scorecardresearch
 

सड़क सुरक्षा में बड़ा कदम: नोएडा में Google Map बताएगा स्पीड लिमिट, दुर्घटना संभावित क्षेत्रों का अलर्ट भी

नोएडा में सड़क सुरक्षा के लिए गूगल स्पीड लिमिट प्रोजेक्ट शुरू हुआ है. गौतमबुद्ध नगर पुलिस और गूगल के समझौते के तहत, अब गूगल मैप पर सड़कों की गति सीमा और 'एक्सीडेंट प्रोन जोन' अलर्ट दिखेगा. इसका लक्ष्य ओवरस्पीडिंग से होने वाले सड़क हादसों को कम करना है, जिससे मौतों की संख्या में 50% तक की कमी लाई जा सके.

Advertisement
X
नोएडा में शुरू हुआ पहला ‘गूगल स्पीड लिमिट प्रोजेक्ट’ (Photo- AI Generated)
नोएडा में शुरू हुआ पहला ‘गूगल स्पीड लिमिट प्रोजेक्ट’ (Photo- AI Generated)

नोएडा में सड़क सुरक्षा को लेकर एक नई पहल की शुरुआत हुई है. गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट और गूगल के बीच हुए समझौते के तहत अब गूगल मैप पर शहर की सड़कों की स्पीड लिमिट दिखाई देगी. यह प्रोजेक्ट नोएडा में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है. इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश के डीजीपी राजीव कृष्णन ने वर्चुअली की है. 

गूगल मैप के इस नई सुविधा के तहत, नोएडा में चलते वक्त गूगल मैप ड्राइवरों को सड़क की स्पीड लिमिट की जानकारी देगा. साथ ही जहां हादसे की आशंका अधिक होती है, उन इलाकों में एक्सीडेंट प्रोन जोन अलर्ट भी जारी करेगा. इस पहल का उद्देश्य शहर की सड़कों को सुरक्षित बनाना और यात्रियों की जान बचाना है. 

आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में 53% सड़क हादसे ओवरस्पीडिंग के कारण होते हैं. पुलिस ने लक्ष्य रखा है कि इस इनिशिएटिव के माध्यम से आने वाले एक वर्ष में सड़क हादसों में होने वाली मौतों को 50% तक कम किया जाए. गौरतलब है कि हर साल उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों से लगभग 22 हजार मौतें होती हैं, जो क्राइम से होने वाली मौतों से करीब चार गुना ज्यादा हैं. 

वहीं, पुलिस कमिश्नर लक्ष्मी सिंह ने कहा- 'आज यातायात सुरक्षा माह के तहत पूरे प्रदेश में डीजीपी साहब के निर्देशानुसार ‘सेफ विजन, सेफ रोड’ की दिशा में काम किया जा रहा है. इसी क्रम में आज हम एक नया नवाचार लेकर आए हैं. गूगल मैप की सहायता से पूरे गौतमबुद्धनगर जिले की सड़कों की मैपिंग कराई गई है और प्रत्येक सड़क की स्पीड लिमिट को मार्क किया गया है. बुधवार से यह सिस्टम रूल आउट हो गया है.'

Advertisement

अब जब भी आप नोएडा में यात्रा करेंगे और गूगल मैप का उपयोग करेंगे, तो आपको न केवल आपकी वर्तमान गति (करंट स्पीड) बल्कि उस सड़क की निर्धारित स्पीड लिमिट भी दिखाई देगी. उम्मीद है कि यह पहल ‘सिटीजन पुलिसिंग’ को मजबूत करेगी और सड़कों पर ‘सेल्फ रेगुलेटरी डिसिप्लिन’ को बढ़ावा देगी. 

कमिश्नरने कहा कि पिछले पांच वर्षों के डेटा के विश्लेषण में हमने पाया है कि शहर के भीतर 53% हादसे ओवरस्पीडिंग के कारण होते हैं. हमें विश्वास है कि इस कदम से न केवल सड़कों पर अनुशासन बढ़ेगा, बल्कि आने वाले समय में सड़क हादसों और उनसे होने वाली मौतों में 50% तक की कमी आएगी. 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement