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30 से अधिक देशों की सैर, 53 बार दुबई, राष्ट्रपति-PM संग एडिटेड फोटो... गाजियाबाद में फर्जी एंबेसी चलाने वाले हर्षवर्धन के कारनामे

जांच में पता चला है कि आरोपी हर्षवर्धन जैन ने पिछले 10 वर्षों में 53 बार दुबई की यात्रा की है. उसने एक दो नहीं बल्कि 30 से अधिक देशों की सैर की. वह खुद को अलग-अलग देशों का राजदूत बताता था और अधिकारियों पर रौब झाड़ता था.

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हर्षवर्धन जैन विदेश में काम दिलाने के नाम पर ठगी करता था (Photo: ITG)
हर्षवर्धन जैन विदेश में काम दिलाने के नाम पर ठगी करता था (Photo: ITG)

गाजियाबाद फर्जी एंबेसी मामले के आरोपी हर्षवर्धन जैन को लेकर नए-नए खुलासे हो रहे हैं. जांच में पता चला है कि हर्षवर्धन ने पिछले 10 वर्षों में 53 बार दुबई की यात्रा की है. उसने एक दो नहीं बल्कि 30 से अधिक देशों की सैर की. फिलहाल, यूपी एसटीएफ उसकी आय के स्रोत और लेन-देन की जानकारी खंगाल रही है. विदेशी कॉन्टैक्ट भी तलाशे जा रहे हैं. 

आरोपी हर्षवर्धन जैन के पास से कई डिप्लोमैटिक पासपोर्ट बरामद हुए हैं. वह खुद को अलग-अलग देशों का राजदूत बताता था और अधिकारियों पर रौब झाड़ता था. उसका भौकाल ऐसा था कि वह राजयनिक नंबर प्लेट वाली गाड़ियां इस्तेमाल करता था. उसके पास एक से बढ़कर एक लग्जरी गाड़ियां थीं और हर गाड़ी पर राजयनिक नंबर प्लेट मौजूद थी.

हर्षवर्धन ने जिन देशों की यात्रा की है उनमें- यूके, यूएई, मॉरीशस, फ्रांस, कैमरून, स्विट्ज़रलैंड, पोलैंड, श्रीलंका, बेल्जियम और कई अन्य देश शामिल हैं. वह 30 से अधिक देशों की सैर कर चुका है. दुबई तो वह 53 बार जा चुका है. 

कौन है हर्षवर्धन जैन?

जानकारी के मुताबिक, हर्षवर्धन आर्थिक तौर से काफी संपन्न परिवार से है. उसके पिता की गिनती कभी राजस्थान के प्रभावशाली कारोबारियों में होती थी. इसका परिवार भी काफी नामी था. मगर पिता की मौत के बाद हर्षवर्धन उनके कारोबार को संभाल नहीं पाया.  उसे काफी नुकसान हुआ, जिसके बाद उसने फ्रॉड करना शुरू किया. 

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बताया जा रहा है कि हर्षवर्धन जैन ने लंदन से एमबीए किया है. साथ ही लंदन के कॉलेज ऑफ अप्लाइड साइंस से भी पढ़ाई की है. आलीशान कोठी में फर्जी एंबेसी खोलने के बाद वह खुद को वेस्ट आर्टिका और सेबोर्गा, पोल्बिया, लोडोनिया जैसे अनजान देशों का राजदूत कहता था. इतना ही नहीं हर्षवर्धन राजयनिक नंबर प्लेट लगी लग्जरी गाड़ियों से ही चलता था, ऐसे में उसपर कभी किसी को शक नहीं हुआ. 

एसटीएफ की शुरुआती जांच के मुताबिक, आरोपी हर्षवर्धन विदेशों में नौकरी का झांसा देकर लोगों को फंसाता था. वह अपनी फर्जी पहचान का इस्तेमाल करता था. फेक/शेल कंपनियों के जरिए हवाला रैकेट भी चलाता था. हर्षवर्धन इंटरनेशनल आर्म्स डीलर के संपर्क में भी था. 

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