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गोद में नवजात, भागता नर्सिंग स्टाफ और चीखतीं मांएं... सन्न कर देगा झांसी मेडिकल कॉलेज का ये सीन!

झांसी के रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज (jhansi medical college) में शुक्रवार रात हुई घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया. आग लगने की वजह से एनआईसीयू वार्ड में मौजूद 10 बच्चों की मौत हो गई, जबकि 17 की हालत गंभीर है. घटना के बाद चीख-पुकार, बिलखते माता-पिता और इधर-उधर भागते नर्सिंग स्टाफ का सीन दिल दहला देने वाला है.

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झांसी मेडिकल कॉलेज में भागते दौड़ते लोग. (Video grab)
झांसी मेडिकल कॉलेज में भागते दौड़ते लोग. (Video grab)

UP News: झांसी के रानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज (jhansi medical college) में शुक्रवार रात का हादसा न सिर्फ दिल दहला देने वाला था, बल्कि व्यवस्था की खामियों को भी उजागर कर गया. नवजात शिशुओं के एनआईसीयू वार्ड में अचानक लगी आग ने 10 मासूमों की जान ले ली. कई परिवारों में मातम छा गया. इस हादसे में 17 बच्चे घायल हैं, जिनका इलाज जारी है.

घटना के दौरान की तस्वीरें सामने आई हैं, जो दिल दहला देने वाली हैं. यहां अस्पताल में माताओं की चीखें और नर्सिंग स्टाफ का जान पर खेलकर बच्चों को गोद में उठाकर बाहर निकालने का सीन सन्न करने वाला है.

यहां देखें Video

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) सचिन माहौर ने घटना को लेकर कहा कि एनआईसीयू में कुल 54 नवजात शिशु भर्ती थे. रात करीब 10:30 से 10:45 के बीच ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में शॉर्ट सर्किट से आग लग गई. आग तेजी से फैल गई, जिससे अंदर वाले यूनिट में ज्यादा नुकसान हुआ.

फायर अलार्म और वॉटर स्प्रिंकलर ने काम नहीं किया, जिससे बचाव कार्य में देरी हुई. अस्पताल के फायर एक्सटिंग्विशर एक से तीन साल पहले एक्सपायर हो चुके थे. मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि सिलेंडर काम नहीं कर रहे थे. यहां तक कि आग बुझाने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं थी.

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यह भी पढ़ें: झांसी: नर्स ने माचिस की तीली जलाई और वार्ड में भभक पड़ी आग, 4 साल से एक्सपायर पड़ा था आग बुझाने वाला सिलेंडर

जब आग तेजी से फैल रही थी तो नर्सिंग स्टाफ ने नवजातों को गोद में उठाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया. कई नवजातों को दूसरी यूनिट में शिफ्ट किया गयास, लेकिन आग इतनी भयावह थी कि 10 मासूमों को बचाया नहीं जा सका. इस हादसे के बाद मेडिकल कॉलेज में मातम का माहौल है.

कई लोगों को अब तक नहीं पता- उनका बच्चा जिंदा है या नहीं

कई लोगों को अब तक यह भी नहीं पता कि उनका बच्चा जिंदा है या नहीं. कुलदीप घटना के समय बच्चों को बचाने में लगे रहे, कहते हैं कि मैंने दूसरों के बच्चों को बचाया, लेकिन मेरा बच्चा कहां है, अब तक उसकी कोई खबर नहीं है. वहीं संतोषी का 10 दिन का नवजात गायब है, संतोषी ने रोते हुए कहा कि 10 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन अब तक कोई अधिकारी यह नहीं बता पाया कि मेरा बच्चा कहां है. जब आग लगी उस समय हम सो रहे थे. अचानक अस्पताल धधकने लगा. अब हमारा बच्चा कहां है, कोई नहीं बता रहा.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना को दुखद बताते हुए जांच के आदेश दिए हैं. वहीं डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि उच्चस्तरीय जांच कराई जाएगी. डीजीएमई, फायर और इलेक्ट्रिक विभाग की संयुक्त रिपोर्ट के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

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झांसी प्रशासन की ओर से हेल्पलाइन नंबर किया गया जारी

घटना के बाद झांसी प्रशासन ने लापता बच्चों की जानकारी के लिए हेल्पलाइन नंबर 6389831357 जारी किया है. इस नंबर पर बच्चों से संबंधित जानकारी ली जा सकती है. इस पूरी घटना को लेकर सवाल उठता है कि जब फायर सेफ्टी उपकरण एक्सपायर हो चुके थे तो प्रशासन ने समय रहते इन्हें बदलने की प्रक्रिया क्यों नहीं शुरू की? ऐसे संवेदनशील स्थानों पर किसी भी लापरवाही को क्या माफ किया जा सकता है?

घटना पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आईं हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहा कि सरकार जांच के आदेश देती रहती है, लेकिन ऐसी घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रहीं. प्रदेश की जनता पर ध्यान नहीं दिया जा रहा.

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