10 हजार रुपये विदेशी स्रोतों से ट्रांसफर हुए. उसी अवधि में 13 करोड़ 58 लाख रुपये निकाले भी गए.

इसके अलावा नवीन रोहरा उर्फ जमालुद्दीन के 6 अलग-अलग बैंक खातों में फॉरेन फंडिंग मिली है. इनमें से बैंक ऑफ बड़ौदा के एक खाते में 18 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि विदेशी स्रोतों से ट्रांसफर की गई.
जांच में यह भी सामने आया है कि छांगुर बाबा ने उतरौला (बलरामपुर) में इसी विदेशी फंडिंग के जरिए एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स भी बनवाया, जिसे अब जांच एजेंसियों ने सीज कर लिया है. धर्मांतरण के नाम पर विदेशी फंडिंग का ऐसा संगठित बेहद गंभीर मामला है. एटीएस अब इन खातों की मनी ट्रेल, फंडिंग के स्रोत और इन संगठनों के अंतरराष्ट्रीय लिंक की तह तक जाने में जुटी है.