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गनमैन, स्टेनोग्राफर और लालबत्ती वाली गाड़ियां… ललित किशोर कैसे बना फर्जी IAS गौरव कुमार, AI से बनाता था तस्वीरें

गनमैन, स्टेनोग्राफर... लालबत्ती वाली इनोवा और रुतबे में डूबा फर्जी IAS गौरव कुमार… लेकिन असलियत में यह पूरा साम्राज्य एक पेंट-पॉलिश करने वाले के बेटे ललित किशोर का रचा हुआ था. सोशल मीडिया पर फर्जी पहचान बनाकर शुरू हुआ खेल इतना बड़ा हो गया कि लड़कियों से लेकर अफसर तक उसके जाल में फंसते चले गए. नेटवर्क बढ़ता गया, ठगी का दायरा फैलता गया. अब पुलिस कई राज्यों में उसके कारनामों की परतें खोल रही है.

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लालबत्ती वाली गाड़ियों के साथ घूमने वाला ललित किशोर निकला हाई-प्रोफाइल जालसाज. (Photo: ITG)
लालबत्ती वाली गाड़ियों के साथ घूमने वाला ललित किशोर निकला हाई-प्रोफाइल जालसाज. (Photo: ITG)

यूपी में गोरखपुर पुलिस ने एक ऐसे फर्जी अधिकारी का पर्दाफाश किया है, जिसने न सिर्फ खुद को आईएएस बताकर लोगों को ठगा, बल्कि सरकारी सिस्टम का पूरा नाटक रचकर लाखों-करोड़ों की उगाही की. बिहार के सीतामढ़ी का रहने वाला ललित किशोर पिछले छह महीने से IAS गौरव कुमार बनकर चार राज्यों में अपना नेटवर्क चला रहा था. उसने न सिर्फ फर्जी आईडी, फर्जी नेमप्लेट और प्रोटोकॉल तैयार किया, बल्कि गनमैन, स्टेनोग्राफर और लालबत्ती वाली गाड़ियों का प्रभाव दिखाकर एक पूरा फर्जी सिस्टम खड़ा कर दिया था.

गोरखपुर पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद इस रैकेट की परतें खुलनी शुरू हुईं… और हर खुलासा चौंकाने वाला था. दरअसल, ललित किशोर पढ़ाई में कमजोर नहीं था. उसने MSc तक की पढ़ाई की. फिर तीन साल तक सिविल सर्विस की तैयारी की. इसके बाद वह कोचिंग सेंटर चलाने लगा. बच्चों को पढ़ाने के दौरान उसने एक अभ्यर्थी से नौकरी लगवाने के नाम पर 2 लाख रुपये ले लिए.

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जब उसका काम नहीं हुआ और पैसे वापस न दे पाने की स्थिति आई, तब उस पर केस दर्ज हो गया. इसके बाद उसे लगा कि अब सरकारी नौकरी का रास्ता बंद हो गया है. उधर इस दौरान एक लड़की से लव मैरिज कर ली. पैसों के लिए उसके दिमाग में शॉर्टकट का कीड़ा जागा कि सरकारी काम और टेंडर दिलाने के नाम पर पैसे ऐंठे जाएं.

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साला बना 'टेक्निकल ब्रेन' और दोनों करने लगे फर्जीवाड़ा

ललित के साले अभिषेक कुमार ने सॉफ्टवेयर की पढ़ाई की थी. वह ललित की पूरी मदद कर रहा था. अभिषेक की तकनीकी जानकारी ने ललित के फर्जीवाड़े को और मजबूत बना दिया. दोनों ने मिलकर फर्जी पहचान पत्र, फर्जी सरकारी आईडी, फेक कार्ड, वाहन के लिए फर्जी नेमप्लेट, IAS के नाम से दस्तावेज और सोशल मीडिया पर प्रोफाइल बनाई. ऐसा प्रोटोकॉल सेटअप खड़ा किया कि देखने वाला भी धोखा खा जाए.

यह भी पढ़ें: राजस्थान: फर्जी आईएएस को किया गिरफ्तार, नौकरी के नाम पर कर चुका लाखों की ठगी

फर्जी IAS गौरव कुमार बनने के बाद ललित ने अपने को ज्यादा प्रामाणिक दिखाने के लिए भारी-भरकम प्रोटोकॉल तैयार किया. पुलिस जांच में सामने आया कि 10 गनमैन जिनकी तनख्वाह वह प्रति व्यक्ति 30,000 रुपये देता था. एक स्टेनोग्राफर जिसकी सैलरी 60,000 रुपये थी. लालबत्ती लगी गाड़ियां, सरकारी अफसर जैसी वर्दी और बर्ताव, रूट के अनुसार फर्जी गाड़ियों की तैनाती और हर जगह 'साहब' जैसा माहौल... प्रोटोकॉल ऐसा था कि आम लोग ही नहीं, कई जगह के स्टाफ और पढ़े लिखे लोग तक उसका 'रौब' देखकर प्रभावित हो जाते थे. किसी को लगने ही नहीं देता था कि वह एक फर्जी IAS है.

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AI-generated तस्वीरों का जाल

पुलिस का चौंकाने वाला खुलासा यह रहा कि ललित AI का इस्तेमाल कर फर्जी तस्वीरें बनाता था. जांच में जब पुलिस ने उसके लैपटॉप और सिस्टम खंगाले तो कई अधिकारियों के साथ खिंचवाई गई तस्वीरें, मंत्रालयों और सरकारी मीटिंग की तस्वीरें, विदेश दौरे जैसी दिखने वाली इमेजेज, कार्यक्रमों में मंच पर बैठने की फोटो मिलीं. लेकिन इन सभी में एक कॉमन बात थी कि असली अफसरों के चेहरे हटाकर AI की मदद से उसने अपना चेहरा उनमें लगा दिया था. इन तस्वीरों का इस्तेमाल वह सोशल मीडिया पर, वॉट्सएप पर, बिल्डर्स और ठेकेदारों को इंप्रेस करने में, सरकारी कर्मचारियों को डराने में और अपने नेटवर्क को वैध दिखाने में करता था.

4 राज्यों में नेटवर्क... यूपी, बिहार, झारखंड और MP तक फैले तार

जांच में पता चला कि उसका रैकेट केवल गोरखपुर या उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं था. उसके शिकार बिहार (सीतामढ़ी, पटना), उत्तर प्रदेश (गोरखपुर, महाराजगंज), झारखंड, मध्य प्रदेश तक थे. पटना के एक बड़े ठेकेदार ने पुलिस से शिकायत की थी कि उसने सरकारी टेंडर दिलाने के नाम पर 1.70 करोड़ रुपये और दो वाहन ललित को दे दिए थे. गोरखपुर में एक निजी स्कूल से उसके साथी 55 लाख रुपये तक मांगने की कोशिश कर रहे थे. अधिकारियों की मानें तो उसकी ठगी का शिकार हुए लोग अभी सामने आना शुरू हुए हैं, असल आंकड़ा इससे कई गुना बड़ा हो सकता है.

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फर्जी इंस्पेक्शन और वसूली का खुला खेल

फर्जी IAS बनकर वह कई निजी स्कूलों, संस्थानों और स्थानीय कारोबारियों पर धौंस जमाता था. वह अचानक इंस्पेक्शन, दस्तावेजों की जांच, कमियां बताकर रिश्वत की मांग, कार्रवाई की धमकी जैसे तरीकों से बड़ी रकम वसूलता था. उसके गनमैन और गाड़ियों का रौब ऐसा होता कि कोई उसके आदेश की जांच करने की हिम्मत भी नहीं करता था.

एक अनाम शिकायत ने खोली पोल

गोरखपुर पुलिस के पास एक शिकायत पहुंची, जिसमें बताया गया कि चिलुआताल इलाके में एक व्यक्ति किराए के मकान में रहता है. झुंगिया बाजार में उसका एक ऑफिस है. वह IAS बनकर लोगों से ठगी कर रहा है. पुलिस ने टीम बनाई और जब छापा डाला तो नकली आईडी, forged seals, सरकारी दस्तावेजों की प्रतियां, AI से बनी फोटो, कैश, ज्वेलरी और लैपटॉप बरामद हुए. ललित के साथ उसका साला अभिषेक कुमार और एक सहयोगी परमालंद गुप्ता भी गिरफ्तार किया गया है.

यह भी पढ़ें: लखनऊ में पकड़ा गया फर्जी IAS विवेक मिश्रा: 150 लोगों से 80 करोड़ की ठगी, कई राज्यों में जाल, 6 साल से थी तलाश

एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने कहा कि ललित किशोर और उसके दो साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. जिन लोगों को इससे ठगा गया है, वे आगे आएं और शिकायत दर्ज कराएं. ललित के पास मिले दस्तावेजों और डिजिटल डेटा से कई नए तथ्य सामने आए हैं. इसके नेटवर्क की गहराई जानने के लिए बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश पुलिस से समन्वय किया जा रहा है, जिससे खुलासा हो सके कि उसने किन-किन जगहों पर और कितनी बड़ी ठगी को अंजाम दिया है.

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बिहार में एसडीएम को मार दिया था थप्पड़

फर्जी IAS ऐसा भौकाल बनाकर चलता था कि कोई उसकी असलियत पर शक भी नहीं करता था. IAS प्रोटोकॉल दिखाने के लिए वह हर महीने लाखों रुपये खर्च करता था. लाल-नीली बत्ती लगी सफेद इनोवा, गनमैन और स्टाफ की फौज के साथ जब वह गांवों में दौरा करता, तो पूरा माहौल किसी बड़े अधिकारी की मौजूदगी जैसा बन जाता था. बिहार के भागलपुर में एक बार असली एसडीएम ने उससे बैच और रैंक से जुड़े सवाल पूछ लिए, तो रौब में आकर ललित ने जवाब देने के बजाय उन्हें थप्पड़ मार दिए. हैरानी यह कि एसडीएम ने शिकायत भी दर्ज नहीं कराई.

कब पहली बार शुरू हुई थी जांच

गोरखपुर पुलिस की जांच तब शुरू हुई थी, जब बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान गोरखपुर जीआरपी ने 99 लाख रुपये जब्त किए और पूछताछ में पकड़े गए व्यक्ति ने इस रकम को फर्जी IAS गौरव कुमार सिंह से जुड़ा बताया. इसके बाद पुलिस ने सर्विलांस की मदद से ललित किशोर को पकड़ा और उसके नेटवर्क का खुलासा होना शुरू हुआ. यूपी में जाल फैलाने के लिए उसने गोरखपुर के परमानंद गुप्ता को अपने साथ मिला लिया. ठगी का तरीका भी बेहद संगठित था. एक कारोबारी को टेंडर दिलाने के झांसे में उसने कैश और दो कारें तक ले ली थीं.

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चार गर्लफ्रेंड, इनमें से तीन प्रेग्नेंट

ललित एक सामान्य परिवार से था. उसके पिता पेंट-पॉलिश का काम करते थे और वही काम उसने भी सीख रखा था. मजदूरी करने से लेकर कोचिंग चलाने तक, कई छोटे कामों के बाद उसने फर्जी IAS पहचान बनाकर ठगी की दुनिया में कदम रखा. सोशल मीडिया पर उसने IAS नाम से फर्जी प्रोफाइल बनाई और इसी पहचान के चलते एक-एक कर चार गर्लफ्रेंड भी बना लीं. पुलिस द्वारा जब उसके मोबाइल की जांच हुई तो लड़कियों से लंबी चैट्स मिलीं, जिनसे पता चला कि वर्तमान में उसकी तीन गर्लफ्रेंड प्रेग्नेंट हैं. चौंकाने वाली बात यह कि इनमें से किसी को भी उसकी असली पहचान या शादीशुदा होने की जानकारी नहीं थी. सभी उसे सचमुच का अफसर समझकर उसके साथ थीं.

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(एजेंसी के इनपुट के साथ)
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