उत्तर प्रदेश के बांदा में एक युवक को फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाकर लेखपाल की नौकरी करना महंगा पड़ गया. पूर्व में हुई जांच में दोषी पाए जाने के बाद उसको नौकरी से निकाल दिया गया था. अब धोखाधड़ी करने के मामले में SDM के आदेश पर उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई है. पुलिस का कहना है कि मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी.
मामला अतर्रा थाना तहसील क्षेत्र का है. यहां तैनात नायब तहसीलदार ने थाने में शिकायती पत्र दिया था कि फतेहपुर का रहने वाला मनोज कुमार लेखपाल चयन प्रक्रिया के दौरान फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाकर नौकरी पाई. साल 2008 से नौकरी कर रहा था. उस समय शिकायत मिलने पर तत्कालीन डीएम ने उसको सेवा से बर्खास्त कर जांच के आदेश दिए थे.
जांच में दोषी पाए जाने के बाद सेवा से बर्खास्त
साल 2023 में जांच में दोषी पाए जाने के बाद बर्खास्त भी कर दिया गया. अब इसी मामले में नायब तहसीलदार राजीव यादव ने उसके खिलाफ थाने में तहरीर देकर एफआईआर दर्ज कराई है. मामले में डीएसपी जियाउद्दीन अहमद ने बताया कि नायब तहसीलदार अतर्रा ने शिकायत दी है कि मनोज कुमार ने साल 2008 में फर्जी तरीके से जाति प्रमाण पत्र लगाकर लेखपाल की नौकरी प्राप्त की थी.
उन्होंने बताया कि इसके बाद जांच की गई, जिसमे प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया. फिलहाल, वो नौकरी से बर्खास्त है. मगर नायब तहसीलदार की शिकायत पर धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर दर्ज की गई है और आगे की कार्रवाई की जा रही है.