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आग लगने के बाद भी दौड़ती रही बस, ड्राइवर ने किसी को जगाया नहीं... लखनऊ बस कांड में कहां हुई लापरवाही?

यूपी की राजधानी लखनऊ में एक बस में पांच लोग जिंदा जल गए. इस घटना में सामने आया है कि आग लगने के बाद भी बस एक किलोमीटर तक दौड़ती रही. प्रत्यक्षदर्शी का कहना है कि किसी को चेतावनी नहीं मिली, कोई इमरजेंसी अलर्ट नहीं बजा और न ही ड्राइवर ने किसी यात्री को जगाने की कोशिश की. वह खुद बस से कूदकर भाग गया. नींद में डूबे यात्री आग की चपेट में आ गए.

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लखनऊ में चलती बस में लगी आग. (Screengrab)
लखनऊ में चलती बस में लगी आग. (Screengrab)

बिहार से दिल्ली जा रही एक प्राइवेट बस जब लखनऊ पहुंची तो उसमें अचानक आग लग गई. बस में सवार यात्री नींद में थे. इनमें पांच यात्री जिंदा जल गए. बस आग का पता चलते ही चीख पुकार मच गई. अब इस घटना में सामने आया है कि आग लगने के बाद भी बस एक किलोमीटर तक दौड़ती रही और ड्राइवर ने किसी भी यात्री को इस बारे में नहीं बताया.

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प्रत्यक्षदर्शी का कहना है कि कुछ ही मिनटों में बस धुएं और आग में तब्दील हो गई. जब बस में आग लगी, तब वो सड़क पर दौड़ रही थी. बस में सवार यात्रियों को आग का आभास ही नहीं हुआ, ड्राइवर ने बस नहीं रोकी, न किसी को आगाह किया... वह खुद छलांग लगाकर भाग गया. अफरा-तफरी व चीख-पुकार के बीच लोग जैसे तैसे बाहर निकले, लेकिन तब तक पांच लोग जिंदा जल गए, जिनकी अभी शिनाख्त नहीं हो पाई है.

लोगों का कहना है कि बस में भारी भीड़ थी. हालात इतने बदतर थे कि एग्जिट विंडो पर भी अस्थायी सीटें लगाकर यात्रियों को बैठा दिया गया था और वो खिड़कियां बंद थीं. यानी हादसे की सूरत में लोग बाहर निकल ही नहीं सकते थे. जब आग लगी, तब अधिकतर यात्री नींद में थे और बस धुएं से भर चुकी थी, लेकिन किसी को खबर नहीं थी, क्योंकि ड्राइवर ने न तो बस रोकी, न किसी को जगाया.

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यह भी पढ़ें: धू-धू कर जलती बस, चीखते-चिल्लाते यात्री, 1 KM तक दिखीं लपटें... लखनऊ के किसान पथ पर हुए हादसे की पूरी कहानी

यह सबसे चौंकाने वाला और खतरनाक पहलू था. ड्राइवर ने बस को जलती हालत में एक किलोमीटर तक चलाया. इस दौरान अंदर आग फैलती गई, धुआं घना होता गया, और लोगों के बचने की संभावनाएं कम होती चली गईं. आखिर में वह बस छोड़कर भाग गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

मसूदन कुमार अपने दोस्तों के साथ दिल्ली जा रहे थे, लेकिन वे जिंदगी से हाथ धो बैठे. वहीं उनके साथी रवि किशन जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं. अफरोज ने किसी फिल्मी सीन की तरह अपने बच्चे को खिड़की से फेंका, पत्नी संग कूदा, जान बचाई, but उसका पूरा परिवार अब बेघर है. मोहित का करियर उस लैपटॉप के साथ जल गया, जिसमें उसका सारा डाटा था. धारवीर तो शायद कभी सामान्य न हो पाए- उसने अपनी मां और बहन को आंखों के सामने आग में घिरते देखा, लेकिन बचा नहीं पाया.

ग्राम प्रधान राम खिलवान रावत ने साफ कहा कि ड्राइवर ने चेतावनी नहीं दी, न बस रोकी. आग को फैलने देने में उसकी भूमिका संदिग्ध है. डीसीपी निपुण अग्रवाल ने हादसे में पांच मौतों की पुष्टि की, जिसमें महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. शॉर्ट सर्किट को कारण बताया जा रहा है, लेकिन असल सवाल यह है- क्या यह सिर्फ शॉर्ट सर्किट था या बस संचालन में बरती गई घोर लापरवाही? लखनऊ बस हादसा झकझोर देने वाला है.

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