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मथुरा: Banke Bihari Corridor में जिनके घर-दुकान टूटेंगे, उन्हें इस जगह दिए जाएंगे फ्लैट, जानिए पूरी डिटेल

जिला मजिस्ट्रेट चंद्र प्रकाश सिंह ने कहा कि मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण (एमवीडीए) ने 275 प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए रुक्मिणी विहार और सुनरख बांगर में भूमि का चयन किया है. उन्हें उनकी जरूरतों के अनुसार फ्लैट उपलब्ध कराए जाएंगे. सूची में लगभग 200 दुकानदार शामिल हैं, जिनके प्रतिष्ठान कॉरिडोर क्षेत्र में आते हैं.

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बांके बिहारी मंदिर
बांके बिहारी मंदिर

उत्तर प्रदेश सरकार ने वृंदावन में आगामी बांके बिहारी कॉरिडोर परियोजना से प्रभावित परिवारों को मथुरा-वृंदावन क्षेत्र के रुक्मिणी विहार और सुनरख बांगर इलाकों में पुनर्वासित करने का फैसला किया है. ये जानकारी जिला प्रशासन ने दी है. 

बुधवार शाम को एक बयान में कहा गया कि वृंदावन में प्रतिष्ठित ठाकुर बांके बिहारी मंदिर के आसपास 5.5 एकड़ भूमि पर बनाए जाने वाले इस कॉरिडोर से सेवायतों (मंदिर की देखभाल करने वालों), दुकानदारों और स्थानीय निवासियों सहित कई परिवार प्रभावित होंगे. 

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, जिला मजिस्ट्रेट चंद्र प्रकाश सिंह ने कहा कि मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण (एमवीडीए) ने 275 प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए रुक्मिणी विहार और सुनरख बांगर में भूमि का चयन किया है. उन्हें उनकी जरूरतों के अनुसार फ्लैट उपलब्ध कराए जाएंगे. सूची में लगभग 200 दुकानदार शामिल हैं, जिनके प्रतिष्ठान परियोजना क्षेत्र में आते हैं.

चंद्र प्रकाश सिंह ने कहा, "सभी प्रभावित दुकानदारों को कॉरिडोर परिसर में नए व्यावसायिक स्थान आवंटित किए जाएंगे". घर मालिकों को रुक्मिणी विहार और सुनरख बांगर में से किसी एक को चुनने का विकल्प दिया जाएगा. पुनर्वास के अलावा, सभी प्रभावित व्यक्तियों को भूमि और भवन दोनों के लिए मुआवजा प्रदान किया जाएगा. 

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प्रस्तावित आवासीय योजना का विवरण देते हुए, एमवीडीए के उपाध्यक्ष श्याम बहादुर सिंह ने कहा कि रुक्मिणी विहार आवास योजना के लिए चार बड़े भूखंड चिह्नित किए गए हैं. शुरुआत में 325 से 350 एक और दो बेडरूम वाले फ्लैट बनाए जाएंगे. 

मथुरा जिला मजिस्ट्रेट ने कहा, "यदि आवश्यक हुआ, तो फ्लैटों की संख्या बढ़ाने के लिए आसपास के क्षेत्र में अतिरिक्त भूमि की पहचान की जाएगी."

उन्होंने आगे बताया कि बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण चल रहा है और अधिकांश 'सेवायत' परिवारों, व्यापारियों और सामाजिक संगठनों ने कॉरिडोर परियोजना के लिए समर्थन व्यक्त किया है. बातचीत और आउटरीच के माध्यम से शेष हितधारकों की सहमति प्राप्त करने के प्रयास भी किए जा रहे हैं. 

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