scorecardresearch
 

'घोस्ट सर्जन' बनकर लोगों की जिंदगी से खेल रही थी डॉक्टर अनुष्का, सामने आया असली कारनामा

अनुष्का खुद को डॉक्टर बताकर बिना नाम, डिग्री और रजिस्ट्रेशन नंबर के 'घोस्ट सर्जन' की तरह इलाज कर रही थीं. परिजनों का दावा है कि इंजीनियरों को जो दवा के पर्चे दिए गए, उनमें न डॉक्टर का नाम था, न रजिस्ट्रेशन नंबर और न ही किसी डिग्री का जिक्र. 18 नवंबर को मयंक कटियार की हेयर ट्रांसप्लांट के एक दिन बाद मौत हो गई, तो डॉक्टर अनुष्का ने अपने क्लीनिक का नाम और ठिकाना तक बदल दिया.

Advertisement
X
डॉक्टर अनुष्का तिवारी
डॉक्टर अनुष्का तिवारी

कानपुर में दो इंजीनियरों की मौत से जुड़े हेयर ट्रांसप्लांट कांड में डॉक्टर अनुष्का तिवारी को लेकर चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं. अब यह बात खुल चुकी है कि अनुष्का खुद को डॉक्टर बताकर बिना नाम, डिग्री और रजिस्ट्रेशन नंबर के 'घोस्ट सर्जन' की तरह इलाज कर रही थीं. मेडिकल साइंस की भाषा में ऐसे लोगों को ही 'घोस्ट सर्जन' कहा जाता है, जो  मेडिकल रिकॉर्ड में कहीं दर्ज नहीं होते.

परिजनों का दावा है कि इंजीनियरों को जो दवा के पर्चे दिए गए, उनमें न डॉक्टर का नाम था, न रजिस्ट्रेशन नंबर और न ही किसी डिग्री का जिक्र. यही नहीं, 18 नवंबर को फर्रुखाबाद निवासी इंजीनियर मयंक कटियार की हेयर ट्रांसप्लांट के एक दिन बाद मौत हो गई, तो डॉक्टर अनुष्का ने अपने क्लीनिक का नाम और ठिकाना तक बदल दिया. पहले उन्होंने अंपायर क्लीनिक के नाम से मयंक को पर्चा दिया, लेकिन बाद में क्लीनिक को आवास विकास से केशवपुरम शिफ्ट कर लिया. इसी तरह, 15 मार्च को पनकी पावर हाउस के इंजीनियर विनीत दुबे की मौत के बाद जो पर्चे उनकी पत्नी जया को मिले, उसमें वाराही क्लीनिक का नाम था लेकिन डॉक्टर की कोई पहचान नहीं दी गई थी.

मामले को लेकर ISHRS (इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ हेयर रेस्टोरेशन सर्जन) के सदस्य और उत्तर प्रदेश में हेयर ट्रांसप्लांट यूनिट के पायनियर डॉ. विवेक सक्सेना ने कहा, इस तरह से बिना नाम, रजिस्ट्रेशन नंबर और डिग्री के इलाज करना मेडिकल अपराध है. यह दोनों इंजीनियरों की मौत के पीछे गैरकानूनी और लापरवाह मेडिकल प्रैक्टिस का मामला है.

Advertisement

मृतक इंजीनियर विपिन की पत्नी जया का कहना है कि उन्होंने पुलिस से शिकायत की, FIR भी दर्ज है लेकिन डॉक्टर अब भी बाहर घूम रही हैं. वहीं मयंक के भाई कुशाग्र बताते हैं कि उनकी FIR तक नहीं लिखी गई. पुलिस सीएमओ की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है, जबकि खुद सीएमओ ने साफ किया है कि अनुष्का तिवारी या उनके क्लीनिक का कोई रजिस्ट्रेशन मौजूद नहीं है.

परिजनों का सवाल यह भी है कि अनुष्का तिवारी किस हैसियत से यह काम कर रही थीं, जबकि वह न प्लास्टिक सर्जन हैं और न ही उनके पति डॉ. सौरभ की कोई योग्यता इस कार्य के लिए मान्य है. नियमों के अनुसार, सिर्फ रजिस्टर्ड प्लास्टिक सर्जन ही हेयर ट्रांसप्लांट कर सकते हैं. इन सबके बावजूद अभी तक न तो गिरफ्तारी हुई है, न कोई ठोस कानूनी कार्रवाई. परिजनों का कहना है कि घोस्ट सर्जन बनकर मरीजों की जान लेने वाली डॉक्टर अनुष्का पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, लेकिन जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं.
 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement