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ना कोई FIR, ना केस, फिर कैसे आ गया वारंट... लखीमपुर से उठाकर लखनऊ ले आई पुलिस, कोर्ट में खुली पोल

दरअसल, लखीमपुर के गोला इलाके में एक छोटा सा मजरा है छोटे लालपुर, जहां पर दो भाई प्रेमचंद और मुन्नालाल रहते हैं. खेती किसानी से जिंदगी बसर करने वाले मेहनतकश लोग. लेकिन 29 अप्रैल की सुबह गोला थाने के सिपाही दोनों भाइयों के घर पहुंचते हैं. कहते हैं तुम दोनों के खिलाफ लखनऊ की कोर्ट से गैर जमानती वारंट जारी हुआ है साथ में चलो. दोनों भाई खूब दलील देते हैं कि मगर पुलिस के आगे किसकी चलती है. सिपाही कोर्ट का वारंट दिखाकर प्रेमचंद और मुन्नालाल को गिरफ्तार कर लखनऊ के सिविल जज जूनियर डिवीजन के कोर्ट में खड़ा कर देते हैं.

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लखीमपुर के पीड़ित भाइयों की आपबीती
लखीमपुर के पीड़ित भाइयों की आपबीती

यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में गोला गोकर्णनाथ थाना क्षेत्र के छोटा लालपुर गांव में रहने वाले दो भाइयों प्रेमचंद और मुन्नालाल को लखनऊ कोर्ट का एक फर्जी NBW दिखाकर हिरासत में ले लिया गया. फिर पुलिस द्वारा उन्हें लखीमपुर से लाकर कोर्ट में पेश किया गया. जब कोर्ट में सुनवाई के लिए कागज आदि चेक किए गए तो पता चला कोर्ट का वारंट तो फर्जी है. इस तरह मामले का खुलासा हुआ, जिसके बाद दोनों भाइयों को छोड़ दिया गया. अब इन भाइयों ने आपबीती बयां करते हुए पूरी कहानी बताई है.

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फिलहाल, लखनऊ पुलिस ने इस फर्जीवाड़े में एक एफआईआर दर्ज की है. साथ ही उस शख्स की तलाश कर रही है जिसने स्पीड पोस्ट से फर्जी NBW यानि वारंट भेजा. डीसीपी पश्चिमी विश्वजीत श्रीवास्तव का कहना है कि हम स्पीड पोस्ट जिस डाकघर से की गई है वहां के सीसीटीवी खंगाल रहे हैं. स्पीड पोस्ट की टाइमिंग के आधार पर संदिग्धों की पहचान की जा रही है. 

ये भी पढ़ें- फर्जी वारंट बनाकर दो भाइयों को किया अरेस्ट, कोर्ट में खुली पोल... छुट्टी के दिन जारी हुआ था 'आदेश'

दरअसल, 29 अप्रैल की सुबह गोला थाना क्षेत्र में पड़ने वाली मुड़ा पुलिस चौकी पर तैनात सिपाही विशाल गौतम और पंकज कुमार छोटा लालपुर गांव के रहने वाले दो सगे भाइयों प्रेमचंद और मुन्नालाल के घर पहुंचते हैं. फिर उन्हें लखनऊ की कोर्ट से कथित तौर पर जारी हुआ एक एनबीडब्ल्यू/वारंट दिखाते हैं और दोनों भाइयों से लखनऊ चलने की बात कहते हैं. इसपर पर दोनों भाई भागकर पुलिस चौकी पहुंचते हैं, जहां से उन्हें गोला थाने ले जाया जाता है और इसके बाद उनसे ₹2000 डीजल का किराया लेकर लखनऊ ले जाया जाता है. सारे दिन की माथापच्ची के बाद पता चलता है कि वारंट फर्जी है. आखिर में भाइयों को छोड़ दिया जाता है. 

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प्रेमचंद और मुन्नालाल

पीड़ित प्रेमचंद और मुन्नालाल ने बताया कि हम खुद नहीं जानते हैं कि किसने और क्यों ये फर्जी काम किया. हम लोग मजदूर आदमी हैं. लखनऊ से कोई वास्ता नहीं, फिर कैसे वहां हमारे खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई और कोर्ट केस भी हो गया, कुछ नहीं पता. घटना से परिवार सकते में है. समझ नहीं आ रहा क्या करें, कहां जाए, किससे गुहार लगाएं. 

वहीं, इस पूरे घटनाक्रम पर मुन्नालाल की पत्नी धूपकली कहती हैं कि उस दिन हम लोग बाहर गए थे. अगले दिन सुबह आए तो वारंट की बात सुनकर सन्न रह गए. भागे-भागे दारोगा के पास गए. उन्होंने बताया कि पति और देवर को लखनऊ लेकर जाएंगे. अब लौटने पर पता चला कि फर्जी वारंट आया था. गरीब लोग हैं, डर गए हैं. डीजल का ₹2000 भी खर्च हो गया आने-जाने में. कृपया जिसने ये फर्जी काम किया उसपर एक्शन लें.  

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