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Hillary Clinton पहुंचीं काशी, गंगा आरती का उठाया लुत्फ, लोगों संग फोटो भी क्लिक कराई

अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी (Hillary Clinton) ने वाराणसी पहुंचकर गंगा आरती का लुत्फ उठाया. अपनी भारत यात्रा के तहत वे 3 दिनों की यात्रा पर उत्तर पदेश पहुंची हैं. बनारस के घाट पर पहुंचीं हिलेरी ने लोगों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया और कई लोगों के साथ फोटो भी क्लिक कराई.

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इला भट्ट के एनजीओ की 50वीं वर्षगाठ पर महिला कार्यकर्ताओं के साथ हिलेरी क्लिंटन. (फोटो-ट्विटर)
इला भट्ट के एनजीओ की 50वीं वर्षगाठ पर महिला कार्यकर्ताओं के साथ हिलेरी क्लिंटन. (फोटो-ट्विटर)

अमेरिका की पूर्व विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन (Hillary Clinton) इन दिनों भारत की यात्रा पर हैं. हिलेरी शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में स्थित शिव की नगरी काशी (वाराणसी) पहुंचीं. यहां पहुंचकर उन्होंने बजड़े (एक तरह की नाव) में सवार होकर गंगा आरती का नजारा लिया. उन्होंने गंगा घाट से लेकर नाव में बैठने तक मिलने वाले लोगों का हाथ हिलाकर अभिवादन किया. बजड़े में सवार होने के बाद उन्होंने काशी के गंगा घाट की तस्वीरें भी लीं और उनके साथ नाव में सवार लोगों संग फोटो भी खिंचाई.

काशी में घूमते हुए हिलेरी क्लिंटन ने कहा, 'मैं काशी आकर बहुत उत्साहित हूं. पहले कभी मैं यहां नहीं आई इसलिए काशी से बहुत सारे अनुभव लेकर जाना चाहती हूं. हिलेरी तीन दिनों की यात्रा पर वाराणसी पहुंची हैं. उन्होंने यात्रा की शुरुआत नमो घाट से की. शुक्रवार रात उन्होंने गंगा घाट के किनारे पर स्थित बृजरामा पैलेस होटल में रात्रिभोज किया और फिर होटल ताज में रात्रि विश्राम के लिए चली गईं. उन्होंने स्वयं सेवी संस्था की महिलाओं से भी मुलाकात की. अगले दो दिनों में हिलेरी रामनगर और भगवान बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ भी जाएंगी.

अपने दौरे के बारे में ट्वीट करते हुए उन्होंने लिखा, 'पिछले कुछ दिनों से मैं भारत में हूं. यहां महिलाओं के लिए काम करने वाले NGO की 50वीं वर्षगांठ मनाने और मेरी दोस्त इला भट्ट की विरासत को देखने के लिए पहुंची हूं. बता दें कि इला भट्ट पद्म भूषम सम्मान से सम्मानित एक समाजिक कार्यकर्ता थीं, जिनका निधन 89 साल की उम्र में 2 नवंबर 2022 को हो गया था. महिलाओं के उत्थान के लिए उन्होंने कई काम किए. वे हमेशा गांधीवादी विचारधारा का प्रचार करती रहीं. 

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अमेरिका

इला भट्ट को अपने जीवन में बेहतरीन कामों के लिए कई अवॉर्ड मिले. साल 1977 में उन्हें रेमन मैग्सेसे पुरस्कार मिला, फिर 1986 में राइट लाइवलीहुड अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. बाद में उन्हें भारत सरकार ने पद्म भूषण जैसे पुरस्कार से भी नवाजा. इला ने अपने जिंदगी के कई साल स्वश्रयी महिला सेवा संघ को दिए. उन्होंने ही इस संगठन की स्थापना की थी. 1972 से 1996 तक वे इस संगठन में महासचिव के रूप में काम करती रहीं. साल 2011 में इला को गांधी पीस प्राइज भी दिया गया. उद्यमिता के माध्यम से उन्होंने महिलाओं के लिए कई क्रांतिकारी काम किए थे. जिस तरह से वे इन कार्यों में सक्रिय रहीं, समाज में उनकी लोकप्रितया भी बढ़ती गई.

 

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