Uttar Pradesh News: हापुड़ तहसील के धनौरा गांव की निवासी कुसुम त्यागी समाधान दिवस में सांसद अरुण गोविल से मिलीं और खुद को जीवित साबित करने की गुहार लगाई. हापुड़ के समाज कल्याण विभाग ने जनवरी 2022 में दस्तावेजी त्रुटि के कारण कुसुम त्यागी को कागजों में मृतक घोषित कर उनकी वृद्धावस्था पेंशन बंद कर दी थी. पिछले तीन वर्षों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही महिला की व्यथा सुनकर सांसद ने तत्काल जिलाधिकारी अभिषेक पांडे को फोन किया. सांसद ने डीएम से चुटकी लेते हुए कहा कि आपके क्षेत्र में एक बुजुर्ग महिला खुद को 'भूत' बता रही हैं, इन्हें कागजों में 'जिंदा' कर दीजिए.
तीन साल से खुद को 'जिंदा' साबित करने की जंग
कुसुम त्यागी का आरोप है कि वह पिछले तीन सालों से जिला समाज कल्याण अधिकारी शिवकुमार और अन्य अधिकारियों के चक्कर लगा रही हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. वह हर समाधान दिवस में अपनी फरियाद लेकर पहुंचती हैं ताकि उनकी पेंशन दोबारा शुरू हो सके.
शनिवार को जब सांसद अरुण गोविल कंबल वितरित करने नगरपालिका सभागार पहुंचे, तब कुसुम ने उन्हें अपनी आपबीती सुनाई. सांसद ने मामले की गंभीरता देखते हुए डीएम को निर्देश दिए कि इस लापरवाही को तुरंत सुधारा जाए.
सांसद के तंज के बाद भी नहीं पसीजा प्रशासन!
सांसद के कड़े निर्देश के बाद जिलाधिकारी ने कुसुम के परिवार से फोन पर बात की और ग्राम पंचायत सचिव को मामले के निस्तारण के आदेश दिए. हालांकि, कुसुम त्यागी का कहना है कि 'भगवान राम' का किरदार निभाने वाले सांसद जी की गुहार और डीएम के आदेश के बावजूद अब तक कोई अधिकारी उनके घर नहीं पहुंचा है. उन्हें डर है कि कहीं अधिकारियों का नाकारापन उनकी उम्मीदों पर फिर से पानी न फेर दे. पीड़ित महिला अभी भी अपनी पेंशन बहाली के लिए कागजी कार्रवाई पूरी होने का इंतजार कर रही है.
कैमरे से बचते रहे अधिकारी, जांच का दिया हवाला
जब इस मामले में जिला समाज कल्याण अधिकारी शिवकुमार से बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी बोलने से साफ इनकार कर दिया. उन्होंने दबी जुबान में सिर्फ इतना कहा कि मामला उनके संज्ञान में है और इसकी जांच की जा रही है. उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही महिला को कागजों में जीवित घोषित कर दिया जाएगा. अब सवाल यह है कि जिस सिस्टम ने एक जीवित महिला को 'मृतक' बना दिया, वह उसे कागजों में 'सांसें' लौटाने में और कितना वक्त लेगा.