पाकिस्तान से प्यार की तलाश में नेपाल के रास्ते भारत आई सीमा हैदर के मामले में कहां चूक हुई? आखिर सुरक्षा एजेंसियां क्यों नहीं नहीं जान पाईं? कोई पाकिस्तानी महिला अवैध रूप से नोएडा कैसे पहुंच गई? ऐसे ही तमाम सवालों को लेकर पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि इस मामले में पुलिस और जांच एजेंसियों को और अधिक सतर्क होना चाहिए.
पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने सीमा हैदर के मामले में कहा कि जिस तरीके से पूछताछ की गई है, इसमें कहीं न कहीं जल्दबाजी हुई है. जांच एजेंसियों को भी और सख्ती से जांच करनी चाहिए और और पूछताछ करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस मामले में इतनी जल्दी नाम पता पूछकर मामले की इतिश्री नहीं होनी चाहिए थी. इसमें गहराई से दो तीन दिन तक पूछताछ होनी चाहिए.
किन चार चरणों में हुई लापरवाही? डीजीपी ने बताया
एक महिला चार बच्चों के साथ पाकिस्तान से भारत आ जाती है, ये असामान्य गतिविधि है, इसमें चार चरणों में लापरवाही हुई है, जिनमें ग्राम प्रधान, ग्राम चौकीदार, बीट इन्फर्मेशन रजिस्टर और लोकल इंटेलिजेंस हैं, जिन्हें सतर्कता दिखानी चाहिए थी. यहां किसी ने कुछ नहीं देखा तो ये बड़ा सवाल है.
इतनी जल्दी कैसे खत्म हो गई पूछताछ?
जिस हिसाब से एजेंसियां काम कर रही हैं, इतनी जल्दी पूछताछ खत्म हो जाती है और सीमा को रिहाई मिल जाती है, इसके बाद वह आकर आराम से रह रहे हैं. आज तक इतनी जल्दी पूछताछ कभी नहीं देखी. इस मामले की गहराई से और अलग अलग अधिकारियों द्वारा अलग-अलग तरीके से अलग-अलग पूछताछ हो.
इसके बाद सचिन और सीमा से एकसाथ पूछताछ हो. वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सीमा के पति गुलाम हैदर से बातचीत हो, उससे कुछ सुराग मिलेगा, क्योंकि हो सकता है कि वो कोई महत्वपूर्ण जानकारी दे दे, जो कि जांच में मदद करे.
चार बच्चों के साथ रबूपुरा कैसे पहुंच गई सीमा?
एक पाकिस्तानी महिला बिना वैध अभिलेखों के भारत में एंट्री कर लेती है. चार बच्चों के साथ वो रबूपुरा पहुंच जाती है, जहां एयरपोर्ट तैयार हो रहा है. जहां करोड़ों-अरबों का निवेश हो रहा है. वहां सीमा आकर आसानी से रहने लगती है? नेपाल, भारत, उत्तर प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश रबूपुरा, क्या इस मामले में किसी को कुछ संदिग्ध नहीं दिखाई दिया? जब यह मामला सुर्खियों में आया, तब पुलिस सतर्क हुई. ये पूरी चूक की पराकाष्ठा है.

पूर्व डीजीपी बोले- सिस्टम को मजूबत करने की जरूरत
इन सवालों को लेकर पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने कहा कि भारत में इनबिल्ट सिस्टम यानी ग्राम चौकीदार, ग्राम प्रधान और बीट इन्फर्मेशन के माध्यम से अगर कोई चीज असामान्य या अनयूजुअल होती है तो सूचना थाने पर, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को तत्काल मिल जाती है. यहां पर अगर इतनी बड़ी चूक हुई है तो इस सिस्टम को और मजबूत करने की जरूरत है.
'बिना किसी की मदद से आप चांदनी चौक नहीं पहुंच सकते'
बड़ा सवाल यह भी है कि सीमा हैदर चार बच्चों को लेकर भारत आ गई और कहीं भी किसी भी बॉर्डर पर किसी को इन्फार्मेशन नहीं मिली तो कहीं न कहीं संदेह वाली बात है. पूर्व डीजीपी ने कहा कि आप नोएडा में हैं, आपसे कह दिया जाए तो सख्ती के बाद आसानी से आप चांदनी चौक नहीं जा पाएंगे. अगर आपको कोई ब्रीफ न करें. मैं तब तक आसानी से नहीं जा सकता, जब तक कि किसी से सहायता न लूं, लेकिन सीमा चार बच्चों के साथ नेपाल पार करके देश में आ जाती है. वह अच्छी अंग्रेजी बोलती है. हिंदी भी अच्छी बोलती है. सिंधी भी अच्छी बोलती है.
सीमा ने नेपाल से इंटरनेट कॉल क्यों किया?
पूर्व डीजीपी ने कहा कि सीमा कहती है कि मैंने नेपाली लडकियों से दोस्ती करके उनके फोन से हाटस्पाट लिया और सचिन से बात की. अगर आपके पास मोबाइल था तो अपने मोबाइल का इस्तेमाल क्यों नहीं किया? आपने दूसरे के फोन का हाटस्पाट लेकर वाईफाई कॉल क्यों किया? क्या ये काम वही कर सकता है, जिसके पीछे किसी इंटेलिजेंस एजेंसी ने कहा हो कि जब कभी कोई अंतरराष्ट्रीय कॉल करो, अपने फोन से मत करो, दूसरे के फोन से इंटरनेट लेकर कॉल करो. यह सब सुनियोजित काम हो सकता है.

सीमा हैदर ने क्यों तोड़ दी थी सिम?
इंटेलिजेंस एजेंसी कैसे काम करती है? सूचना ये भी है कि सीमा ने अपनी सिम तोड़ दी थी. ये बात कहीं खतरे की तरफ जो इंडिकेट नहीं करती. डीजीपी ने कहा कि सिम तोड़ने का मतलब मैं आपसे पूछता हूं कि एक चोर है, वो चोरी के बाद अपना हथियार और आला नकब फेंक देता है. इसका क्या मतलब है? कोई किसी चीज को डिस्ट्रॉय क्यों करता है? अपने फिंगर प्रिंट क्यों मिटाता है, कोई फुटप्रिंट्स क्यों मिटाता है? कोई क्यों ऐसा करता है, जिससे कि पुलिस तक वो बातें न पहुंचें, वरना आदमी प्रिजर्व करता है.
इतना पुराना पुलिस सिस्टम, कैसे हो गया फेल?
भारतीय एजेंसी का ये बड़ा फेलयर नहीं है कि सीमा नोएडा आ जाती है, यहां आने के बाद जब वो किसी वकील के पास जाती हैं, तब इसकी जानकारी मिलती है. तो इसे आप बड़ा फेलियर मानते हैं? इस पर डीजीपी ने कहा कि मैं मानता हूं कि पुलिस को और अधिक सतर्क होना चाहिए था. पुलिस का सिस्टम आज से नहीं, 1861 से है. इतना पुराना सिस्टम कैसे फेल हो गया.