योगी सरकार पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से विस्थापित शरणार्थियों को बड़ी राहत देने जा रही है. यूपी के पीलीभीत जिले के 25 गांवों में बसे 2,196 शरणार्थी परिवारों को भूमि का मालिकाना हक दिया जाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाल ही में दिए गए निर्देश के बाद इन परिवारों की लंबे समय से चली आ रही मांग अब पूरी होने के करीब है.
मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों को निर्देश जारी कर दिए हैं और अब केवल औपचारिक प्रक्रियाएं बाकी हैं. 62 साल के इंतज़ार के बाद, विस्थापित परिवारों को अब उस जमीन की कानूनी मान्यता मिलने वाली है जिस पर वे रह रहे हैं और खेती कर रहे हैं.
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पीलीभीत के ज़िला मजिस्ट्रेट ज्ञानेंद्र सिंह ने बुधवार को न्यूज एजेंसी को बताया कि जैसे ही अंतिम दिशानिर्देश मिलेंगे, प्रशासन बिना किसी देरी के प्रक्रिया शुरू कर देगा. वहीं, पीलीभीत के प्रभारी मंत्री बलदेव सिंह औलख ने इस फैसले के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया.
भाजपा जिला अध्यक्ष संजीव प्रताप सिंह, पूर्व जिला पंचायत सदस्य मंजीत सिंह और अन्य स्थानीय प्रतिनिधियों ने इस कदम को शरणार्थियों के बलिदान और संघर्ष को लंबे समय से प्रतीक्षित मान्यता बताया.
इन परिवारों को 1960 में सरकार द्वारा आवास और खेती के लिए ज़मीन आवंटित की गई थी, लेकिन उन्हें कभी कानूनी मालिकाना हक नहीं दिया गया. कानूनी अधिकारों के अभाव में, वे सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के लाभों से भी वंचित रहे.
हालांकि, मुख्यमंत्री योगी के आदेश के बाद अब सत्यापित शरणार्थी परिवारों को जल्द ही स्वामित्व के दस्तावेज मिलने शुरू हो जाएंगे. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पीलीभीत के 25 गांवों में रहने वाले 2,196 विस्थापित परिवारों में से 1,466 आवेदकों की सत्यापन रिपोर्ट राज्य सरकार को पहले ही भेज दी गई है.
कालीनगर और पूरनपुर तहसीलों के 25 से ज़्यादा गांवों के शरणार्थियों को इस कदम से फ़ायदा होगा. उल्लेखनीय गांवों में तातारगंज, बामनपुर, बैला, सिद्ध नगर, शास्त्री नगर और नेहरू नगर शामिल हैं.
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आपको बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि यह केवल जमीन के कागज देने की बात नहीं है, बल्कि उन हजारों परिवारों की पीड़ा और संघर्ष को स्वीकार कर उन्हें सम्मान लौटाने का समय है, जिन्होंने सीमाओं के उस पार से विस्थापित होकर भारत में शरण ली और पिछले कई दशकों से पुनर्वास की उम्मीद में दिन गिने हैं.
मालूम हो कि विभाजन के बाद, खासकर 1960 से 1975 के बीच पूर्वी पाकिस्तान से हजारों हिंदू परिवार जबरन विस्थापित होकर भारत आए. इनमें से बड़ी संख्या को पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बिजनौर और रामपुर जिलों में बसाया गया. शुरू के दौर में इन्हें ट्रांजिट कैंपों के जरिए अस्थायी ठिकानों पर रखा गया और फिर विभिन्न गांवों में जमीन आवंटित की गई. लेकिन वर्षों बाद भी इनमें से अधिकतर परिवार कानूनन भूस्वामी नहीं बन सके. लेकिन अब उनकी ये समस्या दूर होने जा रही है.